सीरिया के आतंकवादी सीरिया के आतंकवादी 

आतंकवाद के पीड़ितों की आवाज़ों को नहीं भुलाया जाएगा, यूएन

शुक्रवार, 21 अगस्त, को आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रृद्धांजलि के अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर एक वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद के सभी पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़ा है, जो आतंकी अत्याचारों के शारीरिक व मनोवैज्ञानिक ज़ख़्मों को झेल रहे हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज- वाटिकन सिटी

न्यूयार्क, शनिवार 22 अगस्त 2020 (यूएन न्यूज) : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि आतंकवादी हमलों से पहुँचने वाला गहरा सदमा पीड़ितों को जीवन-पर्यन्त प्रभावित कर सकता है और उनका असर पीढ़ियों तक महसूस किया जाता है।  शुक्रवार, 21 अगस्त, को आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रृद्धांजलि के अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर एक वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद के सभी पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़ा है।

शांति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आतंकवाद के सभी पीड़ितों का स्मरण और सम्मान करते हुए भरोसा दिलाया कि यूएन उन सभी लोगों के साथ मज़बूती से खड़ा है जो आतंकी अत्याचारों के शारीरिक व मनोवैज्ञानिक ज़ख़्मों को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा, ʺसदमा देने वाली स्मृतियों को मिटाया नहीं जा सकता लेकिन हम सच्चाई, न्याय और मुआवज़े की माँग कर, उनकी आवाज़ों को बुलंद कर और मानवाधिकारों को सुनिश्चित कर पीड़ितों और जीवित बचे लोगों की मदद कर सकते हैं।”

वर्ष 2020 में इस दिवस पर आयोजन कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में ऐसे समय में हो रहे हैं जब पीड़ितों के लिए अहम सेवाएँ, जैसे कि आपराधिक न्याय प्रक्रियाओं और मनोसामाजिक सेवाओं में व्यवधान आया है और सरकारों का ध्यान व संसाधन महामारी से निपटने के प्रयासों पर केंद्रित है।

कोरोना वायरस संकट के कारण अनेक स्मृति समारोहों को या तो स्थगित किया गया है या फिर उन्हें वर्चुअली आयोजित किया जा रहा है जिससे पीड़ितों के पास साथ आकर एक दूसरे को सहारा और संबल देने का अवसर नहीं है।

मौजूदा पाबंदियों के कारण आतंकवाद के पीड़ितों की पहली वैश्विक कॉन्ग्रेस भी अगले वर्ष तक के लिए स्थगित कर दी गई है जिसे पहली बार आयोजित किए जाने की तैयारियाँ थी।

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा, “लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम इस अहम मुद्दे को प्रकाश में रखें।”

“आतंकवाद के पीड़ितों को याद करना और उन्हें समर्थन के लिए ज़्यादा प्रयास करना उनकी ज़िंदगियों पर मरहम लगाने और उसे फिर शुरू करने के लिए बेहद ज़रूरी है।”

यूएन प्रमुख ने सासंदों और सरकारों से इस सिलसिले में ज़रूरी क़ानूनों और राष्ट्रीय रणनीतियों का मसौदा तैयार करने का आग्रह किया है ताकि पीड़ितों को मदद पहुँचाई जा सके। 

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद के सभी पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़ा है – आज और हर दिन। उन्होंने ध्यान दिलाया कि जिन लोगों ने इस पीड़ा को झेला है उनकी आवाज़ों को हमेशा सुना जाना होगा और कभी नहीं भुलाना होगा।

दर्द भरी याद

वर्चुअल आयोजन में जीवित बचे लोगों ने अपनी कहानियों को साझा करते हुए बताया कि किसी भी प्रकार के हमले में बच जाने के बावजूद उसके सदमे व असर को लम्बे समय तक नहीं भूला जा सकता।  

पाकिस्तान के ताहिर की पत्नी की मौत इस्लामाबाद में विश्व खाद्य कार्यक्रम  के कार्यालय पर हुए हमले में हो गई थी। उन्होंने कहा कि अगर किसी के साथ कोई दुर्घटना होती है तो पता होता है कि ख़ुद को किस तरह संभालना है। लेकिन एक आतंकी हमले में किसी की मौत के बाद ऐसा संभव नहीं है।

नीजिल के पिता वर्ष 1998 में केनया में यूएन दूतावास पर हुए हमले में मारे गए थे। उस समय नीजिल बहुत छोटे थे। 22 वर्षीय नीजिल ने बताया कि जब आप बड़े हो रहे होते हैं तो इसका बहुत ज़्यादा असर नहीं होता लेकिन जैसे-जैसे ज़िंदगी आगे बढ़ेगी, मैं ख़ुद को यही सोचता पाऊँगा कि अगर मैं ऐसा करता और मेरे पिता यहाँ होते तो क्या वो मुझ पर गर्व करते?

आतंकी हमलों में अपनों को खोना जीवनभर पीड़ा का कारण बनता है।

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22 August 2020, 13:49