रोम और विश्व को क्रिसमस सन्देश देते सन्त पापा फ्राँसिस रोम और विश्व को क्रिसमस सन्देश देते सन्त पापा फ्राँसिस 

रोम शहर एवं विश्व के नाम सन्त पापा फ्राँसिस का क्रिसमस सन्देश

वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्रमुख झरोखे से, मंगलवार 25 दिसम्बर को, ख्रीस्तजयन्ती महापर्व के उपलक्ष्य में, सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम शहर एवं सम्पूर्ण विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश जारी किया। आप सबको जो विश्व के हर क्षेत्र से हमारे साथ जुड़े हुए हैं, मैं बेथलेहम की आनंदमय उद्घोषणा को नवीकृत करता हूँ: "सर्वोच्च स्वर्ग में ईश्वर की महिमा प्रकट हो और पृथ्वी पर उसके कृपा पात्रों को शान्ति मिले"

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 25 दिसम्बर 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्रमुख झरोखे से, मंगलवार 25 दिसम्बर को, ख्रीस्तजयन्ती महापर्व के उपलक्ष्य में, सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम शहर एवं सम्पूर्ण विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश जारी किया.

"प्रिय भाइयो एवं बहनो, आप सबको क्रिसमस मुबारक!

आप सबको, रोम के विश्वासियों, आप सबको, तीर्थयात्रियों, तथा आप सबको जो विश्व के हर क्षेत्र से हमारे साथ जुड़े हुए हैं, मैं बेथलेहम की आनंदमय उद्घोषणा को नवीकृत करता हूँ: "सर्वोच्च स्वर्ग में ईश्वर की महिमा प्रकट हो और पृथ्वी पर उसके कृपा पात्रों को शान्ति मिले "(लूकस 2:14).

चरवाहों के सदृश जो सबसे पहले दौड़ते हुए गऊशाले की ओर गये, हम भी ईश्वर द्वारा प्रदत्त् चिन्ह के समक्ष आश्चर्यचकित होवें:. सन्त लूकस के अनुसार, स्वर्गदूत ने उनसे कहा था, आप एक बालक को कपड़ों में लपेटा और चरनी में लिटाया हुआ पायेंगे"

सन्त पापा ने प्रश्न किया, "वह शिशु जिसने हमारे लिये कुँवारी मरियम से जन्म लिया हमसे क्या कहना चाहता था? क्रिसमस का सार्वभौमिक सन्देश है क्या? क्या वह यह है कि ईश्वर भले पिता हैं और हम सब भाई बहन हैं.

भाईचारे के बिना हमारी योजनाएं विफल

यह सत्य मानवजाति के ख्रीस्तीय दृष्टिकोण का आधार है. येसु मसीह द्वारा प्रभु प्रदत्त भाईचारे के बिना एक और अधिक न्यायसंगत विश्व की रचना हेतु हमारे प्रयास कम पड़ जाते हैं di Più हमारी उत्तम से उत्तम परियोजनाओं पर भी निर्जीव ढाँचें बन कर रह जाने का ख़तरा उत्पन्न हो जाता है.

यही कारण है कि ख्रीस्तजयन्ती महापर्व पर मेरी हार्दिक शुभकामना आपस में भाईचारे की है. ्रत्येक राष्ट्र और संस्कृति के व्यक्तियों के बीच भाईचारा. विविध विचारों वाले किन्तु परस्पर सम्मान करने तथा अन्यों की सुनने की क्षमता रखनेवाले व्यक्तियों के बीच भाईचारा. विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच भाईचारा. येसु उन सबको प्रभु ईश्वर के मुखमण्डल का दर्शन कराने आये हैं जो ईश्वर की तलाश में रहा करते हैं.

जातियों, भाषाओं एवं संस्कृतियों की विविधता में भाईचारा

ईश्वर का मुखमण्डल ठोस रूप से मानव के मुखमण्डल में प्रकट हुआ है. किसी स्वर्गदूत में वह प्रकट नहीं हुआ अपितु एक मनुष्य में प्रकट हुआ है, उसमें जिसने एक समय में, एक स्थल पर जन्म लिया. इस प्रकार, अपने देहधारण से, ईशपुत्र हमें संकेत देते हैं कि मुक्ति प्रेम, स्वागत और आतिथेय तथा हमारी इस अकिंचन मानवीयता से होकर गुज़रती है जिसके अन्तर्गत जातियों , भाषाओं एवं संस्कृतियों की एक महान विविधता को हम सब साझा करते हैं ..., किन्तु सबके सब मानवता में भाई बहन हैं !

अस्तु, हमारे मतभेद एक बाधा या खतरा नहीं हैं; अपितु वे समृद्धि का एक स्रोत हैं. यह ऐसा ही है जैसे किसी मोज़ेक बनानेवाले कलाकार के साथ होता हैः केवल कंगों रंगों की खपरैल या टाईल्स होने के बजाय कई रंगों की खपरैल उपलब्ध होना बेहतर है. "

तदोपरान्त, पारिवारिक संरचना के प्रति ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा फाँसिस ने कहा, "परिवारों का अनुभव हमें सिखाता है कि भाइयों एवं बहनों के सदृश, हम सब एक दूसरे से भिन्न हैं. हम सदैव एक दूसरे से सहमत नहीं होते, तथापि, एक अटूट बंधन है जो हमें जुटकजुट करता है, हमर हमारे माता पिता का प्यार परस्पर प्रेम में हमारी सहायता करता है. बृहद मानव परिवार के लिए भी यही सच है, किन्तु यहाँ, ईश्वर हमारे " माता-पिता "हैं, वे ही हैं हमारी बिरादरी की नींव और शक्ति. मेरी मंगलकामना है कि यह क्रिसमस भाईचारे के उस बन्धन की पुनर्खोज में हमारी मदद करे जो हमें मानव व्यक्ति के सदृश सब लोगों के साथ संयुक्त करता है."

कठिन परिस्थितियों में पड़े राष्ट्रों का स्मरण

फिर, सन्त पापा फ्राँसिस ने कठिन परिस्थितियों में पड़े विभिन्न राष्ट्रों का स्मरण किया, उन्होंने कहा, "भाईचारे का यह बन्धन इस्राएली एवं फिलीस्तीनियों को पुनः वार्ताएं शुरु करने तथा शांति के मार्ग पर चलने दे ताकि उस संघर्ष का अन्त हो सके जो प्रभु द्वारा अपना प्रेममय मुखमण्डल प्रदर्शित करने के लिये चुनी गई भूमि को सत्तर साल से तहस-नहस कर रहा है. "

संघर्ष से घिरे सिरिया के लिये मंगलयाचना करते हुए सन्त पापा ने कहा, "बालक येसु प्रिय और शहीद सिरिया को इस दीर्घकालीन युद्ध के बाद एक बार फिर भाईचार् की पुनर्खोज का साहस दें. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय निर्णायक ढंग से एक ऐसे राजनैतिक समाधान की खोज करे जो विभाजनों एवं व्यक्तिगत स्वार्थ को दूर रखे ताकि सिरिया के लोग, विशेष रूप से, वे लोग जो अपने घरों का पलायन कर अन्यत्र शरण खोजने के लिये बाध य किये गये हैं पुनः अपने देश में शांतिपूर्वक जीवन यापन के लिये लौट सकें.

न के प्रति मेरे विचार अभिमुख होते हैं, इस आशा के साथ कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की मध्यस्थता से हुआ युद्धविराम अन्ततः युद्ध एवं अभावों से त्रस्त अनेकानेक बच्चों एवं लोगों को राहत पहुँचाये.

मेरे विचार अफ्रीका के प्रति अभिमुख होते हैं, जहाँ लाखों व्यक्ति शरणार्थी अथवा विस्थापित हैं तथा जिन्हें मानवतावादी सहायता एवं खाद्य सुरक्षा की नितान्त आवश्यकता है. ईश्वरीय शिशु, शांति के राजा, हथियारों के शोर को बन्द करे तथा राजनैतिक एवं सामाजिक स्तर पर, पुनर्मिलन के मार्ग को प्रशस्त करने हेतु प्रयास करनेवालों को आशीष प्रदान करते हुए, सम्पूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप में भाईचारे के नवीन उषाकाल का उदय होने दे."

कोरिया के लिये प्रार्थना करते हुए सन्त पापा ने कहा, "क्रिसमस महापर्व कोरियाई प्रायद्वीप को एकजुट करने वाले भाईचारे के बंधन को समेकित करे तथा हाल ही में पास आने के लिये शुरु मार्ग पर अग्रसर होने की कृपा प्रदान करे जिससे ऐसे साझा समाधान ढूँढ़े जा सकें जो सभी के विकास एवं सभी की भलाई को सुनिश्चित्त करें. "  

वेनेज़ूएला, यूक्रेन एवं निकारागुआ के लिये भी सन्त पापा ने प्रार्थना की, "आशीर्वाद का यह समय वेनेजुएला में सद्भाव की पुनर्स्थापना तथा सभी सामाजिक घटकों को भाईचारे के साथ देश के विकास के लिए काम करने और आबादी के सबसे कमजोर वर्गों की सहायता करने की अनुमति प्रदान करे.

जन्म लेनेवाले प्रभु प्रिय यूक्रेन को राहत दिलाये जो स्थायी शांति को पुनः हासिल करने के लिये लालायित है. केवल, प्रत्येक राष्ट्र का सम्मान करनेवाली, शांति से ही यह राष्ट्र उस पर हुए अत्याचारों को अभिभूत कर सकेगा और अपने नागरिकों के लिये प्रतिष्ठापूर्ण जीवन परिस्थितियों की स्थापना कर सकेगा. उस क्षेत्र के ख्रीस्तीय समुदायों के समीप हूँ तथा प्रार्थना करता हूँ कि वहाँ भ्रातृत्व एवं मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बुना जा सके.

मेरी आशा है कि शिशु येसु के समक्ष प्रिय राष्ट्र निकारागुआ के लोग परस्पर भाईचारे का अनुभव करें ताकि विभाजन और मतभेद प्रबल न रहें अपितु सबके सब मिलकर पुनर्मिलन एवं राष्ट्र के भावी निर्माण हेतु योगदान प्रदान करें."

वैचारिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उपनिवेशवाद से पीड़ित लोगों का स्मरण

सन्त पापा ने आगे कहा, "उन लोगों का मैं स्मरण करना चाहता हूँ, जो वैचारिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उपनिवेशवाद से पीड़ित हैं, उनकी आजादी और पहचान को तहस-नहस होते हम देख रहे हैं, वे भूख से पीड़ित हैं, शैक्षिक और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से वे पीड़ित हैं.

एक विशेष विचार हमारे उन भाइयों और बहनों के प्रति अभिमुख होता है, जो कठिन और यहाँ तक कि शत्रुतापूर्ण परिस्थिति में प्रभु के जन्म का जश्न मनाने के लिये बाध्य हैं, विशेष रूप से, उन स्थलों में जहाँ ईसाई समुदाय अल्पसंख्यक हैं और प्रायः असुरक्षित रहते जा जिनकी अनदेखी कर दी जाती है. प्रभु इन सब लोगों को और सभी अल्पसंख्यकों को शांतिपूर्ण जीवन यापन, मानवाधिकारों की मान्यता तथा धार्मिक स्वतंत्रता का वरदान दे.

जिस नन्हें और ठंड से ठिठुरे, चरनी में लेटे लालक पर हम आज विचार कर रहे हैं वह धरती के समस्त बच्चों एवं प्रत्येक कमज़ोर, असुरक्षित एवं फेंक दिये गये व्यक्ति की रक्षा करे. हम सब उद्धारकर्ता के जन्म से शांति और विश्राम प्राप्त करें तथा एकमात्र स्वर्गिक पिता ईश्वर के प्रेम का अनुभव प्राप्त कर ख़ुद की पुनर्खोज करें और भाइयों के सदृश जीवन यापन कर सकें!"

इन शब्दों से रोम शहर एवं सम्पूर्ण विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश समाप्त कर सन्त पापा फ्राँसिस ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तथा रेडियो, टेलेविज़न एवं इन्टरनेट के माध्यम से संयुक्त सभी लोगों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया.

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25 December 2018, 11:51