संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा एवं विश्वासी संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा एवं विश्वासी 

संत पेत्रुस एवं संत पौलुस का महापर्व, संत पापा का प्रवचन

संत पापा फ्राँसिस ने 29 जून को काथलिक कलीसिया के संरक्षकों प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के महापर्व के अवसर पर वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 29 जून 2019 (रेई)˸ उन्होंने प्रवचन में कहा, "प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत पौलुस हमारे सामने साक्ष्य के रूप में हैं। वे सुसमाचार का प्रचार करने एवं मिशनरी के रूप में येसु की धरती से रोम तक की यात्रा करने में बिल्कुल नहीं थके। यहाँ उन्होंने शहीद के रूप में अपना जीवन अर्पित कर, अपना अंतिम साक्ष्य दिया। यदि हम उनके साक्ष्य पर गौर करें तो हम पायेंगे कि उन्होंने जीवन, क्षमा और येसु का साक्ष्य दिया।

जीवन का साक्ष्य

संत पापा ने संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे दोनों बहुत धर्मी थे। पेत्रुस प्रथम शिष्यों में से एक था और पौलुस पूर्वजों की परम्परा के लिए उत्साही, फिर भी, दोनों ने गलतियाँ कीं। पेत्रुस ने प्रभु को अस्वीकार किया और पौलुस ने ईश्वर की कलीसिया पर अत्याचार किया।

प्रभु ने दोनों से सवाल किया। ''सिमोन योहन के पुत्र! क्या इनकी अपेक्षा तुम मुझे अधिक प्यार करते हो?''(यो. 21:15); ''साऊल! साऊल! तुम मुझ पर क्यों अत्याचार करते हो?''(प्रे.च. 9:4). पेत्रुस येसु के सवाल पर परेशान हुआ जबकि पौलुस उनके शब्दों से अंधा हो गया। येसु ने उन्हें नाम लेकर पुकारा एवं उनका जीवन बदल दिया। सबसे बढ़कर प्रभु ने इन दो पापियों को दृढ़ भरोसा रखने की कृपा दी। यहाँ गौर करने वाली बात है कि क्यों प्रभु ने इनके स्थान पर किसी दूसरे शिष्य को नहीं चुना?

संत पापा ने कहा कि यहां एक बड़ी सीख है कि ख्रीस्तीय जीवन की शुरूआत का कारण हमारी योग्य नहीं है। हम जहाँ यह सोचने लगते हैं कि हम दूसरों से अच्छे और बेहतर हैं वहीं हमारा अंत शुरू होता है। प्रभु उन लोगों के द्वारा चमत्कार नहीं करते जो अपने को धर्मी मानते हैं किन्तु उन लोगों के द्वारा करते हैं जो अपने में जरूरतमंद महसूस करते हैं। वे हमारी अच्छाई से आकर्षित नहीं होते और न ही उसके कारण हमें प्यार करते हैं। वे हमें उसी स्थित में प्यार करते हैं जैसे हम हैं। वे ऐसे लोगों पर नजर डालते हैं जो अभावग्रस्त हैं और जो अपना हृदय खोलते हैं। जो पेत्रुस और पौलुस की तरह प्रभु के सामने पारदर्शी हैं। पेत्रुस ने कहा, मैं एक पापी मनुष्य हूँ। (लूक. 5:8). पौलुस लिखते हैं कि मैं प्रेरितों में सबसे छोटा हूँ। (1 कोर. 15:9). उन्होंने इस दीनता को जीवनभर बनाये रखा। क्या रहस्य था कि वे इन कमजोरियों के बावजूद धीर बने रहे? वह रहस्य था, प्रभु की क्षमाशीलता।

क्षमाशीलता का साक्ष्य

अपनी गलतियों के बीच उन्होंने प्रभु की महान दया को महसूस किया जिसने उन्हें नया जन्म प्रदान किया। इस क्षमाशीलता में उन्होंने असीम शांति एवं आनन्द का अनुभव किया। अपनी गलतियों को याद कर वे अपने आप में अपराधी महसूस कर सकते थे किन्तु उन्होंने अपनी गलतियों के सामने प्रभु की क्षमाशीलता को अधिक मजबूत पाया, जिसने उनके अपराध की भावना को चंगा कर दिया। संत पापा ने कहा कि जब हम प्रभु की क्षमाशीलता का अनुभव करते है तब हम सचमुच नया जन्म प्राप्त करेंगे। क्षमाशीलता के द्वारा ही हम नया जीवन शुरू करते हैं और पापस्वीकार में हम अपने आपको पहचानते हैं कि हम कौन हैं।

येसु के साक्षी

पेत्रुस और पौलुस सबसे बढ़कर येसु के साक्षी थे। येसु अपने शिष्यों से पूछते हैं कि मैं कौन हूँ? तब पेत्रुस जवाब देते हैं आप मसीह हैं, आप जीवन्त ईश्वर के पुत्र हैं। यह शब्द भूत और वर्तमान दोनों की ओर इंगित करता है वे मसीह हैं जिनका इंतजार किया जा रहा था। जो नवीनता को लाने वाले थे और दुनिया में ईश्वर के अभिषिक्त थे। संत पापा ने कहा कि येसु भूत के नहीं हैं, वे अभी भी उपस्थित हैं और भविष्य में भी रहेंगे। वे दूर के व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें याद किया जाए बल्कि पेत्रुस उनसे सीधे कहते हैं, आप मसीह हैं। जो लोग उनके साक्षी हैं उनके लिए प्रभु किसी ऐतिहासिक व्यक्ति से बढ़कर हैं वे जीवित हैं। अतः वह व्यक्ति ख्रीस्त का साक्षी नहीं हो सकता जो उनकी कहानी जानता हो पर उनकी प्रेम कहानी का अनुभव नहीं किया हो।  

संत पापा ने चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि इन महान साक्षियों के सामने हम अपने आप से पूछें कि क्या हम येसु के साथ अपने मुलाकात को प्रतिदिन ताजा करते हैं? उन्होंने कहा कि येसु हमारे ज्ञान को नहीं किन्तु साक्ष्य को देखते हैं जहाँ हम प्रतिदिन कह सकें, "प्रभु आप मेरे जीवन हैं।"  

संत पापा ने उस कृपा के लिए प्रार्थना करने का निमंत्रण दिया कि हम गुनगुने ख्रीस्तीय न बनें बल्कि उनकी क्षमा की शक्ति द्वारा, उनके साथ हमारे संबंध को सुदृढ़ कर सकें। पेत्रुस के समान येसु आज हमसे कह रहे हैं तुम मुझे क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ। क्या तुम मुझे प्यार करते हो? आइये हम इन शब्दों को अपने अंदर प्रवेश करने दें तथा न्यूनतम से संतुष्ट न रहें बल्कि अधिकतम का लक्ष्य रखें। ताकि हम भी जीवन्त ईश्वर के साक्षी बन सकें।

पालियो पर आशीष 

 

संत पापा ने याद दिलाया कि आज महाधर्माध्यक्षों को प्रदान किये जाने वाले पालियो पर आशीष दी जाती है। उन्होंने कहा कि पालियो हमें भेड़ की याद दिलाती है जिन्हें एक गड़ेरिया अपने कंधे पर लेकर चलता है। उन्होंने कहा कि यह एक चिन्ह है कि गड़ेरिये अपने लिए नहीं जीते बल्कि भेड़ों के लिए जीते हैं। यह एक प्रतीक है कि जीवन को पाने के लिए हमें इसे खोना है, इसे दूसरों के लिए अर्पित करना है।

ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया का प्रतिनिधिमंडल

तब संत पापा ने कुस्तुनतुनिया के ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्रतिनिधियों की याद करते हुए कहा कि परम्परा के अनुसार मैं इस प्रतिनिधिमंडल का हार्दिक अभिवादन करता हूँ। आपकी उपस्थिति हमें स्मरण दिलाती है कि विश्वासियों की पूर्ण एकता की ओर यात्रा में, हर स्तर पर एक होने हेतु हम अपने प्रयास को जारी रख सकते हैं, क्योंकि हम ईश्वर के साथ मेल-मिलाप कर तथा एक-दूसरे को क्षमा प्रदान कर, हम अपने जीवन से येसु का साक्ष्य देने के लिए बुलाये गये हैं।     

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

29 June 2019, 15:15