2018-06-14 संत मर्था में ख्रीस्तयाग  अर्पित करते संत पापा 2018-06-14 संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

येसु मेल-मिलाप चाहते हैं, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कहा कि येसु हमें पूर्ण रूप से मेल-मिलाप करने का निमंत्रण देते हैं।

उषा मनोरमा तिर्की-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 14 जून को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में संत मत्ती रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया।

संत पापा ने कहा कि येसु शिष्यों के साथ तर्क करने के लिए मानवीय प्रज्ञा का प्रयोग करते हैं। प्रेम संबंध पर शिक्षा देते हुए वे दैनिक जीवन के उदाहरणों का प्रयोग करते हैं।

अपमानजनक शब्दों का प्रयोग खतरनाक

उन्होंने कहा कि येसु जिन अपमानजनक शब्दों की सूची बतलाते हैं वे पुराने हैं। वे बतलाते हैं कि अपमान उस रास्ते को खोल देता है जो हत्या में समाप्त होता है। अपमान द्वारा हम दूसरों को अयोग्य ठहराने की कोशिश करते हैं, उनके सम्मान को कम करने और उनका तिरस्कार करने का प्रयास करते हैं, उन्हें मौन रहने के लिए मजबूत करते एवं उन्हें आवाजहीन बना देते हैं।  

संत पापा ने कहा कि अपमान बहुत खतरनाक है क्योंकि यह ईर्ष्या की ओर ले चलता है और प्रज्ञा ग्रंथ के अनुसार इसी के द्वारा शैतान दुनिया में प्रवेश करता है। जब कोई व्यक्ति कुछ अच्छा काम करता है हम उसे पसंद नहीं करते या कोई हमें चेतावनी देता है तब ईर्ष्या हमें प्रेरित करती है कि हम उसका अपमान करें।

 चिंतन का आह्वान

संत पापा ने चिंतन करने का आह्वान करते हुए कहा, "क्या मैंने किसी का अपमान किया है? मैं कब दूसरों का अपमान करने का प्रयास करता हूँ? कब मैं दूसरों के अपमान के कारण अपना हृदय द्वार बंद कर लेता हूँ? क्या मैंने ईर्ष्या के कड़वे रास्ते को महसूस किया है जो मुझे प्रतियोगिता में बदले की भावना से दूसरों के विनाश की ओर प्रेरित करता है। संत पापा ने कहा कि यह कठिन है किन्तु यह कितना अच्छा होता यदि हम कभी किसी का अपमान नहीं करते। ईश्वर हमें इसके लिए कृपा प्रदान करे।

येसु अपमान करने की क्रिया को रोकना चाहते हैं

येसु अपमान करने की क्रिया को रोकना चाहते हैं। जब हम ख्रीस्तयाग में भाग लेते हैं और वहाँ हमें याद आती है कि हमारा भाई हमारे खिलाफ है तब हम उसके पास जाकर  मेल-मिलाप करें। संत पापा ने कहा कि मेल-मिलाप करना कोई औपचारिकता नहीं है किन्तु एक सच्चा मनोभाव है जिसके द्वारा व्यक्ति दूसरों की प्रतिष्ठा को सम्मान देने का प्रयास करता है। आज येसु हमें अपमान से मेल-मिलाप, ईर्ष्या से मित्रता में बढ़ने की शिक्षा देते हैं। 

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07 July 2018, 12:13
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