मालटा के तट पर यूरोप जाने वाले प्रवासी मालटा के तट पर यूरोप जाने वाले प्रवासी 

भूमध्यसागर में फँसे शरणार्थियों को जहाज़ों से उतारने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों ने भूमध्य सागर में तीन जहाजों द्वारा बचाए गए लगभग 400 शरणार्थियों और प्रवासियों के तत्काल तट पर उतारने की मांग की है। अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने शरणार्थियों व प्रवासियों को सुरक्षित ढँग से उतारे जाने के लिए एक क्षेत्रीय समझौते की ज़रूरत को भी रेखांकित किया है।

माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी

जिनेवा, सोमवार 31 अगस्त 2020 (वाटिकन न्यूज) : संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों ने कहा कि वे केंद्रीय भूमध्य सागर में यूरोपीय संघ के नेतृत्व वाली खोज और बचाव पोत की निरंतर अनुपस्थिति के बारे में गहराई से चिंतित थे। ऐसे समय में जब देशों के नेतृत्व में तलाश एवं बचाव प्रयासों का अभाव है, तब लोगों की ज़िंदगियों को बचाने की मानवीय अनिवार्यता को दण्डित या कलंकित नहीं किया जाना चाहिए।

मदद की अपील

इटली के कोस्टगार्ड ने शनिवार को लुईस मिशेल नामक एक अतिभारित बचाव पोत से 49 लोगों को निकाला जो ब्रिटिश कलाकार बैंकी द्वारा वित्त पोषित है। खाली किए गए लोगों में 32 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल थे।

लुईस मिशेल के चालक दल ने पहले इटली, माल्टा और जर्मनी के अधिकारियों से तत्काल सहायता के लिए ट्वीट करने की एक श्रृंखला जारी की थी। उन्होंने कहा कि वे पिछले 2 दिनों से लीबिया के तट से 219 प्रवासियों के साथ फंसे हुए थे।

एक ट्वीट में कहा गया कि नाव भीड़ वजह से हिल नहीं पा रही थी और नाव पर एक प्रवासी का शव भी था जो पहले मर चुका था। चालक दल ने यूरोपीय अधिकारियों पर मदद के लिए उनकी अपील का पर्याप्त रूप से जवाब नहीं देने का आरोप लगाया।

सबसे कमजोर प्रवासियों को निकालने के तुरंत बाद, एक और बचाव नाव, ‘सी वॉच 4’, ने लुईस मिशेल के प्रवासियों में से 150 को ले लिया। यह कहा गया था कि यह अब कुल 350 लोगों को ले जा रहा था जिन्हें जल्द से जल्द तट पर उतारने की आवश्यकता थी।

संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों ने कहा कि क्षेत्रीय लैंडिंग सिस्टम पर समझौते की कमी कमजोर लोगों को सुरक्षित बंदरगाह से वंचित करने का बहाना नहीं हो सकता है और इस बात पर जोर दिया कि जीवन बचाने की मानवीय अनिवार्यता को दंडित या कलंकित नहीं किया जाना चाहिए।

‘अस्वीकार्य हालात’

इससे पहले लीबिया से यात्रा शुरू करने वाले 27 लोगों को तीन सप्ताह पहले बचाया गया था लेकिन वे अब भी एक जहाज़ में फँसे हुए हैं – इनमें एक गर्भवती महिला और बच्चे भी हैं।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने इन हालात को अस्वीकार्य बताया है और ज़ोर देकर कहा है कि इस कमर्शियल टैंकर को किसी भी परिस्थिति में मानवीय सहायता की तलाश कर रहे लोगों के लिए सुरक्षित नहीं माना जा सकता।

उनके मुताबिक तट पर उतरने के बाद कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए रोकथाम के ज़रूरी उपायों का पालन किया जा सकता है। बताया गया है कि एक ग़ैरसरकारी संगठन के एक अन्य जहाज़ में 200 से ज़्यादा शरणार्थी व प्रवासी सवार हैं।

यूएन एजेंसियों ने लम्बे समय से एक क्षेत्रीय समझौते की अहमियत पर बल दिया है जिसके ज़रिये समुद्र में बचाए गए लोगों को सुरक्षित उतारने की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जा सके।  उन्होंने स्पष्ट किया है कि समझौते के अभाव में निर्बलों को सुरक्षा की मनाही नहीं होनी चाहिए और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

यूएन एजेंसियों ने इस सम्बन्ध में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से ठप पड़ी बातचीत को फिर शुरू करने की अपील की है और इस चुनौती से जूझ रहे भूमध्यसागरीय देशों के लिए समर्थन सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है।

एजेंसियों ने चिन्ता जताई है कि योरोपीय संघ के नेतृत्व में मध्य भूमध्यसागर में समन्वित बचाव एवं तलाश अभियान का अभाव है। अतीत की तुलना में ग़ैरसरकारी राहत संगठनों के जहाज़ों की संख्या भी कम है और इस अन्तर को पाटने के लए कमर्शियल जहाज़ों का सहारा लिया जा रहा है।

संत पापा का नेताओं से आग्रह

इटली अधिकांश प्रवासियों का गंतव्य है जो हाल के वर्षों में लीबिया के तट से भूमध्य सागर को पार करने की अक्सर खतरनाक यात्रा पर निकलते हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में भूमध्य सागर पार करने की कोशिश में 443 लोग मारे गए हैं या लापता हो गए हैं।

2014 में यूरोपीय संसद के एक भाषण में, संत पापा फ्राँसिस ने नेताओं से आग्रह किया कि वे यूरोप महाद्वीप तक पहुँचने की कोशिश कर रहे प्रवासियों को जोखिमों से बचायें। भूमध्यसागर को विशाल कब्रिस्तान न बनने दें।

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31 August 2020, 14:25