जुनून के साथ जीने वाला ही जीवन का चैम्पियन
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
"आपकी उपस्थिति आज के समाज में खेल के महत्व को रेखांकित करने का अवसर प्रदान करता है।" यह बात संत पापा फ्राँसिस ने मोटर साइकिल सवारी प्रतियोगिता में भाग लेने वालों से कही जो आगामी संत मरिनो के ग्रैंड प्रीक्स ओक्टो एवं रिमिनी में भाग लेंगे।
5 सितम्बर को वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में संत पापा ने मोटर साइकिल सवारी प्रतियोगिता के आयोजकों, प्रशिक्षकों एवं खिलाड़ियों से मुलाकात की। प्रतियोगिता 7 से 9 सितम्बर तक आयोजित की गयी है।
खिलाड़ियों से कलीसिया की उम्मीद
संत पापा ने खेल प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर कहा, "कलीसिया चाहती है कि खेल प्रतियोगिता को नियमों के पूर्ण सम्मान के साथ, एक मान्य शैक्षिण उपकरण के रूप में खेला जाए, खासकर, युवा पीढ़ी के लिए।"
उन्होंने कहा कि खेल का अवसर वास्तव में, अपने आपसे तथा अपने स्वार्थ से बाहर निकलने का एक स्वस्थ उत्प्रेरक है, यह त्याग की भावना सिखलाता तथा आपसी संबंध, मित्रता एवं नियमों के लिए सम्मान के प्रति निष्ठा को जगाता है।
समाज एवं कलीसिया में खेल का महत्व
मानवीय एवं ख्रीस्तीय स्तर पर खेल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि जो लोग खेल से जुड़े होते हैं वे विभिन्न स्तरों पर मानवीय एवं ख्रीस्तीय मूल्यों को बढ़ावा देते हैं जो अधिक न्यायसंगत एवं सहयोगपूर्ण समाज स्थापित करता है। यह संभव है क्योंकि खेल में एक विश्वव्यापी भाषा का प्रयोग किया जाता है जो हर सीमा, भाषा, जाति, धर्म और विचारधारा के परे जाती है। यह तब प्रकट होता है जब खेल को पसंद किया जाता और दिल से खेला जाता है अतः खेल के पास लोगों को एकता के सूत्र में बांधने तथा वार्ता एवं स्वागत की भावना को बढ़ावा देने की आंतरिक शक्ति है।
संत पापा ने खेल के प्रतिनिधियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा, "मैं खेल के मूल्यों को बनाये रखने का प्रोत्साहन देता हूँ, इस तरह आप एक अधिक न्यायसंगत एवं सहयोगपूर्ण समाज के निर्माण में सहयोग देंगे।"
दुनिया को उत्साही लोगों की आवश्यकता
संत पापा ने युवाओं को उत्साह से जीने की सलाह दी तथा कहा कि यदि उनके जीवन में जोश होगा तो कठिनाइयाँ उन्हें डिगा नहीं पायेंगी। उन्होंने कहा, "इस दुनिया को उत्साही लोगों की आवश्यकता है। आप जोश के साथ जीयें, न कि उस व्यक्ति के समान जो जीवन को एक भार समझता है। जोश हमें आगे ले चलता है।"
उन्होंने युवाओं को दूसरी महत्वपूर्ण बिन्दु से अवगत कराया, वह है "जीवन का चैम्पियन"। संत पापा ने कहा कि खेल के द्वारा एक खिलाड़ी दल का चैम्पियन बन जाता है जबकि जीवन का चैम्पियन वह है जो जुनून के साथ जीता है, जो पूर्णता के साथ जीता है। उत्साह एवं जीवन का चैम्पियन ये दो सुन्दर शब्द हैं।
संत पापा ने खेल के सभी प्रतिनिधियों को प्रार्थना भरी शुभकामनाएं देते हुए उनपर ईश्वर के आशीष की कामना की।
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