सन्त पापा फ्रांसिस सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में सन्त पापा फ्रांसिस सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में 

अमरीकी धर्माध्यक्षों से चौकसी और समझदारी का आग्रह

सन्त पापा फ्राँसिस ने अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षों को एक पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि यौन दुराचार की घटनाओं को रोकने के लिये वे चौकस रहें तथा समझदारी से काम लें। अमरीका में बच्चों एवं किशोरों के विरुद्ध कुछ पुरोहितों द्वारा किये यौन दुराचारों की पृष्ठभूमि में सन्त पापा फ्रांसिस ने मात्र प्रशासनात्मक कार्यवाही के बजाय “मन परिवर्तन” एवं “भ्रातृत्वपूर्ण सहभागिता” का आह्वान किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 4 जनवरी 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षों को एक पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि यौन दुराचार की घटनाओं को रोकने के लिये वे चौकस रहें तथा समझदारी से काम लें.

अमरीका में बच्चों एवं किशोरों के विरुद्ध कुछ पुरोहितों द्वारा किये यौन दुराचारों की पृष्ठभूमि में सन्त पापा फ्रांसिस ने मात्र प्रशासनात्मक कार्यवाही के बजाय “मन परिवर्तन” एवं “भ्रातृत्वपूर्ण सहभागिता” का आह्वान किया.   

दुराचारों की घटनाओं को रोकने तथा अतीत में हुई घटनाओं पर मनन हेतु इस समय अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्ष आध्यात्मिक साधना में संलग्न हैं. अपने पत्र में सन्त पापा ने आध्यात्मिक साधना में धर्माध्यक्षों के संग रहने का आश्वासन दिया तथा कहा कि प्रार्थनाओं द्वारा वे धर्माध्यक्षों को "यौन दुराचार से मुकाबला करने तथा विश्वसनीयता के साथ इस संकट से निपटने हेतु सही कदम उठाने के लिये प्रोत्साहन देना चाहते हैं."  

चौकस रहें तथा समझदार बनें

सन्त पापा ने लिखा, "भ्रान्तियों एवं अनिश्चितता के समय" हमें चौकस रहने तथा समझदारी से काम करने की आवश्यकता है जिससे हम अपने हृदयों को समझौतों एवं मिथ्या निश्त्तिताओं से दूर रखकर प्रभु की आवाज़ को सुन सकें और समझ सकें कि हमारा मिशन क्या है. "

सन्त पापा ने धर्माध्यक्षों को सचेत भी किया और कहा कि हमारे कई कार्य "सहायक, अच्छे और आवश्यक," हो सकते हैं किन्तु यह भी ख़तरा है कि वे सदैव सुसमाचार के अनुकूल न हों. सन्त पापा ने कहा, "हमें इस बात का ध्यान रखना होगा का बीमार बीमारी से बदतर न हो."

सन्त पापा फ्रांसिस ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि सत्ता और अन्तःकरण के दुरुपयोग और साथ ही यौन दुराचारों की घटनाओं ने कलीसिया की विश्वसनीयता पर घोर प्रहार किया है किन्तु इससे भी अधिक हानि इन घटनाओं को छिपाने तथा इनसे नकारने की प्रक्रिया से हुई है.

नया दृष्टिकोण

सन्त पापा ने लिखा, "दुराचारों रोकने तथा विश्वसनीयता की क्षति को पूरा करने तथा इनसे उत्पन्न भ्रम की स्थिति एवं हमारे मिशन की बदनामी को दूर करने के लिये तत्काल एक नवीन एवं निर्णायक दृष्टिकोण की ज़रूरत है," जो मात्र "नई समितियों के निर्माण या फ़्लोचार्ट में सुधार तक सीमित नहीं रह सकता. "

उन्होंने लिखा, "एक नवीन कलीसियाई मौसम को ऐसे धर्माध्यक्षों की आवश्यकता है जो मात्र प्रशासक का काम न करें अपितु मानव इतिहास में ईश्वर की उपस्थिति पर लोगों में विवेक और समझदारी उत्पन्न कर सकें .."

धर्माध्यक्षों को सन्त पापा ने लिखा, "हमारा प्राथमिक कर्तव्य विवेक की साझा भावना को बढ़ावा देना है. यह हमें वास्तविकता में पूरी तरह से निमज्जित होने तथा इसे सराहने में सक्षम बनायेगा."

विश्वसनीयता और विश्वास

सन्त पापा ने बल दिया कि विश्वसनीयता विश्वास से प्रस्फुटित होता है तथा विश्वास सबके प्रति निष्कपट, विनीत एवं उदार सेवा का परिणाम होता है. उन्होंने कहा कि अपनी त्रुटियों एवं परिसीमाओं के चलते सुसमाचार के प्रसार हेतु प्रदत्त मिशन को छिपा नहीं सकते और न ही उसे अवनत कर सकते हैं. मदर तेरेसा के कथन को उद्धृत कर सन्त पापा ने लिखा , "मुझमें बहुत-सी त्रुटियाँ हैं ... किन्तु ईश्वर नीचे झुकते तथा विश्व में अपना प्रेम एवं अपनी दया दर्शाने के लिये हमारा उपयोग करते हैं , वे हमारे पापों को हरते तथा हमारी तकलीफ़ों और हमारी भूलों को अपने ऊपर ढोते हैं. "     

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04 January 2019, 11:19