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जापान की कलीसिया ने "शांति के लिए 10 दिन" पहल जारी किया

जापान की काथलिक कलीसिया ने "शांति के लिए 10 दिन" वार्षिक प्रार्थना पहल को, "हर जीवन की रक्षा करना शांति लाता है" विषयवस्तु को समर्पित किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

जापान, मंगलवार, 27 जुलाई 2021 (वीएनएस)- "हर जीवन की रक्षा करना शांति लाता है" इस वर्ष "शांति के लिए 10 दिवस" की पहल की विषयवस्तु है जिसको जापान की कलीसिया में 6 से 15 अगस्त तक जारी रखी  जायेगी और इसके द्वारा हिरोशिमा एवं नागासाकी में परमाणु बम के शिकार लोगों की याद की जायेगी।

संत पापा की प्रेरितिक यात्रा का आदर्शवाक्य

इस अवसर के लिए अपने संदेश में जापान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष एवं नागासाकी के धर्माध्यक्ष जोसेफ मितस्वाकी ताकामी ने बतलाया कि वार्षिक पहल के लिए विषयवस्तु संत पापा की प्रेरितिक यात्रा के आदर्शवाक्य से लिया गया है (23-26 नवम्बर 2019) जो उस त्रासदी और परमाणु युद्ध के खतरे के बीच संबंध को रेखांकित करता है जो आज भी मौजूद है।

खतरे की दुनिया में शांति

धर्माध्यक्ष ने गौर किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में शांति और स्थिरता को आज भी सशस्त्र संघर्ष, विश्वभर में शरणार्थी संकट एवं अमरीका तथा चीन के बीच बढ़ती तनाव के द्वारा चुनौती दी जा रही है जो इसे एक नये शीत युद्ध की ओर अग्रसर कर रही है। इस पृष्ठभूमि पर "हम देशों से धैर्यपूर्वक बातचीत के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने का आग्रह किये बिना नहीं रह सकते, ताकि बेहतर संबंध बनाया जा सके"। धर्माध्यक्ष ताकामी ने कहा कि यद्यपि परमाणु हथियार के निराकरण पर समझौता को 22 जनवरी 2021 को लागू किया जा चुका है, अब भी बहुत सारे देश हैं जिन्होंने पुष्टि नहीं दी हैं। धर्माध्यक्ष ने जोर दिया कि "देशों के बीच संघर्ष और सामूहिक विनाश के हथियारों का अस्तित्व दोनों ही शांति के लिए खतरा हैं।" उन्होंने याद कि म्यांमार या अफगानिस्तान के समान कई देश हैं जिनके नागरिक अपने मौलिक मानव अधिकारों और शांति से वंचित हैं "विकृत शक्तियां और ताकत" मानव जीवन के सम्मान से अधिक राष्ट्रीय सुरक्षा एवं धन को महत्व देते हैं।  

दुनिया को अधिक एकजुटता की जरूरत है

संदेश में कोवड-19 महामारी पर ध्यान देते हुए एकात्मता पर जोर दिया गया है। धनी और समृद्ध देशों को सभी के जीवन की प्रतिष्ठा का ख्याल रखते हुए गरीब देशों की मदद करनी चाहिए ताकि भाई-बहन के रूप में आपसी संबंध को गहरा किया जा सके, जैसे कि 2019 में आबी धाबी में हस्ताक्षर किये गये मानव बंधुत्व पर दस्तावेज एवं प्रेरितिक विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूत्ती में कहा गया है।

सभी के जीवन का महत्व

धर्माध्यक्ष के अनुसार, सभी जीवन की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, "हम शांति को बढ़ावा देते हैं", क्योंकि "जीवन केवल एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि मानवीय संबंधों द्वारा बनाया गया है।

शांति के लिए 10 दिनों की स्थापना 1982 में

"शांति के लिए 10 दिनों" के पहल की स्थापना जापान के काथलिक धर्माध्यक्षों ने 1982 में संत पापा जॉन पौल द्वितीय की हिरोशिमा में शांति हेतु अपील के बाद किया था। (25 फरवरी 1981) जापान में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि "अतीत को याद रखना भविष्य के लिए आकर्षक है।" नवम्बर 2019 में देश की यात्रा के दौरान संत पापा ने कहा था कि परमाणु हथियार रखना भी अनैतिक है।

 

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27 July 2021, 15:57