पूर्वी अफ्रीका (एएमइसीइए) की 19वीं आमसभा के उद्घाटन पूर्वी अफ्रीका (एएमइसीइए) की 19वीं आमसभा के उद्घाटन  

एएमइसीइए द्वारा नवीकरण को स्वीकारने का आग्रह, महाधर्माध्यक्ष

महाधर्माध्यक्ष प्रोटेस रुगांबवा ने पूर्वी अफ्रीका (एएमइसीइए) की 19वीं आमसभा के उद्घाटन के दौरान अपने भाषण में सम्मेलन को नवीनीकरण को गले लगाने की चुनौती दी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

लोकधर्मियों के सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंध के सचिव महाधर्माध्यक्ष प्रोटेस रुगांबवा ने एएमइसीइए की 19वीं आमसभा के उद्घाटन के दौरान रविवार शाम को अपने बीच एकजुटता को मजबूत करने और नवीनीकरण को स्वीकारने के लिए एएमइसीइए क्षेत्र के धर्माध्यक्षों को चुनौती दी।

संत पापा फ्राँसिस के कलीसियाई नवीकरण की मांग पर ध्यान

महाधर्माध्यक्ष रुगांबवा ने कहा,"मैं एएमइसीइए से आग्रह करता हूँ कि संत पापा फ्राँसिस के कलीसियाई नवीकरण की मांग के अनुपालन में अपनी संरचनाओं को पुन: स्थापित करें जिसे स्थगित नहीं किया जा सकता है। मुझे लगता है कि आप संगठन के परिचालन संरचनाओं और प्रभावशीलता को पुन: पेश करने के लिए भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे - यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह वांछित सेवा प्रदान कर रहा है, अपने कार्य करने की शैली की समीक्षा कर रहा है। "

संत पापा पॉल छठे के संदेश, 'अफ्रीका टेरारम' की प्रासंगिकता

महाधर्माध्यक्ष रुगांबवा ने आगे धन्य पापा पॉल छठे की याद की, जिन्हें इस वर्ष अक्टूबर में संत घोषित किया जाएगा। 

"धन्य पापा पॉल छठे उन परमधर्माध्यक्षों में से एक है जिन्होंने अफ्रीका के लिए महान प्यार प्रकट किया उनके नेतृत्व काल में ही एएमइसीइए को विकसित किया गया। महाधर्माध्यक्ष रुगांबवा ने प्रोत्साहित करते हुए कहा, "मुझे आश्चर्य है कि क्या यह बैठक अफ्रीका में कलीसिया को धन्य पापा पॉल छठे के संदेश 'अफ्रीका टेरारम को फिर से देखने का एक उपयुक्त अवसर नहीं होगा?'

महाधर्माध्यक्ष के अनुसार, धन्य पापा पॉल छठे ने विकास के स्थानीय स्वामित्व की वकालत की। उन्होंने अफ्रीकी कलीसिया को "स्वयं मिशनरी बनने के नए तरीके" तैयार करने के लिए चुनौती दी।

संसाधनों और कर्मियों के साझाकरण की आवश्यकता

महाधर्माध्यक्ष रुगांबवा ने धन्य पॉल छठे के संदेश को प्रतिबिंबित करते हुए कहा, " एएमइसीइए क्षेत्र में कलीसिया को इस तथ्य के बारे में जागरूकता को नवीनीकृत करना चाहिए कि उसका भविष्य मिशनरियों या अन्य महाद्वीपों से मानव विकास के समूहों पर निर्भर नहीं है।" इसके बजाय, "हमारे महाद्वीपों का भविष्य अफ्रीका पर निर्भर करता है।"

यह पृथ्वी के नमक और दुनिया की रोशनी होने के लिए कलीसिया को खुद पर निर्भर करना है। इसके लिए कलीसियाओं में एकजुटता की एक नई भावना द्वारा संसाधनों और कर्मियों के साझाकरण को शामिल करना है।

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18 July 2018, 16:42