संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

संत पापा ने राजनेताओं के लिए प्रार्थना की

संत मर्था प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने विभिन्न देशों के राजनेताओं को याद कर उनके लिए प्रार्थना की। इस महामारी के समय में उनका कार्य बहुत महत्वपूर्ण है यह लोगों की सेवा का एक उच्च रूप है। प्रवचन में संत पापा ने याद दिलाया कि ख्रीस्तियों को न केवल आज्ञाओं का पालन करना चाहिए, बल्कि आत्मा द्वारा स्वयं को शालीनता के साथ नेतृत्व करने की अनुमति देना चाहिए। पवित्र आत्मा हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें अंजान जगह ले जाता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 20 अप्रैल 2020 (रेई) : आज, ईस्टर के दूसरे सप्ताह का सोमवार, वाटिकन के संत मर्था प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान किया। परिचय में, उन्होंने राजनीति में शामिल सभी लोगों को याद करते हुए कहा, ʺआइए, आज हम उन पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रार्थना करते हैं जो राजनीति से जुड़े हुए है। राजनीति सेवा का एक उच्च रूप है। विभिन्न देशों के राजनीतिक दलों के लिए प्रार्थना करें, ताकि महामारी के इस क्षण में वे अपनी पार्टी की भलाई से उपर उठकर पूरे देश की भलाई के लिए एकजुट हों।

आत्मा में दुबारा जन्म

अपने प्रवचन में संत पापा ने आज के सुसमाचार पाठ (योहन 3,1-8) पर चिंतन किया, जहाँ येसु के साथ निकोदेमुस का सम्भाषण वर्णित है। संत पापा ने कहा कि निकोदेमुस एक भला फरीसी यहूदियों की महासभा का सदस्य, रात को येसु से मुलाकात करने जाता है। रात में इसलिए कि येसु और फरीसियों में नहीं बनती थी। निकोदेमुस ने स्वीकार किया कि येसु ईश्वर की ओर से आये गुरु हैं। परंतु दुबारा जन्म लेने की बात उसकी समझ से परे थी। शरीर से कोई भी व्यक्ति दुबारा जन्म नहीं ले सकता। आत्मा में किस तरह जन्म ले सकता है क्योंकि आत्मा अप्रत्याशित हैं। इसपर येसु निकोदेमुस को समझाते हैं जो शरीर से उत्पन्न होता है वह शरीर है और जो आत्मा से उत्पन्न होता है वह आत्मा है। येसु ने आत्मा की तुलना पवन से करते हुए कहा, पवन जिधर चाहता, उधर बहता है। आप उसकी आवाज सुनते हैं, किन्तु आप नहीं जानते कि वह किधर से आता और किधर जाता है। उसी तरह जो पवित्र आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है। जो कोई भी खुद को आत्मा द्वारा निर्देशित होने देता है वह एक विनम्र और स्वतंत्र व्यक्ति है। संत पापा ने कहा कि हर ख्रीस्तीय को न केवल आज्ञाओं का पालन करना चाहिए, बल्कि खुद को आत्मा के नेतृत्व में रहने देना चाहिए। पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में अपने कार्यों को करते रहना चाहिए।

पवित्र आत्मा का वरदान

संत पापा ने पहले पाठ (प्रेरित चरित 4,23-31) को उद्धृत करते हुए कहा कि पेत्रुस और योहन रिहा होने के बाद अपने लोगों के पास लौटे और महायाजकों तथा नेताओं ने जो कुछ उन से कहा था वह सब बतलाया। उनकी बातें सुनकर उन्होंने मिलकर प्रार्थना की। उन्होंने निर्भीकता से प्रभु का वचन सुनाने और ईसा के नाम पर स्वास्थ्यलाभ, चिन्ह तथा चमत्कार प्रकट होने हेतु प्रार्थना की। प्रार्थना समाप्त होते ही वह भवन हिल गया। सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गये और निर्भीकता एवं साहस के साथ ईश्वर का वचन सुनाने बाहर निकल पड़े। संत पापा ने कहा कि यह साहस आत्मा का फल है। प्रार्थना हमारे अंदर आत्मा का द्वार खोलता है। पवित्र आत्मा हमें स्वतंत्र और निर्भीक बनाता है, हमारी वाणी में स्पष्टता प्रदान करता है और हमें साहस प्रदान करता है। हम कभी नहीं जान पाएंगे कि वह हमें कब और कहां ले जाएगा। अतः हमें पवित्र आत्मा द्वारा निर्देशित होने के लिए अपने आप को खुला रखना चाहिए।

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20 April 2020, 14:07
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