युवाओं के साथ संत पापा युवाओं के साथ संत पापा 

विश्व युवा दिवस के उद्घाटन समारोह में संत पापा ने युवाओं से कहा

संत पापा फ्राँसिस 34वें विश्व युवा दिवस में भाग लेने हेतु पनामा पहुँच चुके हैं जहाँ 24 जनवरी को पनामा के कम्पो संत मरिया अंतिग्वा में युवाओं ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया तथा संत पापा ने विश्व युवा दिवस का उद्घाटन किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इस अवसर पर युवाओं को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने कहा, "फिर एक बार एक ऐसी भूमि में आना कितना सुखद है जिसने इतने उत्साह एवं गरमजोशी के साथ हमारा स्वागत किया है। जब हम पनामा में विश्व युवा दिवस के लिए एकत्रित हुए हैं यह समस्त कलीसिया के लिए आनन्द एवं आशा का उत्सव है तथा विश्व के लिए विश्वास का साक्ष्य। "

मैं याद करता हूँ कि क्राकॉव में कई लोगों ने मुझसे पूछा कि क्या मैं पनामा जा रहा हूँ तब मैंने कहा था कि मैं नहीं जानता किन्तु पेत्रुस सचमुच वहाँ होंगे। पेत्रुस वहाँ जायेंगे। आज मैं यह कहते हुए खुश हूँ कि पेत्रुस आपके साथ है, आपके साथ मनाने एवं विश्वास तथा आशा को नवीकृत करने के लिए। पेत्रुस और कलीसिया आपके साथ हैं और हम आपको बतलाना चाहते हैं कि आप उसी ताजगी एवं बेचैनी के साथ आगे बढ़ने से नहीं डरें जो आपको आनन्दित होने तथा सुसमाचार के साक्ष्य के लिए अधिक तत्पर होने में मदद करेगा।

संत पापा ने कहा कि जैसा कि हमने सिनॉड में अनुभव किया है कि यह सुनने एवं साझा करने के द्वारा सम्भव हो सकता है हम एक साथ चलने के द्वारा एक-दूसरे को प्रोत्साहन देते हैं तथा भाई-बहनों की सेवा द्वारा प्रभु के सुसमाचार की घोषणा करते हैं। संत पापा ने विश्व युवा दिवस में भाग लेने हेतु युवाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें इस यात्रा के लिए काफी त्याग, तपस्या, प्रार्थना एवं समर्पण करना पड़ा है किन्तु वह शिष्य नहीं है जो निर्धारित स्थान तक पहुँचता बल्कि शिष्य वह है जो दृढ़ता के साथ निकलता है, जो जोखिम उठाने से नहीं डरता एवं आगे बढ़ता है। आप भी जोखिम उठाने और यात्रा करने से नहीं डरते हैं। आज हम एक साथ आ पाये हैं क्योंकि हम सभी ने यात्रा तय की है।  

संत पापा ने कहा कि हम सभी अलग भाषा संस्कृति एवं परिवेश से आये हैं किन्तु एक-दूसरे से मुलाकात करने में किसी को कोई आपति नहीं हैं क्योंकि हम जानते हैं कि कोई चीज है जो हमें एकता में बांधता है। इस तरह आप मुलाकात की संस्कृति के शिक्षक और निर्माता बन गये हैं क्योंकि आपमें वह ज्ञान है जो जानता है कि "सच्चा प्यार वैध अंतरों को खत्म नहीं करता, बल्कि एक बेहतर एकता में सामंजस्य स्थापित करता है।" जबकि दूसरी ओर झूठ का पिता लोगों के बीच विभाजन और झगड़ा लाना चाहता है। आप सभी ने हमें महसूस कराया है कि एक-दूसरे से मुलाकात करने का अर्थ एक-दूसरे के समान दिखना, सोचना, कपड़े पहनना, संगीत सुनना अथवा खेल का वस्त्र पहनना नहीं है।  

जी नहीं, मुलाकात की संस्कृति एक निमंत्रण है साझा सपने को सजीव रखना है। एक महान सपना जिसमें सबके लिए स्थान है। वही सपना जिसके लिए येसु ने क्रूस पर अपना जीवन अर्पित कर दिया और जिसके लिए पेंतेकोस्त के दिन पवित्र आत्मा उतरा तथा जिसने सभी के मन दिलों में आशा जगायी। उस आशा का नाम है येसु जो पिता के द्वारा भेजे गये ताकि वे सभी के हृदयों पर राज कर सकें। जिन्होंने हमें प्रेरित किया है कि हम एक-दूसरे को प्यार करें जैसा कि उन्होंने किया है। येसु ने कहा कि यदि तुम एक-दूसरे से प्रेम करेंगे तो इससे सब लोग जान जाएँगे कि तुम मेरे शिष्य हैं। (यो. 13:34-35)

संत पापा ने पनामा के संतों का स्मरण दिलाया जिन्होंने कहा था कि "ख्रीस्तीय होना सच्चाईयों के संग्रह पर विश्वास करना नहीं है, न ही नियमों का पालन करना अथवा पालन करने से मना करना। अगर ऐसा किया जाए तो यह हमें बंद कर देगा। ख्रीस्तीय वह है जो पूर्णता से प्यार करता, और जो प्रेम की मांग करता है। ख्रीस्तीयता ख्रीस्त का अनुकरण करना है अर्थात् उस सपने पर चलना है जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया है। उसी प्रेम से एक-दूसरे को प्यार करना जिसके द्वारा उन्होंने हमें प्यार किया है।  

हम क्यों एक हैं? निश्चय ही इसलिए क्योंकि हम जानते हैं कि हम प्रेम किये गये हैं उस प्रेम से जो चुप रहना नहीं चाहता और हमें चुनौती देता है कि हम उसका प्रत्तयुत्तर दें। यह ख्रीस्त का प्रेम है जो हमें चुनौती देता है।  ( 2 कोर. 5:14).

यह किसी पर दबाव नहीं डालता और न ही किसी को नीचा दिखलाता है यह प्रभु का प्रेम है। एक सम्मापूर्ण प्रेम जो हमें मुक्त करता तथा हमें चंगा कर ऊपर उठाता है।

संत पापा ने युवाओं से प्रश्न किया, कि क्या आप इस प्रेम पर विश्वास करते हैं, क्या यह प्यार आपके लिए कुछ मायने रखता है?

मरियम से भी इसी तरह का सवाल पूछा गया था। देवदूत ने उनसे पूछा कि क्या वह गर्व धारण करना और एक शिशु को जीवन देना चाहती है? तब उन्होंने उत्तर दिया था "देख मैं प्रभु की दासी हूँ तेरा कथन मुझमें पूरा हो जाए।" और मरियम ने साहस के साथ "हाँ" कहा था। उन्होंने ईश्वर के सपने को साकार करने का बल प्राप्त किया था। दूत आज हम प्रत्येक से पूछ रहे हैं। क्या आप सपने को साकार होने देना चाहते हैं? क्या आप इसे अपने हाथों, पाँवों और हृदय से साकार करना चाहते हैं। क्या आप पिता के प्रेम का एक नया क्षितिज खोलना चाहते हैं। उस रास्ते पर चलना जिसकी कल्पना आपने कभी नहीं की।

संत पापा ने सभी युवाओं को शुभकामनाएँ दी कि येसु उन्हें आशीष दे तथा अंतिग्वा की संत मरियम उनका साथ दे ताकि वे बिना भय कह सकें, "मैं प्रस्तुत हूँ, आपकी इच्छा पूरी हो।"

संत पापा ने सभी युवाओं को शुभकामनाएँ दी कि येसु उन्हें आशीष दे तथा अंतिग्वा की संत मरियम उनका साथ दे ताकि वे बिना भय कह सकें, "मैं प्रस्तुत हूँ, आपकी इच्छा पूरी हो।"

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25 January 2019, 16:24