अफ़गानिस्तान संकट के प्रति बांग्लादेश की कलीसिया में चिन्ता
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
ढाका, शुक्रवार, 20 अगस्त 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): चीन तथा रूस के बाद अफ़गानिस्तान के तालेबान के प्रति बांग्लादेश की सरकार के उदारवादी रुख से राष्ट्र की कलीसिया चिन्तित है। कलीसयाई नेताओं को आशंका है कि तालेबान दल के प्रति उदारवादी रुख बांगलादेश में इस्लामी चरमपंथियों को मंज़बूती प्रदान करेगा।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमेन ने मीडिया के समक्ष घोषणा की है कि यदि अफ़गानिस्तान के लोग इसे समर्थन देते हैं तो बांग्लादेश की सरकार काबूल के नवीन प्रशासन को मान्यता देने के लिये तैयार है।
कलीसिया की उत्कंठा
बांग्लादेश के विदेश मंत्री की इस घोषणा ने बांग्लादेश की कलीसिया में चिन्ताएँ उत्पन्न कर दी हैं। कलीसियाई नेताओं को आशंका है कि सरकार का यह कदम राष्ट्र में इस्लामी चरमपंथियों को मज़बूती प्रदान करेगा जो आल कायदा एवं कथित इस्लामिक स्टेस आई एस के साथ जुड़े हैं तथा हाल के वर्षों में बांग्लादेश में कई हमलों के लिये ज़िम्मेदार रहें हैं।
बांग्लादेश के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की न्याय एवं शांति सम्बन्धी समिति के महासचिव फादर लिटोन एच. गोम्ज़ ने इस सन्दर्भ में ऊका समाचार से कहा, "अब तक बांग्लादेश मुजाहिदीन और अफ़गान तालिबान द्वारा आयातित धार्मिक उग्रवाद से लड़ता रहा था। अब, तालेबान की जीत और हमारी सरकार द्वारा नये प्रशासन को दिये समर्थन से बांग्लादेश में इस्लामी उग्रवाद को एक मज़बूत आवेग देने का जोखिम बढ़ गया है।"
अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी समिति तथा ख्रीस्तीयों के बीच एकता सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष फादर पेट्रिक गोम्ज़ ने भी इसी प्रकार की चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "केवल काथलिकों को ही नहीं अपितु किसी को भी चरमपंथी सरकार का समर्थन नहीं करना चाहिये, क्योंकि चरमपंथी और अतिवादी सरकार किसी भी समाज एवं देश के हित में नहीं हो सकती।" उन्होंने कहा कि अफ़गानिस्तान के नागरिक तालेबान से भयभीत हैं और यह सच किसी से छिपा नहीं है।
बांग्लादेश में स्थिति
इन्डोनेशिया तथा पाकिस्तान के बाद, बांग्लादेश विश्व का तीसरा मुसलमान बहुल देश है। हालांकि, इस्लाम धर्म देश का आधिकारिक धर्म है, देश में सहिष्णुता की लम्बी परम्परा रही है। हाल के वर्षों में देश में इस्लामी चरमपंथी मज़बूत हुए हैं, जो शरिया कानून को लागू किये जाने की मांग करते रहे हैं, इसी पृष्ठभूमि में बांग्लादेश में आल-कायदा और आईएस के लड़ाकाओं के साथ-साथ, अन्सार-अल-इस्लाम बांग्लादेश, अन्सार उल्लाह बंगला टीम, जुन्द आल तावीदवाल खालिफ़ा तथा जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसे स्थानीय आतंकवादी दल शक्तिशाली हुए हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, ब्लॉगर्स, बुद्धिवादी हस्तियाँ, उदारवादी मुसलमान तथा ख्रीस्तीय मिशनरी प्रायः चरमपंथी दलों के निशाने पर रहा करते हैं। 2013 से अब तक उक्त आतंकवादी दलों ने लगभग 50 लोगों को अपना निशाना बनाया है।
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