संत पापा शरणार्थी बच्चों के संग संत पापा शरणार्थी बच्चों के संग 

मोरक्को के शरणार्थियों को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्रांसिस ने मोरक्को में शरणार्थियों से मिलने के उपरांत उन्हें अपने दिये गये संदेश में कहा कि हम जरतमंद लोगों के प्रति अपनी आखें बंद न करें।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

मोरक्को, शनिवार, 30 मार्च 2019 (रेई) संत पापा ने फ्रांसिस ने मोरक्को के राबात में प्रवासियों से मुलाकात करते हुए उऩ्हें अपना संदेश दिया।

अपनी इस यात्रा में आपसे मिलना मुझे आनंद प्रदान करती है। इसके द्वारा मैं आप के साथ अपना सामीप्य साझा करते हुए 21वीं सदी के उन गहरे घावों के बारे में चिंतन करता हूँ जिससे हमारी दुनिया अब तक घालय है। यह घाव स्वर्ग की ओर पुकारती है। हम इसके बारे में चुप औऱ उदासीन नहीं रह सकते हैं। वर्तमान में हम इन घटनाओं में वृद्धि पाते हैं जब प्रवासी अन्तरराष्ट्रीय पनाह खोजते हुए गुलामी औऱ अपराधिक संस्थानों का शिकार बनते हैं।

मैं महाधर्माध्यक्ष अग्रेलो मर्टिनेज की अध्यक्षता में कलीसिया द्वारा प्रवासियों के लिए हो रहे कार्यों हेतु अपने कृतज्ञता के भाव अर्पित करता हूँ और साथ ही जैक्सन का धन्यवाद अदा करता हूँ जिसने हमारे बीच अपना साक्ष्य प्रस्तुत किया। हम अपने मिलन के द्वारा अपनी एकता को मजबूत किया है और हम सभी प्रवासियों की चुनौतियों को उदरता और उत्साह के साथ सामना करने हेतु बुलाये जाते हैं। कुछ ही महीने पूर्व माराकेच में एक अंतर सरकारीय सम्मेलन का आयोजन हुआ था जिसकी विषयवस्तु थी सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित वैश्विक प्रवास को सुनिश्चित करना।

सुसंगठित प्रवासन अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके द्वारा हम अपने मानव चेहरे को समाज में प्रस्तुत करते हैं। इस संदर्भ में बहुत से कार्य किये गये हैं विशेषकर प्रगतिशील देशों में यद्पित हम इस बात को न भूलें कि लोगों का विकास औद्योगिकी या अर्थशास्त्रीय आधार पर आंका नहीं जा सकता है। यह उनके प्रति हमारे खुले रहने पर निर्भर करता है जो हमारे दरवाजों को खटखटते हैं। जब हम अपनी आंखों को अपने जरुरतमंद लोगों के प्रति बंद कर देते तो हमारा समाज हृदयविहीन...एक बंजर मां का रुप धारण कर लेती है।

संत पापा के चार बिन्दु

संत पापा ने अपने संबोधन में चार क्रियाओं पर जोर दिया जो प्रवासियों के संबंध में समर्पित कार्य करने हेतु मददगार सिद्ध होगा- स्वीकारना, सुरक्षा करना, प्रोत्साहित करना औऱ एकता स्थापित करना।

वर्तमान परिवेश में स्वागत करने का अर्थ है शरणर्थियों और प्रवासियों को संवैधानिक रुप से देश में एक सुरक्षित स्थान मुहैया करना। वैश्विक समझौता का एक मुख्य उद्देश्य प्रवासन प्रणालियों का विस्तार करना है जिससे प्रवासियों और शरणार्थियों की आश्वयकता के कारण उनपर हो रहे दुर्वव्यहार पर रोक लगाई जा सकें। दूसरी ओर परिवारों और नबालिकों के सुरक्षा के संबंध में विशेष कानूनों की व्यवस्था की जाये जो अपने में जटिल न हो।  

सुरक्षा का अर्थ शरणार्थियों और प्रवासियों के संवैधानिक अधिकारों और सम्मान की रक्षा की जाये। यह हमारे लिए जरुरी है कि हर एक को स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक रुप में सहायता प्रदान की जाये जिससे वे अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को स्थापित कर सकें।  

प्रोत्साहित करने का अर्थ हर एक प्रवासी और शरणार्थी को स्थानीय नागरिक की भांति समानता का अधिकार मिले जिससे वे अपने गुणों को विकसित कर सकें। वे समुदाय जो अपने में शरणार्थियों को एक स्थान देते और उनका तिरस्कार नहीं करते वे अपने में धनी होंगे। हमें चाहिए की हम प्रवासियों को स्थानीय भाषा सीखने हेतु मदद करें जिससे वे समाज के निर्माण में अपना सहयोग दे सकें।

एकता में होने का अर्थ है प्रवासियों और स्थानीय समुदाय के बीच संस्कृति में सामंजस्य स्थापित करना जिससे फलस्वरुप हम एक खुला और अंतर-सांस्कृतिक समाज का निर्माण करते हैं।

संत पापा ने कहा कि शरणार्थी मित्रों कलीसिया आपके जीवन की कठिनाइयों से वाकिफ है। आपके पास पहुंचते हुए हम इस बात को घोषित करना चाहते हैं कि ईश्वर हम सभों को पूर्ण जीवन जीने हेतु निमंत्रण देते हैं। कलीसिया आप के साथ है जिससे आप अपने जीवन को उचित रुप में जी सकें क्योंकि हर एक मानव को जीवन जीने और स्वपन देखने का अधिकार है जिसके फलस्वरुप हम सभी इस धरती, अपने सामान्य घर पर एक उचित स्थान खोजने हेतु बुलाये जाते हैं। 

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31 March 2019, 13:52