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कृषि कानूनों की वापसी का कलीसिया के धर्मगुरूओं ने स्वागत किया

तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ सालभर से अधिक प्रदर्शन करने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें निरस्त करने की घोषणा की। विश्लेषकों ने यू-टर्न की व्याख्या आगामी चुनावों में उनकी भाजपा पार्टी की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए एक कदम के रूप में की है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 23 नवम्बर 2021 (ऊकान)- भारत की काथलिक कलीसिया के धर्मगुरूओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा का स्वागत किया है जिसने किसानों को देश के सबसे लंबे सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर किया, जिसमें करीब 700 किसान मारे गए।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के श्रम विभाग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष अलेक्स वादाकुमथाला के अनुसार यह किसानों एवं पूरे देश के हित में निश्चिय ही स्वागत योग्य निर्णय है।

उन्होंने उका न्यूज से कहा, "अंततः किसानों की दृढ़ता की जीत हुई। यदि सरकार उन कानूनों को बनाने से पहले कठोर नहीं हुई होती और किसानों के साथ विचार-विमार्श की होती, तब किसानों को हुई असुविधा को रोका जा सकता था। हमारे किसान हमारी रीढ़ की हड्डी हैं।"

यू- टर्न

19 नवम्बर को सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरूनानक जन्म दिवस के अवसर पर, एक आश्चर्यचकित करनेवाली टेलीविजन घोषणा में, मोदी ने कहा कि 29 नवंबर से शुरू होनेवाले शीतकालीन संसदीय सत्र में कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा। अधिकांश पंजाबी किसान सिक्ख हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून किसानों के हित के लिए बनाये गये थे लेकिन "हम अपने किसानों को इसके बारे नहीं समझा सके। यह किसी को दोष देने का समय नहीं है।"

मोदी की घोषणा तब आयी है जब किसान अपने प्रदर्शन के वर्षगाँठ की याद करने के लिए 26 नवम्बर से अपना प्रदर्शन तेज करने की योजना बना रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), 40 किसान संघों की एक संस्था, जिसने विरोध प्रदर्शन की अगुवाई की है, मोदी की घोषणा का स्वागत किया।

700 किसानों ने प्रदर्शन में अपनी जान गंवायी

2020 -2021 भारतीय किसान आंदोलन किसान कानूनों के खिलाफ एक जारी प्रदर्शन है जिसको भारत के संसद द्वारा सितम्बर 2020 को पारित किया गया था। किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम का समझौता, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम नवंबर 2021 में पेश किया गया।

किसानों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदर्शन किया, खासकर, पंजाब में। दो माह के प्रदर्शन के बाद संघ विशेषकर पंजाब और हरियाणा से भारत की राजधानी दिल्ली की ओर बढ़ने लगी। सरकार ने पुलिस और सुरक्षा बल को प्रदर्शनकारियों पर हमला करने का आदेश दिया। किसान संघों को पहले हरियाणा और फिर दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए उनके ऊपर वाटर कैनन, डंडों और आंसू गैस के गोले छोड़े गये। पुलिस द्वारा नई दिल्ली के रास्तों को अवरूद्ध करने और बिजली एवं जल आपूर्ति रोक देने के बावजूद किसान प्रदर्शन करते रहे।    

जनवरी 2021 से चल रहे कृषि कानूनों पर एक राष्ट्रव्यापी अदालत ने स्थगन आदेश दिया है। सालभर के विरोध के दौरान, हिंसा और आत्महत्या सहित लगभग 700 किसानों की कथित तौर पर मौत हो गई है।

धर्माध्यक्ष वादाकुमथला ने कहा, "सरकार को उन किसानों के परिवारों की क्षतिपूर्ति करनी चाहिए जिनकी स्वाभाविक अथवा महामारी के कारण मौत हो गई है।

तीन विचारणीय कानून

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के न्याय, शांति और विकास आयोग के अध्यक्ष जबलपूर के धर्माध्यक्ष जेराल्ड अलमेइदा ने कहा कि कानून बनाने से पहले पूरी तरह से अध्ययन करने में सरकार की विफलता ने समस्याएं पैदा कीं।

कई किसान संघों ने मोदी के कानून को "किसान विरोधी कानून" कहा है और विपक्ष के नेताओं का कहना है कि "किसानों को कंपनियों की दया पर छोड़ दिया गया है।" किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) विधेयक बनाने की भी मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनियां कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकती हैं।

धर्माध्यक्ष अलमेइदा ने कहा कि "किसानों को तभी लाभ होता है जब उनकी फसल के लिए निर्धारित दर लागू होती है और सिर्फ सरकार ही ऐसा कर सकती है। "सरकार ने किसानों की आमदनी को दोगुणी करने का वादा किया था किन्तु कुछ नहीं किया बल्कि खाद और कृषि के लिए आवश्यक अन्य सामग्रियों के दाम बढ़ा दिये।" उन्होंने कानूनों को "छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक बड़ा झटका कहा, यहां तक ​​कि मध्यम वर्गीय किसानों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा क्योंकि निजी पार्टियां शायद ही कभी किसानों को एक निश्चित दर प्रदान करती थीं"।

किसानों ने सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी की भी मांग की है। उन्होंने तब तक प्रदर्शन जारी रखने का वादा किया था जब तक मोदी सत्ता में होंगे। धर्माध्यक्ष ने मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा, "यह पहले से अच्छा है।"

 

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23 November 2021, 15:40