गुजरात में तौकते चक्रवात के बाद का दृश्य गुजरात में तौकते चक्रवात के बाद का दृश्य  

कलीसियाई कार्यकर्त्ता चक्रवात प्रभावित लोगों की मदद हेतु एकजुट

पश्चिमी भारत के तट पर आए चक्रवात तौकते के एक हफ्ते बाद कलीसियाई कार्यकर्ता हजारों लोगों के लिए भोजन और पीने के पानी की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

गुजरात, शुक्रवार, 28 मई 2021 (ऊका समाचार): पश्चिमी भारत के तट पर आए चक्रवात तौकते के एक हफ्ते बाद कलीसियाई कार्यकर्ता हजारों लोगों के लिए भोजन और पीने के पानी की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पश्चिमी भारत के तट पर आए चक्रवात तौकता के एक हफ्ते बाद चर्च के कार्यकर्ता हजारों लोगों के लिए भोजन और पीने के पानी की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

मई 17-18 चक्रवात में कम से कम 169 लोग मारे गए और कुछ 200,000 विस्थापित। चक्रवात ने अनुमानित 50,000 घरों को नष्ट कर दिया है। इसके अलावा, खड़ी फसलों, पशुओं, पेड़ों, बिजली के पोल और सड़कों को तबाह कर दिया है, जिससे सामान्य जीवन ठप्प पड़ गया है।

चक्रवात पीड़ितों की मदद ज़रूरी

गुजरात राज्य के सबसे अधिक प्रभावित जिलों गिर सोमनाथ, भावनगर और अमरेली के तटीय क्षेत्रों को शामिल करनेवाले राजकोट धर्मप्रान्त में सामाजिक कार्य के निदेर्शक फादर थॉमस मैथ्यू ने ऊका समाचार से 24 मई को कहा,  "हमें तत्काल भोजन और पानी की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा, "हमारे लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि चक्रवात और भारी बारिश ने उनके भंडारित अनाज को नष्ट कर दिया है।"

"यहां के लोग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए बोरवेल के भूजल पर निर्भर हैं और उनके पास कोई  खुले कुएं नहीं हैं। “यहां के लोग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए बोरवेल के भूजल पर निर्भर हैं और उनके पास कई खुले कुएं नहीं हैं। बिजली नहीं होने से पीने का पानी पंप करना भी असंभव हो गया है।"

गुजरात राज्य से 80 से अधिक मौतों की सूचना मिली है, जहां चक्रवात ने 12 जिलों को प्रभावित किया। मृत्यु की अन्य ख़बरें केरल, कर्नाटक, गोवा,  महाराष्ट्र के तटीय राज्यों और दो संघीय सरकार-नियंत्रित क्षेत्रों लक्षद्वीप, दमन और दीव से मिली हैं।

कोविद से स्थिति और अधिक गम्भीर

इसी बीच, काथलिक कलीसिया ने चक्रवात प्रभावित राज्यों में काथलिक स्कूलों एवं संस्थाओं को खोल दिया है ताकि विस्थापित एवं बेघर हुए लोगों को पनाह दी जा सके।

फादर मैथ्यू ने बताया कि काथलिक कार्यकर्त्ता एक माह तक 15,000 पीड़ितों के लिये भोजन की व्यवस्था करा सकते हैं किन्तु इसके बाद उनके पास पर्याप्त साधन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राहत कार्यकर्त्ता उन ज़रूरतमन्दों का पता लगा रहे हैं जो भुखमरी के कारण मर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि चक्रवात तथा कोविद-महामारी के कारण लगे लॉकडाऊन के कारण लोगों तक राहत सामग्री पहुँचाना भी कठिन होता जा रहा है, क्योंकि एक राज्य से दूसरे राज्य तक आवागमन पर प्रतिबन्ध लगे हैं।  

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

28 May 2021, 11:51