लीमा के उत्तर कोमास में  भूख का सामना कर रहे बच्चे सूप का इन्तजार करते हुए लीमा के उत्तर कोमास में भूख का सामना कर रहे बच्चे सूप का इन्तजार करते हुए 

लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में लाखों बच्चे हैं स्कूल से बाहर

यूनिसेफ ने कोविद -19 महामारी के मद्देनजर बच्चों की शिक्षा पर कुल या आंशिक स्कूल बंद होने के हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डाला। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का कहना है कि लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई क्षेत्र के 114 मिलियन बच्चे कक्षाओं में सीखने के लिए व्यक्तिगत रूप से वापस जाने में असमर्थ हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

न्यूयाॉर्क,  शनिवार 27 मार्च 2021 (वाटिकन न्यूज) : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के अनुसार, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में स्वास्थ्य आपातकाल में पूर्ण बंद या आंशिक रूप से चल रहे स्कूल के कारण लगभग 114 मिलियन छात्र स्कूल जाने में असमर्थ हैं।

बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने कहा कि कोविद -19 महामारी के फैलने के एक साल बाद, दुनिया में कैरिबियन और लैटिन अमेरिका में स्कूल वापस न जाने वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।

लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के लिए यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जीन गफ ने कहा, "दुनिया में और कहीं भी इतने सारे बच्चे वर्तमान में आमने-सामने स्कूली शिक्षा के बिना नहीं हैं। लैटिन अमेरिका और कैरिबियन ने अपने आधुनिक इतिहास में सबसे खराब शिक्षा संकट का सामना कर रहा है।"

उनहोंने चेतावनी देते हुए कहा, “कई बच्चे पहले से ही आमने-सामने स्कूली शिक्षा खो चुके हैं; अब वे एक और स्कूल वर्ष खोना शुरू कर दिया। आमने-सामने की स्कूली शिक्षा के बिना प्रत्येक अतिरिक्त दिन सबसे कमजोर बच्चों को हमेशा के लिए स्कूल छोड़ने का जोखिम डालता है।“

नई रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक महामारी से पहले के स्तर तक लौट पाने में एक दशक तक का समय लग सकता है। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि अधूरे पाठ्यक्रमों को पूरा करने और अतिरिक्त कक्षाओं के लिये अभूतपूर्व प्रयासों के ज़रिये इसे वर्ष 2024 तक हासिल किया जा सकता है।

यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष का एक साझा सर्वेक्षण दर्शाता है कि सुधारात्मक कक्षाओं का लाभ महज़ एक-चौथाई बच्चों को ही मिल पा रहा है। महामारी की शुरुआत से अब तक, स्कूलों में तालाबन्दी से प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है, लेकिन देश कम से कम स्कूलों को आंशिक रूप से खुला रखने के लिये प्रयासरत हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 107 देशों में स्कूल पूरी तरह से खुले हुए हैं, इनमें मुख्यत: अफ़्रीका, एशिया और यूरोप में स्थित देश हैं। जहाँ पूर्व-प्राथमिक से माध्यमिक स्तर पर 40 करोड़ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चल रही है। वहीं, 30 देशों में स्कूलों के बन्द होने से 16 करोड़ से ज़्यादा बच्चों पर असर पड़ा है।

विभिन्न क्षेत्रों में स्थित 70 देश ऐसे हैं, जहाँ स्कूलों को कुछ कक्षाओं के लिये या कम संख्या में उपस्थिति की अनिवार्यता के साथ आंशिक रूप से ही खोला गया है। इससे वैश्विक छात्र आबादी का दो-तिहाई हिस्सा प्रभावित हुआ है।

शिक्षा को प्राथमिकता

यूनेस्को ने बच्चों की शिक्षा पर आए इस संकट को पीढ़ीगत विनाश क़रार दिया है। संगठन ने शिक्षकों को ज़्यादा समर्थन मुहैया कराए जाने के साथ, स्कूलों को खुला रखने की पुकार लगाई है। यूएन एजेंसी के अनुसार ऐसे उपाय किये जाने होंगे कि बच्चे, स्कूली शिक्षा से मुँह ना मोड़ें। इस क्रम में पढ़ाई लिखाई के लिये डिजिटल औज़ारों की उपलब्धता को तेज़ी से बढ़ाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

एक अनुमान के अनुसार, निम्न आय वाले देशों में से 65 फ़ीसदी सरकारों ने, शिक्षा के लिये धनराशि को घटाया है, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह क़दम 35 प्रतिशत सरकारों ने उठाया है।

यूनेस्को, सोमवार को शिक्षा मन्त्रियों के साथ एक बैठक बुलाई है, जिसका उद्देश्य, कोविड-19 के कारण शिक्षा में आए व्यवधान की समीक्षा करना और शिक्षा को पुनर्बहाल करने के लिये समाधानों की तलाश करना है।

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27 March 2021, 11:54