राखबुध के दिन प्रवचन देते संत पापा राखबुध के दिन प्रवचन देते संत पापा 

राखबुध के पुण्य अवसर पर संत पापा फ्राँसिस का प्रवचन

संत पापा फ्राँसिस ने राखबुध के दिन ख्रीस्तियों का आह्वान किया कि वे रूककर आवश्यक बातों पर चिंतन करें तथा प्रभु के संदेश पर ध्यान दें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

रोम, बृहस्पतिवार, 7 मार्च 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने राखबुध के दिन 6 मार्च को संत सबीना महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में जीवन की भाग-दौड़ के बीच रूकने तथा अपने जीवन का अवलोकन करने का आह्वान किया। उन्होंने दिशाहीन जीवन एवं अनावश्यक चीजों से परहेज करने की सलाह दी ताकि हम चालीसा काल में आत्मा की पुकार को सुन सकें।  

संत पापा ने गौर किया कि "जागते रहने" का यह आह्वान प्रभु द्वारा नबी के मुख से कहे गये शब्द "मेरे पास लौट आओ" के समान है। यदि हमें लौटना है तो इसका अर्थ है कि हम भटक गये हैं।

चालीसा काल - जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ने का समय

संत पापा ने कहा, "चालीसा काल जीवन की सही दिशा को फिर से प्राप्त करने का समय है क्योंकि जीवन की यात्रा के लिए, अन्य हर यात्राओं की तरह गणतव्य को नहीं भूलना चाहिए।" इस यात्रा के दौरान यदि विचलित हो जाते हैं तो हम आगे नहीं बढ़ पायेंगे।

संत पापा ने विश्वासियों को प्रोत्साहन दिया कि वे अपने आप से पूछें कि क्या वे जीवन की यात्रा में आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं, अथवा अपने वर्तमान जीवन से संतुष्ट हैं और अच्छा महसूस करने, कुछ समस्याओं का हल करने एवं खुशी मनाने को काफी समझते हैं?

वह कौन-सा रास्ता है? क्या यह स्वास्थ्य की खोज करना है जिसको कई लोग पहली आवश्यकता मानते हैं जबकि यह धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है? क्या यह हमारी सम्पति और सुखद जीवन है?  

प्रभु ही हमारी यात्रा के लक्ष्य

हम इस दुनिया में इसके लिए नहीं आये हैं, प्रभु ही इस दुनिया में हमारी यात्रा के अंतिम लक्ष्य हैं अतः हमारे जीवन की दिशा उनकी ओर होनी चाहिए।

संत पापा ने कहा कि राख का चिन्ह जिसको हम राखबुध के दिन धारण करते हैं एक ऐसा चिन्ह है जो हमें दिशा प्राप्त करने में मदद देता है। यह हमें स्मरण दिलाता है कि हमारा मन बहुधा उन चीजों पर लगा रहता है जो समाप्त हो जाएगा। चाहे हम कितना की कठिन परिश्रम क्यों न करते हों, हम इस जीवन से अपने साथ कुछ भी नहीं ले जायेंगे।  

"पृथ्वी की वस्तुएँ धूल और हवा की तरह समाप्त हो जायेंगी क्योंकि धन, सत्ता एवं सफलताएँ सब अस्थायी हैं।"

संत पापा ने कहा कि आज दिखाने की संस्कृति प्रबल हो रही है जो हमें नश्वर चीजों के पीछे भागने हेतु प्रेरित करती है, यह एक बड़ा धोखा है। यह आग के समान है जब यह बुझ जाती तो सिर्फ राख रह जाता है।

उन्होंने कहा कि चालीसा काल हमारे लिए धूल के भ्रम से अपने आपको मुक्त करने का समय है तथा इस बात को पुनः याद करने का कि हमारी सृष्टि ईश्वर के लिए की गयी हैं न कि दुनिया के लिए, अनन्त स्वर्ग के लिए, न कि पृथ्वी के छल के लिए। ईश्वर की संतान की स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए, न कि वस्तुओं के गुलाम बनने के लिए। आज हम अपने आप से पूछें, मैं कहाँ खड़ा हूँ? क्या मैं आग अथवा राख के लिए जी रहा हूँ?

चालीसा काल के तीन कदम

संत पापा ने विश्वासियों को स्मरण दिलाया कि सुसमाचार तीन बातों को सामने रखता है जिन्हें बिना दिखावा अथवा बहाना के अपनाया जाना चाहिए – उपवास, प्रार्थना और दान देना।

उन्होंने कहा कि इन तीनों चीजों का अभ्यास हमें तीन सच्चाईयों के सामने लाता है जो कभी नहीं मुरझाते- प्रार्थना हमें ईश्वर से संयुक्त करता है, दान हमें लोगों के साथ जोड़ता है एवं उपवास द्वारा हम अपने आपसे ही मेल-मिलाप करते हैं।

ईश्वर, मेरा पड़ोसी, मेरा जीवन

संत पापा ने कहा कि ईश्वर, मेरा पड़ोसी, मेरा जीवन ये वे सच्चाईयाँ हैं जो कभी समाप्त नहीं होतीं, जिनके लिए पूँजी जमा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि चालीसा काल हमें निमंत्रण देता है कि हम उन बातों पर ध्यान केंद्रित करें, पहला- ईश्वर पर। प्रार्थना के द्वारा हम ईश्वर की ओर ध्यान केंद्रित करें जो हमें भौतिक और सांसारिक जीवन से मुक्त करते हैं। दूसरा- पड़ोसी पर। यह हमें दूसरों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद देता है। उन्हें दान देने के द्वारा हम बहुत अधिक धन जमा करने और सिर्फ अपनी भलाई सोचने के अभिमान से मुक्त होते हैं। तीसरा- अपने आप पर। चालीसा काल हमें निमंत्रण देता है कि हम उपवास द्वारा अपने हृदय में झांककर देखें, जो हमें चीजों एवं सांसारिक माया मोह की आसक्ति से मुक्त करता है। अतः हम प्रार्थना, दान और उपवास, इन तीन चीजों को जमा करें जो अनन्तकाल तक बने रहेंगे।  

संत पापा ने प्रवचन में कहा कि हमें दिशानिर्देश की भी आवश्यकता है क्योंकि कई बार हम दिखावा, धन, पद अथवा रूचि के पीछे पड़ जाते हैं जो हमें गुलाम बना सकता है और हम दिशा खो सकते हैं। जबकि यदि हमारा हृदय उन चीजों से जुड़ा है जो कभी समाप्त नहीं होते, तब हम अपने आपको पहचानेंगे और मुक्ति प्राप्त करेंगे।

चालीसा काल कृपा का समय

चालीसा काल कृपा का समय है जो हृदय को अभिमान से छुटकारा प्रदान करता है। यह बुरी प्रवृतियों एवं आदतों से चंगाई पाने का समय है। यह उस ओर ध्यान देने का वक्त है जो हमारा इंतजार कर रहा है।

संत पापा ने अपने प्रवचन के अंत में ख्रीस्तियों को निमंत्रण दिया कि वे अपनी नजर येसु के क्रूस पर केंद्रित करें और कहें, क्रूसित येसु हमारे दिशानिर्देश हैं जो हमें स्वर्ग की ओर ले चलते हैं।  

क्रूसित येसु हमें त्याग के महान साहस की शिक्षा देते हैं। वे हमसे आग्रह करते हैं कि हम अपने आपको उपभोक्तावाद के चंगुल से, स्वार्थ के जाल से, अधिक पाने की चाह से, कभी संतुष्ट नहीं होने एवं गरीबों के लिए अपने हृदय को बंद कर देने की भावना से मुक्त रखें।  

संत पापा ने कहा, "इसे जीना कठिन है किन्तु यह हमें हमारे लक्ष्य की ओर ले चलता है, यदि हम प्रेम के रास्ते पर चलें तब हम उस जीवन को अपनायेंगे जो कभी नष्ट नहीं होता और हम आनन्द से भर जायेंगे।"

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07 March 2019, 16:21