संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा द्वारा कोरोना वायरस पीड़ितों के लिए मिस्सा समारोह

9 मार्च, सोमवार सुबह को संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय से कोविद-19 कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों के लिए पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया जिसका सीधा प्रसारण किया गया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 9 मार्च 2020 (वाटिकन न्यूज) : “इन दिनों, मैं उन लोगों के लिए पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित करूँगा जो कोरोना वायरस महामारी के शिकार हैं, डॉक्टरों, नर्सों, स्वयंसेवकों के लिए जो उनकी मदद कर रहे हैं, उनके परिवारों के लिए, नर्सिंग होम के बुजूर्गों और कैदियों के लिए।" उक्त बातें संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन पवित्र मिस्सा बलिदान समारोह के शुरु में कही। संत पापा ने इस विशेष निवेदन के लिए इस सप्ताह सभी से प्रार्थना करने की अपील की।

पवित्र मिस्सा के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने दानियल नबी के ग्रंथ से लिये गये प्रथम पाठ (9:4-10) पर चिंतन किया। उन्होंने इसे "पाप की स्वीकारोक्ति" के रूप में प्रस्तुत किया।

लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने पाप किया था। “हमने पाप किया है, अधर्म और बुराई की है, हमने तेरे विरुद्ध विद्रोह किया है। हमने तेरी आज्ञाओं तथा नियमों का मार्ग त्याग दिया है। नबी तेरे सेवक, हमारे राजाओं, नेताओं, पुरखों और समस्त देश के लोगों को उपदेश देते थे। हमने उनकी शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया है।”

संत पापा ने कहा कि यह पाप की स्वीकारोक्ति है, उन्होंने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने पाप किया है।

पापस्वीकार संस्कार की तैयारी

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "जब हम पापस्वीकार संस्कार प्राप्त करने के लिए खुद को तैयार करते हैं, तो हमें अपने अंतःकरण की जाँच करनी होगी।" संत पापा ने बौद्धिक स्तर पर किए गए पापों और हृदय से किये गये पापों की मान्यता के बीच अंतर को स्पष्ट किया। संत पापा ने कहा कि अपने मन में पापों की सूची बनाने के लिए हमें अपने पापों को स्वीकार करने और यह कहने की जरुरत है कि हमने पाप किया है। हमें पुरोहित को बताने की जरुरत है तभी पुरोहित हमारे पापों की क्षमा देते हैं। सच्चा पछतावा दिल में होना चाहिए।

मन से दिल की ओर बढ़ना

संत पापा ने नबी दानिएल के समान एक कदम आगे बढ़ाने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा, हमें दानिएल के समान अपने पापों को दिल से स्वीकार करना है और ईश्वर के सामने कहना है कि हम अपने पापों के लिए शर्मिंदा हैं।

संत पापा ने कहा, “जब मुझे एहसास होता है कि मैंने पाप किया है, मैंने अच्छी तरह से प्रार्थना नहीं की है और मैं इसे अपने दिल में महसूस करता हूँ, मुझे शर्मीदगी महसूस होती है ... हमारे पापों के लिए शर्मिंदा होना एक अनुग्रह के रूप में हमें मांगने की ज़रूरत है। एक व्यक्ति जिसने शर्म की भावना खो दी है, उसने नैतिकता के फैसले की भावना खो दी है और दूसरों के लिए सम्मान भी खो दिया है।

हम ईश्वर के दिल को छूते हैं

संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर गौर किया कि जब हमारे द्वारा पाप की गई स्मृति को शर्म की भावना से जोड़ा जाता है, तो "यह ईश्वर के दिल को छूता है।" शर्म की भावना हमें ईश्वर की दया का अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है। तब हमारा पापस्वीकार, पापों की सूची को पढ़ने मात्र में शामिल नहीं होगी, लेकिन यह महसूस कर पायेंगे कि हमने उस ईश्वर को दुखित किया है जो इतने अच्छे और दयालु हैं।"

संत पापा ने अपने प्रवचन को अंत करते हुए कहा, "आज, हम अपने पापों के लिए शर्म महसूस करने की कृपा मांगें। प्रभु हम सभी को यह अनुग्रह प्रदान करें।"

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09 March 2020, 16:24
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