वाटिकन में लौदातो सी सम्मेलन वाटिकन में लौदातो सी सम्मेलन 

लौदातो सी सप्ताह: संत पापा के अभिन्न पारिस्थितिकी पर 5 साल

24 मई को कलीसिया संत पापा फ्राँसिस के पहले विश्वपत्र लौदातो सी की 5वीं वर्षगांठ मना रही है। हम लौदातो सी सप्ताह में "हमारे आमघर की देखभाल पर" विश्वपत्र लौदातो सी के कुछ विषयों पर चर्चा करते हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 23 मई 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस का पहला विश्वपत्र अभिन्न पारिस्थितिकी के विचार पर केंद्रित है, जो कि गरीब और सबसे कमजोर लोगों के लिए न्याय के साथ-साथ प्राकृतिक दुनिया की देखभाल को जोड़ता है।

संत पापा कहते हैं कि ईश्वर के साथ, अपने पड़ोसियों के साथ और प्राकृतिक दुनिया के साथ, भगवान के साथ हमारे सम्बंधों को मौलिक रूप से पुनःस्थापित करके ही हम आज हमारी सृष्टि के सामने आने वाले खतरों से निपटने की उम्मीद कर सकते हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि विज्ञान सबसे अच्छा उपकरण है जिसके द्वारा हम पृथ्वी का रोना सुन सकते हैं, जबकि संवाद और शिक्षा दो कुंजी हैं जो "आत्म-विनाश के भंवर से बचने में हमारी सहायता कर सकते हैं।"

संत पापा के विचार-मंथन के केंद्र में यह प्रश्न है, "हम हमारे बाद आने वाली पीढ़ी, हमारे बच्चों के लिए जो अब बड़े हो रहे हैं, किस तरह की दुनिया छोड़ना चाहते हैं?" उनके द्वारा सुझाए गए उत्तर राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रणालियों के साथ-साथ हमारी व्यक्तिगत जीवनशैली में भी गहरा बदलाव लाने की मांग करता है।

पहला अध्याय - "आमघर" की  छः गंभीर चुनौतियां 

प्रदूषण, बर्बादी और हमारी फेंकने की मानसिकता:- वर्तमान में "पृथ्वी, हमारा घर, गन्दगी के ढ़ेर की तरह दिखने लगा है।"

जलवायु परिवर्तन:- "आज मानवता के सामने आने वाली मुख्य चुनौतियों में से एक है जलवायु परिवर्तन की समस्या।" लेकिन जिनके पास अधिक संसाधन और आर्थिक या राजनीतिक शक्ति है, वे ज्यादातर समस्याओं का सामना करने के बदले उनके लक्षणों को छिपाने के लिए चिंतित हैं।"

हमारे दिन में मानवता के सामने सिद्धांत, सिद्धांतों में से एक" लेकिन "उनमें से कई जिनके पास अधिक संसाधन और आर्थिक या राजनीतिक शक्ति है, वे ज्यादातर समस्याओं को सुलझाने या उनके लक्षणों को छुपाने से चिंतित हैं"

पानी:- "सुरक्षित पीने योग्य पानी एक बुनियादी और सार्वभौमिक मानव अधिकार है," परंतु अभी तक पूरी आबादी इससे वंचित है, विशेष रूप से बच्चे दूषित पानी के कारण बीमार हो जाते हैं और मर जाते हैं।

जैव विविधता:- "प्रत्येक वर्ष हजारों पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ लुप्त होती जा रही हैं, हम सभी, जीवित प्राणियों के रूप में, एक दूसरे पर निर्भर हैं।" अक्सर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक लाभ जैव विविधता के संरक्षण में बाधा डालते हैं।

समाज का टूटना:- विकास के वर्तमान मॉडल मानवता के जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। "कई शहर बहुत विशाल हैं, जहाँ अकुशल संरचनाएं हैं वहाँ ऊर्जा और पानी की अत्यधिक बर्बादी होती है।

वैश्विक असमानता:- पर्यावरणीय समस्याएं सबसे कमजोर लोगों को प्रभावित करती हैं जो  दुनिया की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसका समाधान जन्मदर कम करना नहीं है बल्कि "एक चरम और चयनात्मक उपभोक्तावाद" का प्रतिकार करना है।

तीसरा अध्याय - बढ़ते संकटों के छः मूल कारण  

प्रौद्योगिकी:- हालंकि "एक सही नैतिकता" के बिना प्रौद्योगिकी  सतत विकास की दिशा में प्रगति ला सकती है, परंतु "एक सही नैतिकता" "विशेष रूप से आर्थिक संसाधनों पर पूरी मानवता के प्रभावशाली प्रभुत्व का ज्ञान देता है।"

तकनीकी मानसिकता:- "अर्थव्यवस्था लाभ की दृष्टि से प्रौद्योगिकी में हर उन्नति को स्वीकार करती है ... लेकिन अभी तक बाजार स्वयं मानव विकास और सामाजिक समावेश की गारंटी नहीं दे सकता है।"

मानव-जाति विज्ञान : हम दुनिया में अपनी जगह और प्रकृति के साथ अपने संबंधों को नहीं समझ पाते हैं। मानव जीवन के पारस्परिक संबंधों और सुरक्षा को तकनीकी तर्क से ऊपर रखा जाना चाहिए। इसलिए पर्यावरणीय चिंता "गर्भपात के औचित्य के साथ भी असंगत है।"

व्यावहारिक सापेक्षतावाद:- पर्यावरणीय गिरावट और सामाजिक क्षय "सब कुछ अप्रासंगिक रूप में देखने का परिणाम है जब तक कि यह किसी स्वयं के हितों की सेवा नहीं करता है।"

रोजगार:- अभिन्न पारिस्थितिकी में श्रम के मूल्य पर ध्यान रखना होगा ताकि सभी को काम करने का अवसर मिले। अल्पकालिक वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए लोगों के निवेश को रोकना चाहिए। यह "समाज का बुरा व्यवसाय" है।

जैविक प्रौद्योगिकियां:- जीएमओ एक "जटिल पर्यावरणीय मुद्दा" है जिसने समस्याओं को हल करने में मदद की है लेकिन इसमें कुछ कठिनाइयाँ भी देखने को मिली हैं जैसे भूमि "कुछ मालिकों के हाथों में केंद्रित होना", छोटे उत्पादकों, जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र को खतरा।

तो समाधान कहां हैं?  छः सबसे सटीक समाधान 

"सृष्टि का शुभ संदेश":- दूसरे अध्याय में पुराने और नए नियमों द्वारा यह दिखाया गया है कि मानव जीवन ईश्वर के साथ, पड़ोसियों के साथ और निर्मित दुनिया के साथ रिश्तों में किस तरह से जुड़ा हुआ है। जब हम इन रिश्तों को तोड़ते हैं और ईश्वर की रचना के प्रति अपनी "भारी जिम्मेदारी" का एहसास करते हैं, तो हमें अपने पापों को स्वीकार करना चाहिए।

समग्र पारिस्थितिकी:- चौथा अध्याय न्याय के इस नए प्रतिमान की खोज करता है जिसका अर्थ है "पर्यावरणीय समस्याओं का विश्लेषण- मानव, परिवार, कार्य-संबंधी और शहरी संदर्भों के विश्लेषण से अलग नहीं किया जा सकता", जबकि समाधान हमारे सबसे गरीब एवं कमजोर भाइयों और बहनों पर आधारित एक बेहतर विकल्प" होना चाहिए।”

संवाद:- पांचवां अध्याय 'पहुंच और कार्रवाई की पद्धतियाँ’“ ईमानदार और खुली बहस की आवश्यकता पर बल देता है, जिससे कि विशेष हित या विचारधारा आम भलाई को पूर्वाग्रह नहीं करेगी।” कलीसिया वैज्ञानिक सवालों का निपटारा या राजनीति को बदलने का तर्क नहीं देती है, लेकिन यह वैश्विक और स्थानीय प्रशासन को पारदर्शी निर्णय लेने, प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी उपयोग के साथ-साथ विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ सम्मानजनक बातचीत को बढ़ावा देने में अपना सहयोग दे सकती है।

शिक्षा:- छठा अध्याय स्कूलों, परिवारों, मीडिया और कलीसियाओं से अपील करता है कि वे आदतों और व्यवहार को बदलने में मदद करें। व्यक्तिवाद पर काबू पाने के दौरान, हमारी जीवन शैली और उपभोक्ता की पसंद को बदलते हुए, उन आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक शक्ति प्राप्त लोगों पर दबाव डाला जा सकता है जो समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाते हैं।

पारिस्थितिक रूपांतरण:- छठे अध्याय में ही असीसी के संत फ्रांसिस को "हमारी दुनिया के प्रति अत्यधिक प्रेम और सुरक्षा के प्रति शुभचिंतक" एवं आदर्श के रूप में दिखाया गया है। उनकी कृतज्ञता और उदारता, रचनात्मकता और उत्साह इत्यादि विशेषताओं को उजागर किया गया है।

आध्यात्मिकता:- अंत में छठा अध्याय और दो समापन प्रार्थनाएँ हमें दिखाती है कि ईश्वर में हमारा विश्वास कैसे पर्यावरण की देखभाल करने के लिए हमें प्रेरित कर सकता है। पवित्र संस्कार, त्रित्व ईश्वर, पवित्र परिवार का मॉडल और अनन्त जीवन के लिए हमारी आशा हमें ईश्वर द्वारा दी गई दुनिया की रक्षा करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।

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23 May 2020, 12:22