बेथलेहम में क्रिसमस का जश्न मनाते हुए महाधर्माधअयक्ष पियरबत्तिस्ता पिज्जाबाला बेथलेहम में क्रिसमस का जश्न मनाते हुए महाधर्माधअयक्ष पियरबत्तिस्ता पिज्जाबाला 

येरुसालेम महाधर्माध्यक्ष द्वारा कलीसिया में एकता का आह्वान

विश्व शांति दिवस के लिए येरुसालेम के महाधर्माध्यक्ष पियरबत्तिस्ता पिज़ाबाल्ला ने पवित्र भूमि की कलीसिया में और अधिक एकता की अपील की।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

येरुसालेम, सोमवार 4 जनवरी 2021 (वाटिकन न्यूज) : विश्व शांति दिवस पर येरूसालेम के लैटिन पैट्रिआर्क, महाधर्माध्यक्ष पियरबत्तिस्ता पिज़ाबाल्ला, ओएफएम, ने आंतरिक, विलक्षण दृष्टिकोण से शांति पर चिंतन किया, जो कि स्थानीय धर्मप्रांत की कलीसिया के जीवन से जुड़ा हुआ है, सुसमाचार की रोशनी में अधिक एकता का आह्वान करता है।

अपने प्रवचन में महाधर्माध्यक्ष ने चार अवरोधों को इंगित किया जो धर्मप्रांत में काथलिक समुदाय की "प्रेरितिक यात्रा" में बाधा डालते हैं और स्थानीय कलीसिया के जीवन को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए इन मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

याजकवाद

पहला उल्लेख उन्होंने याजकवाद पर किया, जिसकी संत पापा फ्राँसिस ने अक्सर आलोचना की है और जो  दुनिया के कई कलीसियाओं में आम है, विशेष रूप से पवित्र भूमि में स्पष्ट है। उन्होंने कहा, "पुरोहित और लोकधर्मियों के बीच सहयोग को अक्सर गलत समझा जाता है और यह इस तरह से समाप्त हो जाता है: बस वही करें जो पुरोहित चाहता है," उन्होंने कहा कि यह कहना कि स्थानीय संस्कृति मदद नहीं करती है,''पल्ली संगठन होने के बारे में आश्वस्त करना और विचारों और पहलों को साझा करने में सक्षम होना मुश्किल है। दूसरी ओर, यह भी सच है कि समुदाय के लिए प्रशिक्षित और सकारात्मक योगदान देने के लिए तैयार लोक धर्मियों को पाना भी मुश्किल है।

पीढ़ी का अंतर

दूसरा अवरोध उन लोगों के बीच की पीढ़ी की खाई है जो अतीत को देखते हैं और "कलीसिया के एक मॉडल पर अफसोस करते हैं जो अब मौजूद नहीं है" और युवा पीढ़ी जो "बदलना चाहते हैं उन सभी चीजों को भी जिसे शाएद बदलने की जरुरत नहीं है।" यह देखते हुए कि दोनों प्रतिक्रियाएं वर्तमान से भागने के तरीके हैं, महाधर्माध्यक्ष ने एक-दूसरे को सुनने की आवश्यकता की ओर इशारा किया, जबकि "अब तक जो कुछ किया गया है उसके लिए आभारी हैं और ईश्वर की कृपा के अनुसार नए रास्ते के प्रति खुले हैं।"

स्थानीय और सार्वभौमिक घटकों की पूरकता

महाधर्माध्यक्ष पिज़ाबाल्ला ने तब स्थानीय और सार्वभौमिक घटक के बीच की दूरी के बारे में बातें थी। उन्होंने कहा कि एक तरफ एक सामान्य प्रलोभन है, "सार्वभौमिक घटक को 'अतिथि' के रूप में मानने और कलीसिया के अभिन्न अंग के रूप में नहीं मानना" और "दूसरी ओर, स्थानीय घटक को अप्रासंगिक, पुराना या विलुप्त मानना । महाधर्माध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों घटक कलीसिया के लिए आवश्यक हैं और उन्हें एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए।

विविध राष्ट्रीय पहचान

महाधर्माध्यक्ष पिज़ाबाल्ला के अनुसार, (जॉर्डन, इज़राइल, फिलिस्तीन, साइप्रस) धर्मप्रांतों में शामिल चार क्षेत्रों में परस्पर विरोधी राष्ट्रीय पहचान भी स्थानीय कलीसिया के जीवन को प्रभावित करती है। जैसे कि इस क्षेत्र में काथलिक समुदायों द्वारा बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं की समृद्धि भी एक बाधा हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि " कलीसिया चार नहीं हैं, लेकिन केवल एक कलीसिया है, जिसके भीतर अलग-अलग पहचान हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी अलग-अलग पहचान एक कलीसिया के बहुल, बहुरुपीय, खुले और गैर-एकरंगा पहचान बनाने के लिए गठबंधन करते हैं जो पहचान संघर्षों द्वारा अवशोषित नहीं होते हैं।

यह देखते हुए कि इन सभी कठिनाइयों का कारण, मूल रूप से व्यक्तिवाद है, अपने प्रवचन के अंत में महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि "सुधार करने का तरीका" मसीह के साथ हमारे संबंधों से शुरू करना है, न कि हमारी जरूरतों से, हमारे दिल को मसीह का हृदय में रखना। ईश्वर के वचन के प्रकाश में, हमारी वास्तविकता को, यहां तक कि कलीसिया की वास्तविकता को पढ़ना। हम प्यार के बिना नहीं रह सकते हैं और जिस प्यार से हमें शुरुआत करनी है, वह उसी का प्यार है जिसने हमें और हमारे उद्धार के लिए अपना जीवन दिया। यह वह रास्ता होगा जो हमारा इंतजार करता है।”

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04 January 2021, 14:48