बगदाद के काथलिक प्रार्थना करते हुए बगदाद के काथलिक प्रार्थना करते हुए 

लेबनान के काथलिक स्कूलों को बंद करने का जोखिम

लेबनान के निजी संस्थानों में लगभग 80% काथलिक स्कूल, जो लगभग दो-तिहाई छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं, सरकारी सहायता की कमी के कारण 2020-2021 के स्कूल सत्र के लिए बंद हो जाएंगे।

बगदाद, सोमवार 8 जून 2020 (वाटिकन न्यूज) : लेबनान का लंबे समय से चल रहा आर्थिक संकट देश के प्रतिष्ठित निजी शिक्षा क्षेत्र पर भारी पड़ रहा है। लेबनान के निजी संस्थानों में लगभग 80% काथलिक स्कूल, जो लगभग दो-तिहाई छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं, सरकारी सहायता की कमी के कारण 2020-2021 के स्कूल सत्र के लिए बंद हो जाएंगे।

राज्य द्वारा निजी स्कूलों की उपेक्षा

काथलिक स्कूलों के जनरल सचिवालय के प्रधान फादर बूत्रोस अजार ने 4 जून को एक खुले पत्र में लेबनान के राष्ट्रपति मिखाएल एउन को चेतावनी दी। फादर अजार ने देश के महत्वपूर्ण निजी शिक्षा क्षेत्र, जिसमें काथलिक स्कूल शामिल हैं, "राज्य की लापरवाही" को जिम्मेदार ठहराया।

फादर अजार, के अनुसार "लेबनान के निजी स्कूलों के महासंघ और काथलिक स्कूलों के जनरल सचिवालय यह पुष्टि करता है कि हम निजी शिक्षा संस्थान एक सामान्य चुनौती का सामना कर रहे हैं, जो लेबनान में दो तिहाई से अधिक  याने 710 हजार विद्यार्थियों को स्कूली शिक्षा प्रदान करता है जबकि  सार्वजनिक शिक्षा में 260 हजार विद्याथी शिक्षा ग्रहण करते हैं।”

उन्होंने कहा कि बंद करना "एक बड़ा राष्ट्रीय नुकसान" है जो देश के संकट की स्थिति को बढ़ाता है।

लेबनान के फ्रेंच-भाषा के दैनिक समाचार पत्र ʺओरिएन्ट –ले-जोरʺ से बात करते हुए, फादर अजार ने "राज्य की लापरवाही" को कानून 46/2018 का हवाला देते हुए समझाया, जिसने सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतनमान को संशोधित किया,परंतु निजी शैक्षणिक संस्थानों, को इससे वंचित कर दिया।

उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों से, सरकार ने आंशिक रूप से अनुदानित स्कूलों का भुगतान नहीं किया है। मध्यम और छोटे आकार के स्कूलों के लिए, शिक्षकों के वेतन में भारी कटौती करने या बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

लेबनान की आधी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे

कोविद -19 से पहले भी, लेबनान अपने इतिहास में सबसे खराब आर्थिक संकट से गुज़र रहा था, जिसने पिछले साल बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी विरोध शुरू कर दिया था।

आज, देश के लगभग छह मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। कुछ चेतावनी दे रहे हैं कि तबाही का पैमाना 15 साल के गृहयुद्ध की तुलना में अधिक विनाशकारी हो सकता है, जो 1975 से 1990 तक चला था।

फादर अजार ने कहा कि अक्टूबर में विरोध प्रदर्शनों के बाद स्कूलों को बंद करने के बाद अब कोरोना वायरस के कारण बंद कर दिया गया है।

माता-पिता ने बंद दिनों की संख्या के अनुपात में स्कूल की फीस में कमी करने के लिए कहा है, जो कि स्कूल वर्ष का लगभग 40% है।

काथलिक स्कूल दबाव में

अपने पत्र में, फादर अजार ने बताया कि इस जबरन बंद के साथ, निजी स्कूलों के हजारों छात्र सार्वजनिक स्कूलों में जगह की तलाश करेंगे। देश में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ेगी और हज़ारों शिक्षक और कर्मचारी अपनी नौकरी खो देंगे।

मारिस्ट के नेतृत्व वाले कुछ संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को पूरी तरह से वेतन देना जारी रखा है, जबकि अन्यों ने अपने शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन को आधा कर दिया।

यहां तक कि प्रतिष्ठित जेसुइट-रन नॉट्रेडेम डे जम्होर कॉलेज, जिसे न केवल लेबनान में बल्कि पूरे मध्य पूर्व में एक प्रीमियम संस्थान माना जाता है, इस स्थिति का शिकार हो गया है। इसने समर्थन की अपील करते हुए अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व में अपने पूर्व विद्यार्थियों को लिखने का चरम उपाय किया है।

संत पापा की एकजुटता

मई में, संत पापा फ्राँसिस ने लेबनानी काथलिक स्कूलों में छात्रों के लिए 400 छात्रवृत्ति का समर्थन करने के लिए 200,000 यूएस डॉलर का दान भेजा।

महाधर्माध्यक्ष जोसेफ स्पितेरी के अनुसार देश में हमेशा एक "शानदार शैक्षिक प्रणाली थी जिसने पूरे मध्य पूर्वी क्षेत्र को प्रेरित किया था।" दुर्भाग्य से, राजनीतिक और सामाजिक संकटों के कारण, शैक्षिक क्षेत्र को बहुत नुकसान हो रहा है, युवा लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।

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08 June 2020, 10:29