बैंकॉक में म्यांमार की सैन्य शक्ति को जब्त करने के बाद दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन बैंकॉक में म्यांमार की सैन्य शक्ति को जब्त करने के बाद दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन 

म्यांमार की सेना ने सैन्य तख्तापलट में शक्ति को जब्त कर लिया

म्यांमार की सेना लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार से सत्ता छीन ली और आंग सान सू की सहित सरकार के नेताओं को जेल में डाल दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

यांगून, सोमवार 01 फरवरी 2021 (वाटिकन न्यूज) : दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र म्यांमार में एक सैन्य तख्तापलट चल रहा है। सोमवार की सुबह सेना की टुकड़ियों ने छापे में कई वरिष्ठ सरकारी नेताओं को गिरफ्तार किया।

हिरासत में लिए गए लोगों में, देश की स्टेट काउंसलर और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट शामिल हैं।

तख्तापलट

मिलिट्री टीवी ने घोषणा की कि कमांडर-इन-चीफ मिन आंग हलिंग को सत्ता हस्तांतरित कर दी गई है, जिन्होंने एक साल की आपातकाल की घोषणा की है। सेना ने 8 नवंबर के चुनाव में "चुनावी धोखाधड़ी" का आरोप लगाया, जिसमें 70% पंजीकृत मतदाताओं ने 83% संसदीय सीटों को नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की पार्टी, सुश्री सू की की पार्टी के रूप में देखा।

एनएलडी ने अपनी ओर से सोमवार को एक बयान जारी कर म्यांमार के लोगों से तख्तापलट को खारिज करने का आह्वान किया।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, "मैं लोगों से आग्रह करता हूँ कि वे इसे स्वीकार न करें और सेना द्वारा तख्तापलट का विरोध करें।"

जमीनी परिस्थिति

कई प्रमुख शहरों में संचार को गंभीर रूप से बंद कर दिया गया है, जिसमें राजधानी यांगून और नई पेई ताव शामिल हैं। फोन सेवाएं बाधित हैं और मोबाइल इंटरनेट डेटा कनेक्शन नीचे है। बीबीसी और एमआरटीवी जैसे प्रमुख ब्रॉडकास्टर, राज्य प्रसारक, साथ ही स्थानीय स्टेशन बंद हैं।

समाचार एजेंसियों ने नकदी निकालने के लिए एटीएम में लंबी लाइनों में खड़े लोगों की रिपोर्ट की और बैंकों ने वित्तीय सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय निंदा

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया स्पष्ट हो गई है, नागरिक सरकार को सत्ता में लौटने की मांग कर रहे हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सेना से अपने कार्यों को उलटने के लिए आग्रह किया और कहा कि अमेरिका लोगों के "लोकतंत्र, स्वतंत्रता, शांति और विकास के लिए उनकी आकांक्षाओं" के पक्ष में है।

उन्होंने कहा, "हम बर्मी सैन्य नेताओं को सभी सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज के नेताओं को रिहा करने के लिए कहते हैं और बर्मा के लोगों की इच्छा का सम्मान करते हैं जैसा कि 8 नवंबर को लोकतांत्रिक चुनावों में व्यक्त किया गया था।"

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी एक बयान में इस कदम को गलत बताया। उन्होंने कहा, "सभी नेताओं को म्यांमार के लोकतांत्रिक सुधार के हित में काम करना चाहिए, सार्थक बातचीत करना चाहिए, हिंसा से बचना चाहिए और मानवाधिकारों एवं बुनियादी स्वतंत्रता का पूरा सम्मान करना चाहिए।"

विदित हो कि म्यांमार में एक लंबे समय तक आर्मी का राज रहा है। साल 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में ‘मिलिट्री जनता’ की तानाशाही रही है। साल 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में ‘नागरिक सरकार’ बनी। जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को राज करने का मौका मिला।

नागरिक सरकार बनने के बाद भी असली ताकत हमेशा ‘आर्मी’ के पास ही रही। अप्रत्यक्ष रूप से ‘मिलिट्री जनता’ म्यांमार की पहली शक्ति ही बनी रही, उसे उन अर्थों में हटाया नहीं जा सका, जैसा कि बाहर से लग रहा था। इसलिए सोमवार की जो घटना हुई है वह कुछ और नहीं बल्कि म्यांमार के राजनीतिक परिदृश्य का असली रूप है।

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01 February 2021, 15:56