मलेशिया से म्यांमार वापस भेजे जाने आप्रवासी मलेशिया से म्यांमार वापस भेजे जाने आप्रवासी 

मलेशियाई धर्माध्यक्षों ने म्यांमार के शरणार्थियों के निर्वासन पर चिंता जतायी

मलेशिया के काथलिक धर्मगुरूओं ने एक बयान में कहा है कि शरणार्थी, आप्रवासी और आवास की खोज करनेवाले लोग, असहाय होते हैं जिनके साथ दया, सहानुभूति एवं प्रेम द्वारा मानवीय वर्ताव किया जाना चाहिए।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

मलेशिया, बृहस्पतिवार, 25 फरवरी 21 (वीएनएस)- मंगलवार को जारी एक बयान में मलेशिया के धर्माध्यक्षों ने कहा, "म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता की गंभीर राजनीतिक स्थिति के समय में, हमारा विश्वास कहता है कि हम चुपचाप नहीं रह सकते और उनके प्रति जटिल व्यवहार नहीं कर सकते जो गंभीर मानवीय संकट के कारण भागने के लिए मजबूर हुए हैं।"

मलेशिया के 9 धर्मप्रांतों के धर्माध्यक्षों ने मीडिया से मिली उस जानकारी के लिए गहरी चिंता व्यक्त की जिसमें कहा गया है कि मलेशिया ने म्यांमार की नागरिका वाले 1,200 लोगों को वापस भेजने की योजना बनायी है जिसमें शरणार्थी एवं आश्रय की खोज करनेवाले लोग भी शामिल हैं।    

मानवता का नियम

"मलेशिया के धर्माध्यक्षों ने बताया कि सबसे कमजोर आप्रवासी, शरणार्थी एवं आश्रय की खोज करनेवाले सबसे असहाय लोगों की रक्षा, न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा होनी चाहिए बल्कि मानवता के नियम द्वारा भी की जानी चाहिए जो करुणा, सहानुभूति एवं प्रेम पर आधारित है।"     

कुछ ही दिनों पूर्व मलेशिया के आप्रवासी विभाग ने म्यांमार की नागरिकता वाले 1,086 लोगों को स्वदेश भेज दिया। विभाग ने कहा कि उन्हें म्यानमार के 3 नौसेना जहाज द्वारा वापस भेजा गया, और जोर दिया कि उसमें से कोई भी शरणार्थी या आश्रय की खोज करनेवाला नहीं था।  

अधिकार दल एमनेस्टी इंटरनेशनल मलेशिया और शरण प्राप्ति मलेशिया ने कहा कि हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर जारी करनेवाले उनके मुकदमे में,  निर्वासित लोगों के बीच शरणार्थी, आश्रय की खोज करने वाले और नाबालिग थे।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, यूएनएचसीआर, शरणार्थियों के लिए यूएन उच्च आयोग के अनुसार निर्वासित किये जानेवाले लोगों के बीच कम से कम 6 लोग थे। दो मानव अधिकार दलों ने 3 यूएनएचसीआर कार्डधारी एवं 17 नाबालिगों का नाम लिया।

म्यांमार में अनिश्चितता का समय

उन्होंने सरकार से अपील की है कि "इस अनिश्चितता के समय में म्यानमार के लोगों को वापस भेजकर वह उनके जीवन को एक अनिश्चित एवं अज्ञात भाग्य का विषय न बनाये।" उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, यूएनएचसीआर से अपील की है कि वे उन लोगों की जाँच करे ताकि उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि एक देखभाल करनेवाले मलेशियाई की तरह हमें किसी को ऐसी परिस्थिति के अधीन नहीं करना चाहिए जो भय, अनिश्चितता और असहजता से चिन्हित है।     

मलेशिया के कानून निर्माता और अधिकार दलों ने बुधवार को मांग की कि सरकार जवाब दे कि क्यों इसने अदालत के स्टे ऑर्डर का उलंघन किया और आप्रवासियों को स्वदेश भेजा, यह कहकर कि म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बाद इसने उनकी जान को खतरे में डाल दी।

मलेशिया की कलीसिया म्यांमार के करीब

मलेशिया के धर्माध्यक्षों ने अपने विश्वासियों का आह्वान किया है कि वे इस चालीसा काल में अपने उपवास को म्यांमार के लोगों के लिए चढ़ायें ताकि सभी पक्षों के बीच सही वार्ता हो सके और उस त्रस्त भूमि में स्थायी शांति एवं स्वतंत्रता स्थापित हो सके।

म्यानमार के लोगों के प्रति प्रार्थनामय एकात्मता व्यक्त करते हुए धर्माध्यक्षों ने उनके लिए ईश्वर की शांति, मेल-मिलाप और सौहार्द की कामना की है।  

मलेशिया की ख्रीस्तीय कलीसियाएँ

मलेशिया की कलीसियाओं की समिति (सीएमएम) ने निर्वासन के खिलाफ आवाज उठायी है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंड के खिलाफ कारर्वाई कहा है। सीएमएम के महासचिव हेरमन शास्त्री ने कहा, "प्रधानमंत्री को शरणार्थियों और शरण चाहनेवालों की पहचान करने के लिए निरोध केंद्रों तक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी  को पूर्ण पहुंच प्रदान करनी चाहिए, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की जान को खतरा है उन्हें किसी भी देश में वापस जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए जहां उन्हें उत्पीड़न या मौत का सामना करना पड़ सकता है।"

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25 February 2021, 14:57