अपने घरों को लौटते आंतरिक प्रवासी अपने घरों को लौटते आंतरिक प्रवासी 

प्रवासियों के लिए विशिष्ट कानून की जरूरत, भारतीय धर्माध्यक्ष

भारतीय धर्माध्यक्षों ने सरकार से अपील की है कि देश के विशिष्ट कानून के माध्यम से आंतरिक प्रवासियों की जितना संभव हो सके जल्द से जल्द मदद की जाए वे कोविद -19 महामारी के कारण भूख, परेशानी और अन्य पीड़ा सह रहे हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली,शनिवार 25 जुलाई 2020 (वाटिकन न्यूज) : भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के तहत प्रवासी आयोग के सचिव फादर जैसन वाडासरी ने कहा कि धर्माध्यक्षों ने 1979 के विशिष्ट कानून के माध्यम से आंतरिक प्रवासियों की जितना जल्दी संभव हो सके, उनकी मदद करने की अपील की है।

1979 के विशिष्ट कानून वास्तव में, आंतरिक प्रवासियों के लिए सरकार द्वारा स्थापित मापदंडों के अनुसार, न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटे और श्रमिक स्वास्थ्य की गारंटी देता है। सरकार पूरी जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ उन प्रवासियों की मदद करे जो कोविद -19 महामारी के कारण शहर छोड़कर अपने गाँव वापस लौट आये थे। काम न मिलने की वजह से वे पुनः शहरों की ओर लौट रहे हैं।

धर्माध्यक्षों ने कहा,"हमने लॉकडाउन में हुए सामूहिक पलायन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की पीड़ा को देखा है। 1979 का कानून उनके स्वास्थ्य संकट पर प्रकाश डालता है इन लोगों की सुरक्षा को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि उनका पलायन एक वास्तविक मानवीय संकट बन गया है। कई प्रवासी श्रमिकों को, सड़कों और रेलवे लाइनों में  कई सौ किलो मीटर चलना पड़ा था और बहुत कठिनाई के साथ वे अपने घर पहुँचे थे। अपने गाँ पहुँचकर भी उन्हें क्वारंटाइन में रखा गया।

फादर जैसन ने कहा कि पीड़ितों की गिनती नहीं की जाती है: उदाहरण के लिए मई में महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में, एक मालगाड़ी की चपेट में आने से कम से कम 16 प्रवासियों की मौत हो गई।  देश भर में सड़क दुर्घटनाओं में 100  लोगों की मौत हो गई। ये प्रवासी मुख्य रूप से भवन निर्माण, कारखानों और ईंट भट्टों में कार्यरत हैं, और गृहकार्य, वस्त्र, परिवहन और कृषि जैसे क्षेत्रों में भी प्रवासी श्रमिक काम करते हैं। ये ज्यादातर भारत के सबसे कम विकसित राज्यों जैसे बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आते हैं। ये लोग बिना किसी सामाजिक सुरक्षा या कानूनी सुरक्षा के अनिश्चित परिस्थितियों में काम करते हैं। वे मौलिक अधिकारों जैसे आवास सहायता, भोजन सहायता, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा और बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

25 July 2020, 14:17