समुद्र में चलते जहाज समुद्र में चलते जहाज 

ईश्वर की करूणा के मिशनरी बनें, स्तेल्ला मारिस से संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 27 जून को यूरोप में समुद्र की प्रेरिताई स्तेल्ला मारिस से संलग्न राष्ट्रीय निदेशकों, पुरोहितों एवं स्वयंसेवकों को वाटिकन में सम्बोधित किया तथा उन्हें करूणा के मिशनरी बनने का प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 27 जून 2019 (रेई)˸ स्तेल्ला मारिस या "सागर का तारा" प्रेरिताई से जुड़े लोगों ने नाविकों एवं मछवारों के साथ इस सप्ताह रोम में आयोजित एक सभा में भाग लिया।

स्तेल्ला मारिस की प्रेरिताई से जुड़े लोगों का कर्तव्य है अपनी जीविका के लिए सागर में काम करने वाले लोगों को आध्यात्मिक समर्थन देना और उनके बीच ख्रीस्तीय जीवन का साक्ष्य देना। "सागर का तारा" सम्बोधन धन्य कुँवारी मरियम के लिए दिया गया है जिनके संरक्षण में नाविक और मछवारे सौंपे गये हैं। उनके पुत्र येसु ने अपने शिष्यों के लिए सागर में आँधी को शांत किया था। यही कारण है कि कलीसिया नाविकों एवं मछवारों की आध्यात्मिक चिंता करती है।    

संत पापा ने सागर की प्रेरिताई से संलग्न लोगों को सम्बोधित कर कहा, "आपकी सभा ने पुरोहितों एवं स्वयंसेवकों को एक साथ लाया है जो यूरोप की बंदरगाहों पर उन नाविकों एवं मछवारों की सेवा करते हैं जिनकी कड़ी मेहनत पर हमें हर रोज निर्भर रहना पड़ता है।"

स्तेल्ला मारिस प्रेरिताई विश्व के 300 बंदरगाहों पर सेवारत है जो नाविकों, मछवारों एवं उनके परिवारों को आध्यात्मिक एवं भौतिक सहायता प्रदान करती है।

सागर की चुनौतियाँ

संत पापा ने कहा कि विश्व में 90 प्रतिशत से अधिक व्यापार समुद्री जहाजों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार हमारा समाज समुद्री व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर है अतः नाविकों के बिना वैश्विक अर्थव्यवस्था लगभग स्थिर खड़ा हो जाएगा एवं मछवारों के बिना विश्व को भूख का सामना करेगा।

संत पापा ने उन जहाज चालकों एवं मछवारों के प्रति अपना सम्मान एवं प्रोत्साहन प्रकट किया जो अपने परिवारों से दूर, लम्बे समय तक काम करते एवं हज़ारों मील की दूरी तय करते हैं।

उन्होंने कहा, "नाविकों एवं मछवारों का जीवन न केवल एकाकी एवं दूर का होता है किन्तु कई बार दुःखद भी होता है, जिन्हें मानव तस्करी के जाल में, शोषण और अन्याय का सामना करना पड़ता है। वे जबरन मजदूरी के शिकार बनते हैं। उन्हें उचित वेतन नहीं दिया जाता है, प्रकृति आपदाओं के भय का सामना करना पड़ता है और साथ ही साथ, उन्हें आतंकवाद का भी शिकार होना पड़ता है।"

सुसमाचार सुनाना

संत पापा ने स्तेल्ला मारिस प्रेरिताई के सदस्यों को उनके मिशन की याद दिलाते हुए कहा कि उन्हें मल्लाहों की जटिल दुनिया में प्रभु येसु के सुसमाचार के प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। जहाजों में उनका दौरा कई परिस्थितियों में पड़े लोगों से उनकी मुलाकात कराता है जो बहुधा चिंतित एवं परेशान होते हैं।   

उन्होंने कहा कि वे अपनी सहानुभूति एवं अक़्लमंदी द्वारा उनके हृदय को खोलें। यही उनकी सबसे महत्वपूर्ण सेवा है। साथ ही साथ, उन्हें सुनना और उनकी आध्यात्मिक एवं भौतिक आवश्यकताओं पर ध्यान देना है। उन्होंने सुनने की क्रिया पर जोर देते हुए कहा कि सुनने के द्वारा हम कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं।

लालच का परिणाम  

संत पापा ने पुरोहितों एवं स्वयंसेवकों को प्रोत्साहन दिया कि वे मानवीय लालच के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दों का सामना करने हेतु अधिक प्रयास करें, खासकर, मानव तस्करी, जबरन मजदूरी एवं मजदूरों के अधिकारों के हनन को दूर करने हेतु। इस तरह वे अपनी सेवा से उन लोगों की मानव प्रतिष्ठा की रक्षा कर सकेंगे।  

संत पापा ने उनके कार्य को आशा प्रदान करने वाला एवं ईश्वर के पितातुल्य प्रेम का चिन्ह बतलाया।  

अंत में, संत पापा ने स्तेल्ला मारिन के सेवकों से आग्रह किया कि वे अपने मिशन के प्रति समर्पण में धीर बने रहें। उन्होंने याद किया कि अगले साल स्तेल्ला मारिस की 25वीं सालगिरह मनायी जायेगी और याद की जायेगी कि कलीसिया के इस मिशन की शुरूआत लोकधर्मियों के हृदयों में हुई। यह अतीत की याद करने, वर्तमान का अवलोकन करने एवं भविष्य की ओर देखने का सुन्दर अवसर होगा।

संत पापा ने सागर का तारा धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि वे समय की मांग के अनुसार अपने प्रेरितिक कार्यों को नवीकृत कर सकें। अंत में उन्होंने सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।  

 

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27 June 2019, 15:58