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2020 में दुनियाभर में 20 मिशनरी मारे गये

वाटिकन न्यूज एजेंसी ने उन मिशनरियों की एक सूची तैयार की है जो 2020 के दौरा विश्व के विभिन्न हिस्सों में मार डाले गये।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 31 दिसम्बर 20 (फिदेस)- वार्षिक सूची बतलाती है कि इस साल 20 मिशनरियों की हत्या हुई है जिनमें 8 पुरोहित 1 पुरूष धर्मसमाजी, 3 धर्मबहनें, 2 गुरूकुल छात्र (सेमिनेरियन) और 6 लोकधर्मी थे।

फिदेस उन सभी लोगों को "मिशनरी" नाम देता है जिन्होंने बपतिस्मा ग्रहण किया है जैसा कि संत पापा ने अपने प्रेरितिक विश्व पत्र एवंजेली गौदियुम में कहा है : बपतिस्मा के द्वारा ईश प्रजा के सभी सदस्य मिशनरी शिष्य बन जाते हैं। वास्तव में, हरेक ख्रीस्तीय एक मिशनरी है इस आधार पर कि उसने ईश्वर में येसु ख्रीस्त के प्रेम को महसूस किया है। हम नहीं कह सकते कि हम "शिष्य" और "मिशनरी" हैं बल्कि हम "मिशनरी शिष्य" हैं।  

इस साल हताहतों की सबसे अधिक संख्या अमरीका की है जहाँ 5 पुरोहित और 3 लोकधर्मी हत्या के शिकार हुए हैं। उसके बाद अफ्रीका है जहाँ 3 धर्मबहनों, 2 लोकधर्मियों, एक पुरोहित तथा 1 गुरूकुल छात्र की हत्या हुई है। एशिया में एक पुरोहित, एक गुरूकुल छात्र और एक लोकधर्मी की हत्या हुई है तथा यूरोप में एक पुरोहित और एक पुरूष धर्मसमाजी की हत्या हुई है।

20 वर्षों में 2000 से 2020 के बीच 535 पुरोहितों की हत्या हुई जिनमें 5 धर्माध्यक्ष भी हैं।

अपने लोगों के बीच साक्षी

फिदेस ने इस समय, सीधे तौर पर न केवल मिशनरियों की सूची तैयार की है जो गैर ख्रीस्तीय मिशन क्षेत्रों में कार्यरत हैं बल्कि उन सभी लोगों को शामिल किया है जो कलीसिया के जीवन में संलग्न हैं। प्रेरितिक कार्यों में लगे कई लोगों की हत्या हिंसक रूप में हुई जहाँ  विश्वास के कारण घृणा स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ता है। उनके लिए शहीद शब्द का प्रयोग किये बिना फिदेस साक्षी शब्द का प्रयोग करती है।  

इस आधार पर वाटिकन न्यूज एजेंसी ने गौर किया है कि मिशन कार्य में लगे कई लोगों की हत्या 2020 में हुई है। कई लोगों का अपहरण किया गया अथवा उन्हें हिंसक आक्रमण का सामना करना पड़ा। वे आर्थिक और सांस्कृतिक गरीबी, नैतिक और पर्यावरणीय गिरावट, जहां जीवन के लिए सम्मान एवं हर मानव अधिकार की उपेक्षा में हिंसा और उत्पीड़न द्वारा प्रभावित स्थितियों में अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए हिंसा के शिकार हुए।

एल सलवाडोर में फादर रेकार्दो अंतोनियो कोर्टज की हत्या 7 अगस्त को रास्ते पर बंदुकधारियों द्वारा हुई। ब्राजील में अंतोनियो दा सिल्वा बार्रोस की हत्या अपहरण के बाद हुई जिनके मृत शरीर को 14 अक्टूबर को पाया गया।  

बुरकिना फासो में एक प्रचारक की हत्या 16 फरवरी को एक दल के द्वारा किया गया जब पानसी गाँव में जिहादियों द्वारा हमला किया गया था। मार्च में गबोन में सिस्टर लिदया ओयानेम नजोगहे की हत्या की गई, जो परित्यक्त बुजूर्गों के आश्रम में कार्य करती थी।  

इंडोनेशिया में एक गुरूकुल छात्र जागे सिल का मृत शरीर गढ़े में 24 दिसम्बर को पाया गया था।

इटली में फादर रोबेर्तो मालजेसिनी की हत्या एक मानसिक विकृति के शिकार आवासहीन व्यक्ति के द्वारा कोमो में 15 सितम्बर को किया गया। पुरोहित गरीबों के बीच कार्य करते थे।  

वाटिकन न्यूज एजेंसी ने ध्यान दिया है कि उन में से कोई भी किसी खास योजना से जुड़े नहीं थे। वे छोटे रूप में अपने जीवन से लोगों की सेवा कर रहे थे तथा ख्रीस्तीय आशा का साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे थे।

महामारी के शहीद

फिदेस ने गौर किया है कि सैकड़ों पुरोहितों, धर्मसमाजियों, अस्पतालों में नियुक्त पुरोहितों, प्रेरितिक कार्यों में लगे स्वास्थ्यकर्मियों, साथ ही धर्माध्यक्षों की मृत्यु महामारी से हुई जो अपनी सेवा को जारी रख रहे थे। वे उसी समय मौत के शिकार हुए जब वे अपनी प्रेरिताई को रोके बिना वायरस से संक्रमित लोगों की मदद कर रहे थे।

फिदेस ने कहा है कि डॉक्टरों के बाद पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों का दूसरा बड़ा दल है जो यूरोप में कोविड-19 के शिकार हुए हैं। यूरोप के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के रिपोर्ट अनुसार फरवरी से सितम्बर के अंत तक करीब 400 पुरोहितों की मृत्यु हुई है। उनमें से कई मिशनरी थे जिन्होंने अपना लम्बा समय मिशन भूमि में कठिनाईयों एवं तकलीफों के बीच बिताया था वे वायरस के शिकार हो गये।

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31 December 2020, 15:29