सिस्टर ग्लोरिया सेसिलिया नरवाज सिस्टर ग्लोरिया सेसिलिया नरवाज  

माली में सिस्टर ग्लोरिया नरवाज़ की रिहाई के लिए प्रार्थना

7 फरवरी 2017 के बाद से अब 4 साल हो गए हैं, जब से मेरी इम्माकुलेट फ्रांसिस्कन धर्मसमाज की एक धर्मबहन का अपहरण कर लिया गया है। उसके लापता होने के पीछे अल-कायदा के करीबी एक चरमपंथी समूह का हाथ होगा। हर साल उनकी रिहाई के लिए नए सिरे से पहल की जाती है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

माली, सोमवार 8 फरवरी 2021 (वाटिकन न्यूज) :  “प्रिय बहन ग्लोरिया सिसिलिया, दूर से हम आपके साथ हैं और प्रभु से आपके कारावास में शक्ति और सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। आपकी बहनें, जो आपसे प्यार करती हैं, खुशी के साथ आपका इंतजार कर रही हैं।” इस प्रकार, फेसबुक पर प्रकाशित एक पोस्ट में मेरी इम्माकुलेट की फ्रांसिस्कन धर्मबहनें अपनी बहन ग्लोरिया सेसिलिया नरवाज रिहाई की अपील कर रहीं हैं, जिनका  माली में 7 फरवरी 2017 को अपहरण कर लिया। उसके लापता होने के पीछे अल-कायदा के करीबी एक चरमपंथी समूह का हाथ होगा। धर्मबहनें सभी विश्वासियों को सिस्टर ग्लोरिया के घर लौटने के लिए प्रार्थना करने हेतु आमंत्रित करती हैं और कुछ तस्वीर पोस्ट करती हैं, जिसमें वह अपने मिशन क्षेत्र में काम करती हुई, मुस्कुराती दिखाई दे रही हैं। वे कहती हैं: “हम आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमारी प्रार्थना आपके साथ है।” अन्य धर्मबहनों के साथ, सिस्टर नरवाज़ ने करंगासो पल्ली में काम किया। वे स्वास्थ्य देखभाल, महिलाओं के विकास और एक अनाथालय में काम करती थीं।

हर साल उसकी याद-नई उम्मीद

पिछले साल 7 फरवरी को माली की पूरी काथलिक कलीसिया ने सिस्टर की रिहाई के लिए प्रार्थना आयोजित किया था। धर्माध्यक्ष जोन-बैप्टिस्ट तियामा के नेतृत्व में सिकासो धर्मप्रांत में नौ पल्लियों को शामिल किया गया। 2018 में भी ऐसा ही हुआ। उस समय, माली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने पश्चिम अफ्रीका में सभी मुख्य मीडिया के माध्यम से सिस्टर ग्लोरिया की रिहाई के लिए संदेश फैलाया गया। हालांकि 2109 में,  कुछ स्थानीय स्रोतों पर एक लघु वीडियो दिखाई दिया, जिसमें सिस्टर ग्लोरिया ने अपनी रिहाई के लिए अपील की थी।

मेरी इम्माकुलेट फ्रांसिस्कन धर्मबहनें

मेरी इम्माकुलेट फ्रांसिस्कन धर्मबहनों के धर्मसमाज की स्थापना मदर चारिटी ब्राडेर जेहनेर द्वारा 31 मार्च, 1893 को कोलंबिया के तुएकेरेस में की गई और 16 मई, 1933 को परमधर्मपीठ द्वारा निश्चित रूप से अनुमोदित की गई। यह संस्था मुख्य रूप से शिक्षा के लिए समर्पित हैं और युवा लोगों, विशेष रूप से गरीब लड़कियों की धर्म शिक्षा के लिए। उनकी संस्थापिक को 2003 में तत्कालीन संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया, जिन्होंने अपने प्रवचन में संत पापा ने उनकी अंतिम इच्छाओं को याद करते हुए कहा था: "गरीबों के प्रति अच्छे कार्यों, भिक्षा और उदार कार्यों को करना कभी न छोड़ें।" संत पापा ने कहा, "एक सुंदर सबक, ईश्वर और लोगों की सेवा में एक मिशनरी जीवन!"

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08 February 2021, 08:12