दामोसो राज्य के लोग जंगल में शरण लिये हुए दामोसो राज्य के लोग जंगल में शरण लिये हुए 

भुखमरी की आशंका, म्यांमार धर्माध्यक्षों ने मांगी मानवीय गलियारा

म्यांमार के धर्माध्यक्षों ने जंगल में भूख से मर रहे हजारों लोगों के लिए "मानवीय गलियारा" खोलने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र ने भोजन, पानी और दवा आदि से हजारों लोगों के वंचित हो जाने के बाद भुखमरी, बीमारी और जोखिम से सामूहिक मौतों की चेतावनी दी।

माग्रेट सुनीता मिंज-टिकन सिटी

यांगून, शनिवार,12 जून 2021(वाटिकन न्यूज) : म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीएम) ने भुखमरी का सामना कर रहे हजारों विस्थापित लोगों के लिए "मानवीय गलियारे" की अपील की है। उन्होंने कहा कि जातीय अल्पसंख्यक क्षेत्रों में हजारों लोग, अपने घरों को छोड़कर विशेष रूप से बुजुर्ग और बच्चे, जंगलों में भूखे मर रहे हैं।

सीबीसीएम की अपील

धर्माध्यक्षों ने 11 जून को जारी एक पत्र में कहा, “हम मानवीय गलियारे को भूखे लोगों तक पहुँचने की अनुमति देने के लिए सभी से अनुरोध करते हैं। ये हमारे नागरिक हैं और उनके पास भोजन और सुरक्षा का मूल अधिकार है।”

सीबीसीएम के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो, महासचिव धर्माध्यक्ष जॉन सॉ यॉ हान और अन्य 11 धर्माध्यक्षों ने पत्र पर हस्ताक्षर किया। धर्माध्यक्षों ने संबंधित पक्षों से किसी विशेष सशस्त्र समूह को निर्दिष्ट किए बिना अभयारण्य और पूजा स्थलों की पवित्रता का सम्मान करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हजारों लोगों ने गिरजाघरों और जंगलों में सुरक्षा की मांग की है, जबकि लोइकाव धर्मप्रांत के तीन गिरजाघर हाल ही में तोपखाने की गोलाबारी से धराशायी हो गए हैं।

धर्माध्यक्षों ने जोर देकर कहा, "कृपया युद्ध के समय में अभयारण्य के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करें: गिरजाघरों, शिवालयों, मठों, मस्जिदों, मंदिरों, स्कूलों और अस्पतालों को संघर्ष के दौरान शरण के तटस्थ स्थानों के रूप में मान्यता दी जाती है।" "हम अपील करते हैं कि इन जगहों पर हमला नहीं किया जाना चाहिए और वहां शरण लेने वाले लोगों की रक्षा की जानी चाहिए।"

धर्माध्यक्षों ने संघर्षग्रस्त राष्ट्र को ठीक करने के लिए ईश्वरीय सहायता की मांग करते हुए देश भर के धर्मप्रांतों से आग्रह किया कि वे गहन प्रार्थनाएं करें, एक समूह के रूप में या अकेले हर दिन प्रार्थना करें और सभी के दिलों में दया पाने के लिए रोजरी माला प्रार्थना करें। धर्माध्यक्षों ने कहा, “इस देश में किसी ने भी युद्ध नहीं जीता है। शांति की दिशा में काम करना हमारा कर्तव्य है। मानव गरिमा ईश्वर द्वारा दी गई है और किसा भी तरह की हिंसा मानव गरिमा के लिए लोगों की आकांक्षा को नकार नहीं सकती है।"

यूएन मानव अधिकार प्रमुख की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार संगठन की प्रमुख मिशेल बाशलेट ने चेतावनी दी है कि पूरे म्यांमार में हिंसा में वृद्धि हो रही है और जीवन के अधिक नुकसान और एक गहन मानवीय आपातकाल को रोकने के लिए इसे रोका जाना चाहिए।

बाशलेट ने 11 जून को कहा, "जैसा कि मुझे डर था, म्यांमार के कई हिस्सों में सशस्त्र संघर्ष और अन्य हिंसा तेज हो रही है, जिसमें काया राज्य, चिन राज्य और काचिन राज्य शामिल हैं, विशेष रूप से महत्वपूर्ण जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों वाले क्षेत्रों में हिंसा हो रही है।". उन्होंने कहा कि राज्य सुरक्षा बलों ने सशस्त्र समूहों, नागरिकों और गरजाघरों सहित नागरिक संपत्ति के खिलाफ हवाई हमलों सहित भारी हथियारों का इस्तेमाल जारी रखा है।

बाशलेट ने कहा कि विश्वसनीय रिपोर्टों से पता चलता है कि सुरक्षा बलों ने काया राज्य के लोइकाव, पेखोन और डेमोसो में नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है, नागरिक घरों और गिरजाघरों पर गोलाबारी की है और मानवीय पहुंच को अवरुद्ध किया है। केवल चार महीनों में, म्यांमार एक नाजुक लोकतंत्र से मानवाधिकारों की तबाही में बदल गया है।

लोइकाव कारितास (करुणा)

लोइकाव कारितास के निदेशक फादर अलॉसियुस थेट हटवे आंग ने कहा कि अधिक प्रतिबंधों और सड़क अवरोधों के बीच विस्थापित लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना अधिक कठिन हो गया है। काया राज्य में भुखमरी, बीमारी और जोखिम से बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं। चावल और अन्य जरुरी वस्तुओं की कीमतें अधिक हैं और सड़क अवरोधों के कारण चावल काया राज्य में नहीं ले जाया जा सकता है।

फादर आंग ने उका न्यूज को बताया, "स्थिति बदतर होती जा रही है और हम चिंतित हैं कि अगर स्थिति लंबी होती है तो आईडीपी (आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति) भुखमरी का सामना करेंगे।" उन्होंने कहा कि बुजुर्ग, बीमार, महिलाएं और बच्चे गांवों से भागकर लोइकाव में पल्ली हॉल, बोर्डिंग हाउस, कॉन्वेंट, क्लिनिक और पुराने गिरजाघर में शरण लिये हुए हैं।

यूएनएचसीआर के अनुसार, 1 फरवरी के तख्तापलट के बाद से काचिन, करेन, चिन, काया और शान राज्यों में 175.000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। तख्तापलट के बाद से सुरक्षा बलों द्वारा कम से कम 860 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर तख्तापलट विरोधी थे।

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12 June 2021, 14:46