म्यांमार में संघर्ष के अंत करने की धर्माध्यक्षों की अपील
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
म्यांमार, बुधवार 1 जुलाई 2020 (वाटिकन न्यूज) : संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अंतोनियो गुटेरेस और संत पापा फ्राँसिस द्वारा कोविद -19 महामारी के दौरान सभी शत्रुता समाप्त करने की अपील के बावजूद म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्ष देश में जारी संघर्ष से दुखित हैं।
धर्माध्यक्षों ने सरकार और सशस्त्र समूहों से अपील की है कि वे हर शत्रुता को समाप्त करें, बातचीत की मेज पर लौटें और पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए शांति से काम करें।
आईडीपी के अधिकार
म्यांमार काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीएम) ने सोमवार 29 जून को एक बयान जारी किया, जिसमें काचिन, शान, काइन और राखीन राज्यों में जारी संघर्षों पर दुःख प्रकट करते हुए कहा कि लगभग 250,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित (आईडीपी) हुए हैं।
राज्य सरकार द्वारा राठेडुंग बस्ती में ग्रामीणों को अपने घरों से दूर रहने की चेतावनी देने के एक सप्ताह बाद भी राखीन के 40 से अधिक गांवों के लोगों का पलायन जारी है, क्योंकि देश की सेना ‘अल्कान अराकान आर्मी’ विद्रोहियों के खिलाफ एक हमले की योजना बना रही है।
बयान में, धर्माध्यक्षों ने कहा कि "आईडीपी शिविरों में रहने वाले लोग सबसे कमजोर हैं और उनके अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "किसी भी तरह से आईडीपी की भूमि पर कब्जा नहीं किया जाना चाहिए और जब्त की गई संपत्ति को सही मालिकों को वापस किया जाना चाहिए।"
भुखमरी, बारिश, कोविद -19
विशेष रूप से रखाइन की स्थिति को "दिल दहला देने वाला" बताते हुए, सीबीसीएम ने कहा कि संघर्ष ने हजारों निर्दोष लोगों और विस्थापित परिवारों को "भुखमरी के कागार" पर खड़ा कर दिया है।
बारिश का मौसम और कोविद -19 महामारी स्थिति को बदतर कर रहे हैं और "मानवीय सहायता की पहुंच एक बड़ी चुनौती साबित हुई है।" सीबीसीएम ने बयान में कहा, "म्यांमार सरकार और म्यांमार सशस्त्र बल (तातमाव)" "सभी आंतरिक विस्थापितों तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करके म्यांमार के सभी नागरिकों के अधिकारों के लिए उनकी जिम्मेदारियों पर गंभीरता से विचार करने का अनुरोध किया है।"
म्यांमार के विशाल प्राकृतिक और मानव संसाधनों को ध्यान में रखते हुए, देश के 16 धर्मप्रांतों के धर्माध्यक्षों द्वारा हस्ताक्षरित बयान का मानना है कि अगर हम शांति से निवेश करें तो राष्ट्र "एक बार फिर से दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे अमीर देशों में से एक बन सकता है।"
कोई सैन्य समाधान नहीं
उन्होंने कहा "म्यांमार ने युद्ध के छह दशक देखे हैं। युद्ध में किसी की जीत नहीं हुई, केवल निर्दोष लोगों की मौत और विस्थापन जारी है। युवा पीढ़ी हताश और निराश है। युद्ध राष्ट्र की एक लाइलाज बीमारी बन गई है और धर्माध्यक्षों ने जोर देकर कहा, "इस बीमारी को रोकना होगा।"
"जातीय सशस्त्र समूहों से बातचीत की मेज पर लौटने के लिए" आग्रह करते हुए, धर्माध्यक्षों ने सरकार और तातमाव को सैन्य समाधान से परहेज करने की भी अपील की। बल्कि उन्हें एक राजनीतिक रणनीति ढूंढनी चाहिए और समुदायों को नए सिरे से उम्मीद देनी चाहिए कि चुनावी लोकतंत्र उन्हें शांतिपूर्ण तरीकों से अपनी आकांक्षा हासिल करने में मदद कर सकता है।
शांति ही एकमात्र रास्ता है
धर्माध्यक्षों ने कहा, "कोविद -19 का नया खतरा यह मांग करता है कि हम शांति के साथ खड़े रहें, युद्ध का प्रतिरोधी ‘शांति’ है।"
धर्माध्यक्षों को आने वाले चुनाव से बड़ी आशा हैं कि चुनाव में राजनीतिक प्रतिनिधियों की भागीदारी हो और यही एकमात्र तरीका है। उन्होंने सभी राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं से शांति में निवेश करने का आह्वान करते हुए कहा, "शांति संभव है, शांति ही एकमात्र रास्ता है।"
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