संत पापा, संत मार्था के प्रार्थनालय में संत पापा, संत मार्था के प्रार्थनालय में  (Vatican Media)

पाखंडता, ईश्वर से दूरी का कारण

संत पापा फ्रांसिस ने संत मार्था ने अपने निवास में प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान ख्रीस्तियों की पाखंडता पर प्रकाश डाला।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन के अपने निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान प्रवचन में कहा यदि हम ख्रीस्तीय जीवन को “एक सामाजिक आदत” के रुप में जीते हैं तो हम येसु ख्रीस्त को जीवन में लाने के बदले अपने हृदय से दूर कर देते हैं।

दिखावे की धार्मिकता

संत पापा ने दिखावे की धर्मिकता पर चिंतन करते हुए कहा कि हम ख्रीस्तीय समुदाय में जन्म लिये हैं, जहाँ हम अपनी ख्रीस्तीय जीवन को “एक सामाजिक आदत” के रुप में जीते हैं। यह हममें “दिखावे की धार्मिकता” को बयां करती है जहाँ हम अपने को प्रेम करने से तटस्थ रखते हैं। इस तरह हम यूख्रारीस्त बलिदान में सहभागी होते लेकिन येसु को गिराजघर में ही छोड़ देते हैं, वे हमारे घरों में, हमारे दैनिक जीवन का अंग नहीं बनते हैं। संत पापा ने कहा कि धिक्कार है हमें, जो हृदय से येसु को खोजते हैं, “हम ख्रीस्तीय हैं लेकिन अविश्वासियों की तरह जीवन यापन करते हैं।” संत पापा ने अपने चिंतन, संत लुकस के सुसमाचार अनुसार बेथेसाईदा, कोरेजिम और कफनाहूम जिन्होंने येसु के चमत्कारों को देखते हुए भी विश्वास नहीं किया, सबों को आत्मा परिक्षण करने का निमंत्रण दिया।

ईश्वरीय चाह हमारे हृदयों को स्पर्श करना

संत पापा ने कहा, “येसु विश्वासी शहरों के द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने के कारण अपने में दुःख का अनुभव करते हैं।” यदि वही चमत्कार तीरूस और सीदोन जैसे अविश्वासी शहरों में किये गये होते तो उन्होंने उन पर “निश्चित रूप से विश्वास किया होता”। येसु अपने दुःख को व्यक्त करते हैं,“क्योंकि जिन्हें उन्होंने प्रेम किया वहाँ के लोगों ने उनका तिरस्कार किया।” येसु अपनी तानाशाही शिक्षा के मध्य नहीं वरन् अपने प्रेमपूर्ण संदेश द्वारा वहाँ के लोगों के “हृदयों का स्पर्श करना चाहते थे।”

ईश्वर का दान अनंत

संत पापा ने कहा कि वहाँ के निवासियों के स्थान में हम अपने आप को रखें,“मैंने ईश्वर से कितना अधिक पाया है, मैं ख्रीस्तीय समाज में जन्म लिया हूँ, मैं येसु ख्रीस्त, उनसे मिलने वाली मुक्ति से वाकिफ हूँ, मेरी परवरिश विश्वास में हुई है। लेकिन इस सारी चीजों के बावजूद मैं येसु को भूल जाता हूँ।” संत पापा ने कहा,“वहीं दूसरे लोग हैं जो येसु के बारे में सुनते और उनका मन परिवर्तन होता, वे उन पर विश्वास करते हैं, लेकिन हम अपने में ढ़ीठ बने रहते हैं।”

ख्रीस्तीयता एक आदत जैसी 

यह हठ धार्मिकता हमें चोट पहुँचाती है क्योंकि हम अपने को सामाजिक स्तर तक ही सीमित बनाये रखते हैं, हम येसु के साथ एक संबंध में प्रवेश नहीं करते हैं। येसु हम सबों से, प्रत्येक जन से बातें करते हैं। उनका प्रवचन हमारे लिए है। गैर-ख्रीस्तीय कैसे उनकी बातों को सुन कर उनके पीछे हो लेते और हम जो ख्रीस्तीय परिवारों में जन्म लिया है हम वैसे के वैसे ही बने रहते हैं। हमारी ख्रीस्तीयता हमारे लिए एक सामाजिक आदत जैसी है, एक वस्त्र जैसे जिसे हम पहनते और उतार कर छोड़ देते हैं। येसु ख्रीस्त हमारे जीवन के देख कर रोते हैं क्योंकि हम सच्चे ख्रीस्त के समान नहीं वरन औपचारिकता में जीवन जीते हैं।

संत पापा ने कहा, “यदि हम ऐसा करते हैं तो हम अपनी में एक तरह से पाखंडी हैं, हममें धर्मिकता का पाखंड है।”

हमारा पाखंड

उन्होंने कहा कि पापियों का पाखंड है, लेकिन धार्मिकता का पाखंड येसु ख्रीस्त से प्रेम का भय है  जहाँ हम अपने को दूसरों के द्वारा प्रेम करने नहीं देते हैं। जब हम ऐसा करते तो हम येसु के साथ अपने संबंध को लेकर तोल-मेल करते हैं। “मैं मिस्सा जाता हूँ, लेकिन मैं गिरजा में रुकता और फिर वापस घर आ जाता हूँ।” येसु  हमारे साथ हमारे घरों में नहीं आते हैं, हम उसे अपने परिवारों में, बच्चों की शिक्षा, स्कूल और अपने पड़ोस में नहीं पाते हैं...।

संत पापा ने अपने कड़े स्वर में कहा, “हम येसु को गिरजाघर में ही, क्रूस पर टांग छोड़ देते हैं।”

आत्म-परिक्षण करें

संत पापा ने कहा कि हमारे लिए आज आत्म-परिक्षण करने का दिन है, “क्योंकि ईश्वर ने हमें इतना कुछ दिया है, अपने आप को दिया है, लेकिन हम ख्रीस्तीय होते हुए भी एक छिछला जीवन यापन करते हैं। वास्तव में, जब हम इस तरह पाखंडी ख्रीस्तीय जीवन जीते तो हम येसु को अपने हृदय से दूर भगा देते हैं। हम अपने में दिखावा करते हैं कि वे हमारे साथ हैं लेकिन वे हम से दूर हैं। हम ख्रीस्तीय होने का गौरव करते लेकिन हम गैर-ख्रीस्तियों के समान जीते हैं।”

संत पापा ने अपने प्रवचन के अंत में विश्वासियों को चिंतन करने हेतु आह्वान करते हुए कहा, “हम मनन करें, क्या मैं कोरेजिम हूँॽ क्या वे बेथेसाईदा हैंॽ क्या वे कफरनाहूम हैंॽ और यदि येसु रोते हैं तो हम अपने लिए भी आंसूओं की कृपा मांगें।

कृतज्ञता की प्रार्थना

हम उनके पास इस तरह प्रार्थना करें, “प्रभु तुने मुझे इतना कुछ दिया है। लेकिन मेरा हृदय इतना कठोर है कि यह तुझे अपने अन्दर प्रवेश करने नहीं देता हूँ। मैंने कृतघ्नता का पाप किया है, मैं अकृतज्ञ हूँ, मैं अकृतज्ञ हूँ।” हम पवित्र आत्मा से निवेदन करें कि वे हमारे हृदयों को खोल दें जिससे येसु ख्रीस्त हमारे जीवन में प्रवेश कर सकें, हम केवल उनकी वाणी को केवल न सुनें बल्कि उनकी मुक्ति के संदेश को भी अपने जीवन में ग्रहण कर सकें, ईश्वर से मिले हुए उपहारों के लिए, उनके द्वारा किये गये कार्यों के लिए हम उन्हें धन्यवाद दे सकें।

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05 October 2018, 16:07
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