विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा  यमन को खाद्य सामग्री विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा यमन को खाद्य सामग्री  

भूख संकट के बीच विश्व खाद्य कार्यक्रम को नोबेल शांति पुरस्कार

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने दुनिया भर में भुखमरी के मामलों के बीच अपने जीवन रक्षक कार्यों के लिए 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार जीता है। कोरोना वायरस संकट के कारण लाखों पुरुष, महिलाएं और बच्चे भूखमरी का सामना कर रहे हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

जिनेवा, शनिवार 10 अक्टूबर 2020 (वाटिकन न्यूज) : नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरीट रीस-एंडरसन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार पाने की हकदार है।

उन्होंने बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम ने "संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में शांति के लिए और भूख से निपटने के प्रयासों द्वारा स्थितियाँ बेहतर बनाने में योगदान दिया है और युद्ध और संघर्ष का एक हथियार के रूप में भूख के उपयोग को रोकने के प्रयासों में एक ड्राइविंग बल के रूप में कार्य किया है।"

नोबेल शांति पुरस्कार 

ओस्लो में घोषित प्रतिष्ठित पुरस्कार में स्वर्ण पदक और पुरस्कार राशि 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर या 1.1 मिलियन डॉलर दी जाती है। यह पुरस्कार स्वीडेन के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल द्वारा 124 साल पहले छोड़ी गई एक वसीयत के सौजन्य से है।

यू.एन. एजेंसी के प्रवक्ता थोमसन फिरी ने नोबेल शांति पुरस्कार को दुनिया भर में भुखमरी को रोकने के लिए संघर्ष करने वालों की मान्यता के रूप में माना है। उन्होंने स्विटजरलैंड के जिनेवा में संवाददाताओं से कहा, "यह एक गर्व का क्षण है। इसमें नामांकन होना ही अपने आप में पर्याप्त था। लेकिन शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता का नाम दिया जाना किसी उपलब्धि से कम नहीं है।"

थोमसन ने कहा, "यह एक ऐसा संगठन है जिसे मैंने नौ वर्षों तक सेवा दी है। मैंने देखा है कि दुनिया भर में समर्पित लोग किस तरह काम करते हैं। जेनेवा में स्थानांतरित होने से पहले, मैं दक्षिण सूडान में काम करता था, जहां लोग "मानवता की सेवा करने के लिए मीलों पैदल यात्रा करते हैं और यह वास्तव में गर्व का क्षण है। मैं वास्तव में इसका सदस्य बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ।"

 चाहे पैदल चलें या हेलीकॉप्टर से या हाथी पर या ऊंट की पीठ पर, विश्व खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि इसकी डिलीवरी महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया उथल-पुथल में है। यह अनुमान है कि अनुमानित 690 मिलियन लोग - ग्यारह में से एक - खाली पेट पर बिस्तर पर जाते हैं।

वैश्विक भूख

पिछले तीन दशकों में प्रगति करने के बावजूद, यू.एन.एजेंसी 2030 तक भूखमरी समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य को पाने में असमर्थ दिखाई देती है। विश्व के कुछ हिस्सों में युद्ध और अन्य संघर्ष जारी हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस के कारण किये गये लॉकडाउन भी गरीब देशों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं जहां कई लोग अपने रोजगार खो दिये हैं और उनहें किसी तरह की आर्थिक सहायता या सामाजिक समर्थन नहीं मिला है।

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि कोविद-19 संकट के कारण हुई वैश्विक मंदी ने 83 से 132 मिलियन लोगों को भुखमरी में धकेल दिया। आमतौर पर महिलाओं और बच्चों को सबसे अधिक खतरा होता है।

आयोजकों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण ओस्लो में 10 दिसंबर को होने वाले नोबेल शांति पुरस्कार समारोह भी प्रभावित होगा। कोविद-19 प्रतिबंधों के कारण नॉर्वे की राजधानी में सभा को आगे बढ़ाया गया है।

यह 12वीं बार है जब नोबेल शांति पुरस्कार यू.एन. की झोली में गया है।

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10 October 2020, 15:51