पुण्य सप्ताह हमारी ख्रीस्तीय बुलाहट के अर्थ पर चिंतन करने का समय
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
पोलैंड, मंगलवार, 29 मार्च 21 (रेई)-उन्होंने कहा है कि पुण्य सप्ताह एक ऐसा समय है जब हम जीवन के अर्थ एवं हमारे ख्रीस्तीय बुलाहट के अर्थ पर चिंतन करने के लिए बुलाये जाते हैं। लुब्लिन के धर्माध्यक्ष ने कहा है कि येसु ने अपनी मृत्यु और पुनरूत्थान से हमारी इस दुनिया में पीड़ा और मौत को अर्थ प्रदान किया है, खासकर, इस कोरोना वायरस महामारी के समय में, जब हम सभी लोग बीमारी और मौत से, प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित हुए हैं।
इस आधुनिक समाज में, जो पीड़ा से संबंधित विचारों को दूर कर देना चाहता है, मौत के रहस्य पर चिंतन करने के लिए मजबूर है तथा इस नाजुक एवं क्षणभंगुर जीवन के अर्थ पर सोचने के लिए प्रेरित हुआ है।
पास्का के तीन दिवसीय धर्मविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन देते हुए उन्होंने विश्वासियों से कहा है कि वे सभी सुरक्षा उपायों एवं स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करें और यदि संभव न हो तो समारोहों में संचार माध्यमों द्वारा भाग लें।
मोनसिन्योर ने याद किया है कि ख्रीस्तीयों का जीवन एवं कलीसिया की पूरी धर्मविधि का लक्ष्य, इन तीन पवित्र दिनों में है जब दुनिया की मुक्ति के कार्य सम्पन्न किये गये थे। पास्का त्रिदियुम (तीन दिवसीय धर्मविधि) ही पूजन पद्धति वर्ष की चरमसीमा है। इन्हीं तीन दिनों में हमें ख्रीस्त के दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान में भाग लेने का अवसर मिलता है। इन तीन दिनों में ख्रीस्त के क्रूसित होने, दफनाये जाने एवं जी उठने की यादगारी मनायी जाती है जो हमें पाप और मृत्यु पर उनके विजय की सच्चाई के बारे याद दिलाती है।
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