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बुलाहट रविवार: ईश्वर के बुलावे को ‘हां’ कहने का साहस

पास्का के चौथे रविवार को बुलाहट हेतु विश्व प्रार्थना दिवस के रुप में मनाया जाता है और लोगों को ईश्वर के बुलावे को "हां" कहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार 4 मई 2020 (वाटिकन न्यूज) : रविवार 3 मई, 57 वां बुलाहट हेतु विश्व प्रार्थना दिवस के रुप में मनाया गया। इस दिन कलीसिया ईश्वर की बुलाहट पर चिंतन करने और अपना जीवन समर्पित करने हेतु प्रोत्साहित करती है।

संत पापा फ्राँसिस ने इस दिन पवित्र मिस्सा में पुरोहितों और डाक्टरों के लिए विशेष रुप से प्रार्थना की। संत पापा ने कहा, ʺयह रविवार भला चरवाहा रविवार कहलाता है। हम सब इटली के करीब 100 से अधिक पुरोहितों और लगभग 154 डॉक्टरों की याद करें जो भले चरवाहे के समान अपने लोगों की सेवा करते हुए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका उदाहरण हमें ईश्वर के लोगों की देखभाल करने में प्रेरित करे।ʺ

ईश्वर की ओर से पहल

संत पापा फ्राँसिस ने अपने परमाध्यक्षीय काल में कई बार याजकीय और धर्मसमाजी जीवन के बारे में बात की है।

2013 में गुरुकुल के छात्रों और नौसिखियों से बात करते हुए संत पापा ने कहा कि "एक पुरोहित या धर्मसंघी बनना मुख्य रूप से हमारा खुद का निर्णय नहीं है ... बल्कि यह एक प्यार भरे बुलावे का जवाब है।"

इस वर्ष के बुलाहट हेतु विश्व दिवस के लिए अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने लिखा, "प्रभु की पुकार हमारी स्वतंत्रता में ईश्वर का अतिक्रमण नहीं है, यह एक 'पिंजरा' या वहन करने वाला बोझ नहीं है। इसके विपरीत, यह एक प्रेमपूर्ण पहल है जिसमें ईश्वर हमसे मुलाकात करते हैं और हमें अपने महान उपक्रम का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हैं।”

 कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई हिस्सों में जगह-जगह तालाबंदी होने के कारण, लोगों को अपने घरों में अपने जीवन पर चिंतन करने के लिए और अधिक समय मिला है कि वे ईश्वर के साथ गहराई से कैसे जुड़ सकते हैं।

"हाँ" कहने का साहस

बुलाहट को बढ़ावा देने के लिए संत पापा के आह्वान में शामिल होते हुए, बुलाहट के लिए गठित आयरिश धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष तथा वॉटरफोर्ड और लिस्मोर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष अल्फोंस कलिनन  ने कहा कि ईश्वर के बुलावे को स्वीकार कर उनके पीछे चलने के लिए साहस की जरुरत होती है।

आज की संस्कृति में विशेष रूप सेईश्वर के बुलावे को 'हाँ' कहना बहुत साहस का काम है। लोग खुशी की तलाश में हैं और सवाल यह है वे कहां जाकर इसकी तलाश करते हैं? इस जीवन के मोड़ पर येसु हमसे कह रहे हैं, ʺमेरे पास आओ।ʺ

धर्माध्यक्ष अल्फोंस ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि जो लोग वास्तव में हमें इस धर्मसमाजी जीवन के लिए प्रेरित करते हैं, वे ऐसे लोग नहीं हैं जिन्होंने अपने जीवन को आसानी से लिया है, बल्कि उन्होंने हर तरह की कठिनाइयों के बावजूद प्यार करना जारी रखा है। ʺमैं एक पुरोहित बनने के लिए खुश था, यह मेरी खुद की कहानी का हिस्सा था।"

पुरुषों और महिलाओं को अपने बुलाहट पर विचार करने हेतु आमंत्रित करते हुए धर्माध्यक्ष अल्फोंस ने प्रार्थना और खुद में विश्वास करने को कहा। हमें डरना नहीं है,क्योंकि हम सब अयोग्य हैं। येसु के सिवाय कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो पुरोहिताई के योग्य हो।

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04 May 2020, 16:37