संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

बुलाहट हेतु 56वां विश्व प्रार्थना दिवस पर संत पापा का संदेश

बुलाहट हेतु 56वां विश्व प्रार्थना दिवस के अवसर पर अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों से अपील की है कि वे ईश्वर की प्रतिज्ञा को पूरा करने हेतु जोखिम उठाने का साहस करें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 09 मार्च 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने बुलाहट हेतु 56वां विश्व प्रार्थना दिवस के उपलक्ष्य में प्रकाशित संदेश में कहा है कि गत वर्ष युवा पर हुए धर्माध्यक्षीय धर्मसभा और इस वर्ष पानामा में हुए 34वें विश्व युवा दिवस की ये दो महान घटनाओं ने कलीसिया को आत्मा की आवाज और युवाओं के जीवन, उनके सवालों और चिंताओं, उनकी समस्याओं और उनकी आशाओं के प्रति चौकस रहने के लिए प्रेरित किया है।  

बुलाहट हेतु 56वां विश्व प्रार्थना दिवस इस वर्ष रविवार 12 मई को मनाया जाएगा।

चेलों का बुलावा

संत पापा ने संत मरकुस के सुसमाचार से गलील के समुद्र किनारे चार मछुओं का बुलावा (1:16-20) के दो पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया, “प्रतिज्ञा और जोखिम” येसु ने समुद्र में जाल डालते हुए सिमोन और उसके भाई अंद्रेयस को देखा। येसु ने उन्हें यह कहते हुए बुलाया, “मेरे पीछे चले आओ। मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा। उसी तरह येसु ने याकूब और उसके भाई योहन को भी बुलाया। वे तुरंत अपने पिता को नाव में छोड़ कर येसु के पीछे हो लिये। उन्होंने येसु के पीछे चलने के लिए जोखिम उठाने का साहस किया। संत पापा ने कहा कि चेलों के समान हमें भी प्रभु का बुलावा सुनने के बाद उसके साथ चलने के लिए और उसके लिए जोखिम उठाने का साहस होना चाहिए।  

संत पापा ने कहा कि चेलों का बुलावा एक विशेष मुलाकात के साथ शुरू हुआ। येसु ने चेलों के साथ मुलाकात की और उन्हें अपने साथ चलने के लिए बुला लिया। उसी तरह कोई पुरुष एक महिला के साथ मुलाकात करता है आपस में बातें होती हैं वे एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं। एक साथ समय बिताना उन्हें खुशी देता है और इस तरह वे खुशी की पूर्णता के लिए वैवाहिक जीवन जीने का निर्णय लेते हैं।   

संत पापा ने कहा कि प्रभु का बुलावा हमारी ‘स्वतंत्रता’ का हनन नहीं है या यह हमें किस तरह के ‘पिजरे’ में कैद नहीं करता। इसके विपरीत यह एक प्रेमपूर्ण पहल है ईश्वर हमें अपनी योजना में सहभागी होने के लिए आमंत्रित करते हैं। वे हमारे लिए मछलियों को पकड़ने हेतु बड़े समुद्र के क्षितिज को खोल देते हैं।         

ईश्वर की इच्छा यह है कि हमारा जीवन दैनिक दिनचर्या में कैद न हो जाए बल्कि नए और रोमांचक रास्तों में आगे बढ़े हुए जीवन के नये आयाम की खोज करें। ईश्वर कभी-कभी हमें "चमत्कारी पकड़" का अनुभव कराते हैं, तो यह इसलिए है क्योंकि ईश्वर चाहते हैं कि हम सभी उनकी बुलाहट को अपने जीवन में पहचानें। प्रत्येक बुलाहट येसु के बताये रास्ते पर आगे बढ़ने का आह्वान करती है। इस चुनाव से हमें खुशी मिले और हमारे आस-पास के लोगों की भी भलाई हो। प्रभु के बुलावे को स्वीकार करना, मतलब एक बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार होना। इस प्रक्रिया में हमारी छोटी नाव हमें बांधे रखेगा और हमें एक निश्चित विकल्प बनाने से रोकेगा। इस छोटी नाव को पीछे छोड़ने के लिए अगर हम तैयार हैं तभी हम अपने जीवन के लिए ईश्वर की योजना की तलाश में साहसिक और निर्णायक कदम ले सकते हैं। बुलाहट के विशाल "महासागर" को देखते हुए, हम नाव पर बैठे अपने जाल की मरम्मत करने मात्र से संतुष्ट नहीं रह सकते हैं जो हमें सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन हमें ईश्वर के बुलावे और प्रतिज्ञा पर भरोसा करने हुए आगे बढ़ने की जरुरत है।

कलीसियाः प्यार की गवाही

संत पापा ने कहा कि हम अपने प्रारंभिक कलीसिया की याद करें। येसु के नाम में बपतिस्मा प्राप्त लोग एक साथ मिलकर प्रार्थना पूजा अर्चना किया करते थे। कलीसिया में सामूदायिक जीवन का विकास हुआ। कलीसिया हमारी माता है। इसने हमें प्रार्थना करना और भाईचारा साझा करने की कला सिखलायी है। यह हमें नए जीवन में लाती है और हमें मसीह की ओर ले जाती है। इसलिए हमें उससे प्यार करना चाहिए, यहां तक कि जब हम उसके चेहरे को मानवीय धोखाधड़ी और पाप में देखते हैं  तो हमें उसे अधिक सुंदर और उज्ज्वल बनाने हेतु हर संभव प्रयास करनी चाहिए, ताकि कलीसिया दुनिया में ईश्वर के प्यार की गवाही दे सके। हम सभी को याद रखना चाहिए कि हमारी अपनी बुलाहट केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने समाज की भलाई के लिए है।

युवा प्रेरितिक कार्यालय

संत पापा ने कहा कि बुलाहट को समझ पाना और अपने जीवन को सही दिशा में ले जाना हमेशा आसान नहीं होता है। इस कारण से, पूरी कलीसिया - पुरोहितों, धर्मसंघियों और शिक्षकों को विशेष रूप से युवाओं को सुनने और आत्म परख के अवसर प्रदान करने के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता की आवश्यकता है - हर धर्मप्रांत में एक युवा प्रेरितिक कार्यालय की आवश्यकता है। युवा प्रेरितिक कार्यकर्ता  प्रार्थना मनन चिंतन य़ुखारीस्तीय आराधना आदि के माध्यम से युवाओं को ईश्वर की योजना अनुसार अपनी बुलाहट को पहचानने में मदद कर सकते हैं। ईश्वर की योजना को पहचानने और स्वीकारने वाली माता मरियम हमें अपने बुलाहट को पहचानने और साहस के साथ स्वीकारने में हमारी मदद करे।

अंत में संत पापा ने कहा कि बुलाहट के विश्व प्रार्थना दिवस के अवसर पर आइये हम प्रभु से अपने बुलाहट को पहचानने के लिए कृपा मागें। हम ईश्वर की योजना अनुसार अपने बुलाहट में साहस के साथ आगे बढ़ सकें।    

                                                                               

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09 March 2019, 16:16