कार्डिनल बो कार्डिनल बो  

म्यांमार को प्यार, न्याय, दया की सख्त जरूरतः कार्डिनल बो

अपने एक नए जारी किए गए प्रेरितिक पत्र में, बर्मा के कार्डिनल चार्ल्स बो "एशियाई कलीसिया और राष्ट्रों के लिए ईश्वरीय प्यार" की चिंता जाहिर करते हैं।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 19 अगस्त 2019 (रेई) योंगोंन म्यांमार के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने अपने नये प्रेरितिक पत्र में म्यांमार में कलीसिया की वर्तमान चुनौतियों का जिक्र करते हुए सन् 2020 में होने वाले चुनाव के प्रति अपनी विशेष चिंता जताई।

उन्होंने कहा,“म्यांमार में अब भी बहुत से लोग हैं जिन्हें भूखे-प्यासे, वस्त्रहीन, बीमार और कैदखाने का शिकार होना पड़ रहा है।” धर्मग्रंथ के वचनों, “जो कुछ तुमने मेरे छोटे से छोटे इन भाइयों के लिए किया तुमने वह मेरे लिये किया” को उद्धृत करते हुए उन्होंने देश के नागरिकों का आहृवान किया कि वे एक साथ मिलकर देश में हिंसा को खत्म करने का प्रयास करें जिससे म्यांमार के हर जाति, धर्म और समुदाय के लोगों को देश में मानवता का सम्मान मिल सकें और वे भाई-बहनों की तरह देश में निवास कर सकें।

शांति की आशा

अपने पत्र में कार्डिलन बो ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि लोगों अपने अधिकारों के लिए खड़े हों, “अधिकार के साथ कर्तव्य की मांग की जाती है और स्वतंत्रता के साथ हमारे लिए उत्तरदयित्व आते हैं।” उन्होंने लिखा,“मानव ईश्वर के रुप में बनाया गया है लेकिन म्यांमार और विश्व के हर कोने में ईश्वर के इस रुप को निर्दयतापूर्ण ढ़ंग से कुचल दिया जाता है।” 

म्यांमार ने कई सालों से असल शांति का अनुभव नहीं किया है और हर एक म्यांमार निवासी, जाति और धर्म के लोग अपने लिए एक सच्ची शांति की चाह रखते हैं। कार्डिलन बो ने आगे लिखा, “शांति की इस चाह हेतु म्यांमार के हर व्यक्ति को देश की विविधता से प्रेम करने हेतु सीखने की जरुरत है जो हमारे बीच एकता स्थापित करेगी।” उन्होंने सैन्य सेवा की आवश्यकता के बारे में कहा उन्हें विशेषकर निर्दोष लोगों की रक्षा करने की जरुरत है। देश के नागिरकों को सुरक्षा के आलवे मानवतावादी सहायता की आवश्यकता है जिसमें भोजन, निवास, चिकित्सा और शिक्षा प्रमुख है। 

धार्मिक स्वतंत्रता

कार्डिनल बो ने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों पर बल दिया जो किसी भी देश के नागरिक के लिए मूलभूत अधिकार है। उन्होंने न केवल म्यांमार वरन एशिया के विभिन्न देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के हनन और बढ़ रही असहिष्णुता पर भी अपनी चिंता जाहिर की। मानव सम्मान हेतु कार्यरत लोगों, मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के रक्षकों से उन्होंने आग्रह किया कि वे जनसामान्य लोगों के अधिकारों की रक्षा हेतु कार्यो करें। उन्होंने अपने प्रेरितिक पत्र में विशेष रूप से नशीली प्रदार्थो के दुरूपयोग, पर्यावरण, शिक्षा, गुलामी और मानव तस्करी का भी उल्लेख किया।

प्रेम, न्याय, दया

अपने प्रेरितिक पत्र के अंत में कार्डिनल ने कहा “इस प्रेरितिक पत्र का उद्भव प्रेम है, यह पत्र न्याय की इच्छा से प्रभावित है और दया से प्रेरित है। म्यांमार को प्रेम, न्याय और करूणा तीनों की जरुरत है।”

म्यांमार की कलीसिया उन्होंने कहा, "सभी के लिए दया का स्थान, सुलह का केंद्र होने, हर धर्म और जातीयता, हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करने को तैयार है। यह सभी दीवारों, बाधाओं और नफरत को प्रेम में अंगीकृत करते हुए आगे बढ़ने हेतु संकल्प है।”

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

19 August 2019, 16:23