संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

हम उन लोगों के लिए प्रार्थना करें जो भय में जी रहे हैं, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने "महामारी के कारण भय" में जीने वालों के लिए प्रार्थना की ताकि वे इस भय से उबर सकें। संत पापा ने पवित्र मिस्सा के दौरान दैनिक पाठ के आधार पर दो महिलाओं पर चिंतन किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 30 मार्च 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार सुबह संत मर्था प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा उन सभी लोगों के लिए अर्पित किया जो कोरोना वायरस की महामारी का सामना नहीं कर पा रहे हैं और भय में जी रहे हैं। प्रभु उनकी मदद करें। संत पापा ने समाज और पूरे समुदाय की भलाई के लिए प्रार्थना की।

संत पापा फ्राँसिस ने आज के दोनों पाठों (दानिएल 13,41-62; योहन 8:1-11) पर चिंतन किया। प्रथम पाठ सुसाना और दूसरे पाठ में व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री के बारे में है।

दो महिलाएँ

संत पापा ने अपना प्रवचन आज के अंतरभजन (स्तोत्र 23 ) से शुरु किया, "प्रभु मेरा चरवाहा है मुझे किसी बात की कमी नहीं। चाहे मुझे अंधेरी घाटी से होकर जाना पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की शंका नहीं, क्योंकि तू मेरे साथ है।"

संत पापा ने कहा कि सुसाना और व्यभिचार में पकड़ी गई महिला दोनों ने अंधेरी घाटी में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव किया। निर्दोष सुसाना पर झूठा आरोप लगाया गया था और दूसरी ने पाप किया था। दोनों को मौत की सजा सुनाई गई थी।

पुरुषों का दो समूह

संत पापा ने उपस्थित पुरुषों के दो समूहों पर टिप्पणी की। दोनों समूहों का कलीसिया में विशेष स्थान था। एक न्यायाधीशों का समूह और दूसरा धर्माचार्यों का। सुसाना की निंदा करने वाले भ्रष्ट थे; व्यभिचार में पकड़ी गई महिला की निंदा करने वाले पाखंडी थे।

महिलाओं की प्रतिक्रिया

संत पापा ने कहा, “एक महिला पाखंडियों के हाथों में पड़ गई और दूसरी भ्रष्टाचारियों के हाथों में। दोनों महिलाएं अंधेरी घाटी में थीं ... मृत्यु की ओर बढ़ रही थीं। पहली महिला सुसाना  स्पष्ट रूप से खुद को प्रभु को सौंपती है और प्रभु उसे बचाते हैं। दूसरी महिला जानती है कि वह दोषी है। वह सभी लोगों के सामने शर्मिंदा है ... सुसमाचार यह नहीं कहता है, लेकिन निश्चित रूप से वह प्रभु से प्रार्थना कर रही थी कि प्रभु उसे बचा ले।”

ईश्वर का हस्तक्षेप

संत पापा ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभु का हस्तक्षेप प्राप्त है। ईश्वर सुसाना को सही ठहराता है और व्यभिचारी महिला को क्षमा करता है, भ्रष्ट न्यायाधीश खुद ही अपने बनाये जाल में फंस जाते हैं और पाखंडी लोगों को खुद को बदलने हेतु मदद मिलती है।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर भ्रष्टाचारियों को क्षमा नहीं किया, क्योंकि वे खुद के बारे में सुनिश्चित थे इसलिए वे क्षमा माँगने में असमर्थ थे… उन्होंने खुद को भगवान के स्थान पर रखा और खुद को नष्ट कर दिया।

ईश्वर ने महिलाओं की प्रार्थना सुनी। सुसाना को भ्रष्ट लोगों से मुक्ति मिली ... दूसरी को येसु ने कहा, "मैं भी तुम्हें दंड नहीं दूँगा। जाओ और अब से फिर पाप नहीं करना।''

शिक्षा

संत पापा ने कहा कि सुसाना के मामले में, लोगों ने ईश्वर की प्रशंसा की। येसु के साथ वहाँ उपस्थित लोग और व्यभिचार में पकड़ी गई महिला ने "ईश्वर की दया के बारे में जाना"। आज हम सभी को सबक सीखने की जरूरत है क्योंकि "हम में से हर एक की अपनी कहानी है, हमारे अपने निजी पाप हैं।" अगर हम अपने पापों को नहीं पहचानते हैं, तो "हम भ्रष्ट हैं और ईश्वर भ्रष्टाचारियों को क्षमा नहीं कर सकते।

अपने प्रवचन को अंत करते हुए संत पापा ने प्रभु पर भरोसा रखने हेतु कृपा मांगने के लिए प्रेरित किया। "मुझे अंधेरी घाटी से होकर जाना पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की शंका नहीं, क्योंकि प्रभु मेरे साथ है।"

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30 March 2020, 13:18
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