सिनॉडालिटी पर एशिया महाद्वीप की महासभा का प्रतीक चिन्ह सिनॉडालिटी पर एशिया महाद्वीप की महासभा का प्रतीक चिन्ह 

सिनॉडालिटी पर एशिया महाद्वीपीय की सभा में भाग लेने के लिए प्रतिनिधि तैयार

सिनॉडालिटी पर एशिया महाद्वीप की सभा 24 फरवरी से शुरू हो रही है, जिसमें 80 प्रतिभागी और 29 एशियाई देशों का प्रतिनिधित्व करनेवाले प्रतिनिधि शामिल होंगे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एशिया, बृहस्पतिवार, 23 फरवरी 2023 (रेई) – भाग लेनेवाले प्रतिनिधियों में धर्माध्यक्षों के 17 सम्मेलनों और धर्माध्यक्षों के 2 सिनॉड के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो उन 29 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एफएबीसी) का गठन करते हैं।

सभा में 6 कार्डिनल, 5 महाधर्माध्यक्ष, 18 धर्माध्यक्ष, 28 पुरोहित, 4 धर्मबहनें और 19 लोकधर्मी भाग ले रहे हैं जिनमें से कुल 17 प्रतिनिधि भारत की ओर से भाग ले रहे हैं।    

एशिया, सबसे बड़ा और सबसे अधिक आबादीवाला महाद्वीप है जो विविध संस्कृतियों, भाषाओं, जातियों और धर्मों से समृद्ध है। जबकि एशिया के अधिकांश हिस्सों में ख्रीस्तीय धर्म माननेवाले अल्पसंख्यक रूप में बहुत कम संख्या में हैं, और विभिन्न संस्कृतियों की जीवंतता और समृद्धि कलीसिया के जीवन में खुशी लाती है। हालांकि मान्यताओं, मूल्यों और प्रतीकों की प्रणालियाँ अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती हैं, मानव समुदाय की परस्पर संबद्धता एशियाई लोगों को एक साथ खींचती है। संबंधपरक होने का एशियाई मूल्य - ईश्वर, स्वयं, पड़ोसी और ब्रह्मांड के साथ - उन्हें मानव परिवार की एकता और एशिया के लोगों की एकता में एकजुट करता है।

चुनौतियों के बावजूद, सिनॉडल यात्रा को कलीसिया के लिए अनुग्रह और चंगाई का क्षण माना जा रहा है। 'तम्बू के रूप में कलीसिया' की छवि इसे एक शरणस्थली के रूप में पेश करती है जिसे समावेशिता की भावना से सभी के लिए फैलाया जा सकता है। यह इस बात को भी व्यक्त करती है कि हिंसा, अशांति और पीड़ा के स्थानों सहित जहां कहीं भी ईश्वर की आत्मा विचरण करती है, वहां ईश्वर अपना तम्बू खड़ा कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि टेंट में सभी के लिए जगह है; कोई भी बाहर नहीं है, क्योंकि यह सभी का घर है। इस प्रक्रिया में, जो लोग अतीत में 'बाहर छूटे हुए' महसूस करते थे, अब महसूस करते हैं कि इस तंबू में उनका एक घर है - एक पवित्र और सुरक्षित स्थान है।

तम्बू की छवि हमें यह भी याद दिलाती है कि येसु ने शरीरधारण के माध्यम से हमारे बीच अपना तम्बू खड़ा किया, और इसलिए तम्बू भी ईश्वर और एक-दूसरे से मिलने का स्थान है। तम्बू, जिसे अब आमघर के रूप में देखा जाता है, यह एक ही बपतिस्मा में सहभागी होने एवं अपनेपन की भावना को फिर से जगाने की भी प्रेरणा देती है।

सिनॉडल प्रक्रिया ने समुदायों में सहभागी होकर एक साथ चलने के महत्व को उजागर किया है, कलीसिया के संगठित विकास को बढ़ावा दिया है।

प्रार्थना के माध्यम से आत्मपरख करने, चर्चा करने और विचार-विमर्श करने हेतु प्रतिनिधियों को एक साथ यात्रा करने में मदद करने के लिए एक ड्राफ्ट रूपरेखा, एक खुला आधारिका पेपर तैयार किया गया है। अगले तीन दिन प्रतिनिधि अपनी खुशी, एक साथ चलने, घावों की पीड़ा के अनुभव तथा नये रास्ते को अपनाने के आह्वान को साझा करेंगे।

वे उन तनावों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे जो एशिया को पीड़ित करते हैं, खासकर, वे सिनॉडालिटी को जीना, निर्णय लेना, पुरोहितीय बुलाहट, युवा, गरीब, धार्मिक संघर्ष और याजकवाद आदि विषयों पर चर्चा करेंगे।

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23 February 2023, 17:04