कार्डिनल निकोल्स ˸ परिवारों एवं कलीसिया को करुणा का स्थान बनायें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वेल्स, मंगलवार, 29 दिसम्बर 2020 (रेई)- पवित्र परिवार के पर्व के लिए प्रेषित प्रेरितिक पत्र में वेस्ट मिनिस्टर के महाधर्माध्यक्ष एवं इंगलैंड तथा वेल्स के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल भिन्सेंट निकोल्स ने काथलिकों का आह्वान किया है कि वे न केवल अपने परिवारों के लिए प्रार्थना करें बल्कि कलीसिया के लिए भी, ताकि दोनों ही स्थान करुणा, क्षमा एवं प्रेम के स्थान बन सकें, खासकर, इस कठिन समय में।
कोविड-19 ने हमारे परिवारों को बाधित किया है
कार्डिनल निकोल्स ने अपने चिंतन में "परिस्थितिकी" शब्द पर जोर दिया है जिसकी उत्पति ग्रीक शब्द "ओइकोस" से हुई है जिसका अर्थ है "घर"। उन्होंने कहा है कि इसे हम न केवल स्वभाविक दुनिया के लिए लागू कर सकते हैं बल्कि हमारे घर एवं कलीसिया के लिए भी। ये दोनों ही "घर" इस साल कोविड-19 महामारी से बाधित हुए हैं। पारिवारिक जीवन परीक्षा में पड़ गई है तथा वित्तीय चिंताओं ने कई लोगों पर बोझ डाला है। अपनों से दूरी दुःख का कारण रहा है तथा कई लोगों ने प्रियजनों को खो दिया है और उनके लिए शोक भी नहीं मना पाये हैं। यही कारण है कि पवित्र परिवार के पर्व की प्रार्थनाएँ हमारे परिवारों में ईश्वर की कृपाओं की याचना करती हैं ताकि वे करुणा एवं आनन्द के स्थान बन सकें। कार्डिनल ने कहा है कि इस प्रार्थना का इस साल विशेष अर्थ है। कोलोसियों के नाम संत पौलुस के पत्र का हवाला देते हुए पत्र में याद दिलाया गया है कि इन शब्दों का अर्थ है सहानुभूति, दयालुता, धैर्य एवं क्षमाशीलता तथा सबसे बढ़कर प्रेम, जिनको प्रेरित आरंभिक कलीसिया में लागू करते हैं। हमारे लिए, जो ईश्वर के द्वारा चुने गये हैं हमें ईश्वर के प्रेम एवं करुणा को दुनिया को साक्षी देना है।
हमारे परिवारों एवं कलीसियाई परिवारों के लिए प्रार्थना
अतः वेस्टमिनिस्ट के महाधर्माध्यक्ष ने विश्वासियों का आह्वान किया है कि वे अपने परिवारों के लिए प्रार्थना करें किन्तु कलीसियाई परिवार के लिए भी प्रार्थना करें। "हम इस परिवार "पारिस्थितिकी" के लिए ईश्वर की आशीष की याचना करे जिसमें हम जीते हैं विगत महिनों में महामारी के कारण कलीसिया में भी तनाव की स्थिति है।
अपनी नजरें प्रभु पर लगायें
इन कठिनाइयों के बीच कार्डिनल निकोल्स ने प्रोत्साहन दिया है कि हम अपनी नजरें प्रभु पर, बालक येसु पर लगायें जो कलीसिया अपने शरीर को कभी नहीं त्यागते और सदा हमारे साथ रहते हैं। संत पापा फ्रांसिस के हाल में प्रकाशित पत्र "पात्रिस कोरदे" का हवाला देते हुए उन्होंने संत जोसेफ से भी प्रार्थना करने का प्रोत्साहन दिया है जो कलीसियाई परिवार के संरक्षक हैं तथा कठिनाई के समय में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
उन्होंने कहा, "जब हम साल के अंत में हैं जो एक पीड़ा एवं कठिनाई का साल रहा, हम इस महान छवि को देखने का प्रयास करें कि हमारा जीवन ईश्वर के हाथों में है, कि हमारी कलीसिया पवित्र आत्मा की उपस्थिति से सदा सांत्वना प्राप्त करती है, कि हमारा विश्व ईश्वर की कला कृति है।"
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