सामूहिक बलात्कार कांड सामूहिक बलात्कार कांड  

सामूहिक बलात्कार कांड में फादर को अपील करने का अधिकार मिला

काथलिक नेता सन्देह रहित हैं कि जेस्विट फादर अल्फोंस को राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

झारखंड, बृहस्पतिवार, 29 अगस्त 19 (ऊकान)˸ झारखंड के काथलिक नेताओं को बिलकुल संदेह नहीं है कि काथलिक पुरोहित जिन्हें सामूहिक बलात्कार के आरोप में जेल की सजा दी गयी है उनकी रिहाई हो जायेगी क्योंकि उन पर गलत आरोप लगे हैं। यह बात जेस्विट फादर जेवियर सोरेंग ने कही।

झारखंड राज्य के उच्च न्यायालय ने मई में एक काथलिक पुरोहित द्वारा बलात्कार के मामले में उनकी सजा और उसके आजीवन कारावास के खिलाफ अपील सुनने पर सहमति व्यक्त की है।

येसु समाजी फादर जेवियर सोरेंग ने ऊका समाचार को बतलाया कि उच्च न्यायालय ने जेस्विट फादर अल्फोंस आईंद की याचिका को 26 अगस्त को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि उनकी याचिका का परिणाम लंबित होने पर मार्च में फादर आईंद को जमानत दी गई थी।

अदालत ने मामले के पूरे रिकॉर्ड तक पहुंच का भी आदेश दिया ताकि वह पूरी सुनवाई  शुरू कर सके।

फादर जेवियर ने कहा कि कलीसिया के नेता फादर अल्फोंस की रिहाई पर पूरी तरह आश्वस्त हैं क्योंकि केस में उनपर झूठा आरोप लगाया गया है। हमें पूरी उम्मीद है कि अदालत उनकी निर्दोषता को समझेगी और अंत में उन्हें रिहा कर देगी।  

फादर अल्फोंस को पांच महिलाओं के सामूहिक बलात्कार मामले में, पुलिस को अपराध की सूचना नहीं देने और छह पुरुषों के साथ साजिश रचने का दोषी ठहराया गया था।

उनके खिलाफ आपराधिक आरोपों में, साजिश का हिस्सा होना, अपहरण, अपराध की रिपोर्ट न करना और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए अश्लील सामग्री रखना और प्रसारित करना शामिल था।

फादर आईंद खूंटी धर्मप्रांत के एक सुदूर गाँव कोचांग में जेस्विट पुरोहितों द्वारा संचालित स्टॉकमन मेमोरियल माध्यमिक विद्यालय के प्राधानाध्यपक थे। उनकी गिरफ्तारी 22 जून 2018 को की गयी थी, जब एक दिन पहले पुलिस को एक सामूहिक बलात्कार का केस दर्ज किया गया था।  

फादर सोरेंग के समान कलीसिया के अनेक लोगों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2014 में सत्ता में आने के बाद से झारखंड में ईसाइयों के प्रति शत्रुतापूर्ण माहौल के बीच फादर आईंद को फंसाया गया है।

सामूहिक बलात्कार की घटना के पूर्व, छः लड़कों ने पाँच महिलाओं का अपहरण किया था जो महिला एवं बाल तस्करी के संबंध में, स्थानीय आदिवासी लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए नुकड़ नाटक का मंचन कर रहे थे।  

पुलिस ने स्वीकार किया कि पुरोहित ने तस्करी से बचायी गयी महिलाओं के लिए काम करने वाली उर्सुलाईन की दो धर्मबहनों को बचाया।

हालांकि, उन्होंने कहा कि इस नाटक ने हमलावरों को नाराज कर दिया क्योंकि इसने पत्थलगड़ी के खिलाफ भावनाओं को व्यक्त किया, पत्थलगड़ी आंदोलन जो भारतीय संविधान में प्रावधानों के अनुसार गांवों पर आदिवासी स्वायत्तता का दावा करता है।

आंदोलन को राज्य की नीतियों के खिलाफ विद्रोह के रूप में पेश किया गया है, जिसमें आदिवासी नेताओं का कहना है कि विकास परियोजनाओं के नाम पर उनकी भूमि और संसाधनों को छीना जा रहा है।

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29 August 2019, 16:42