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पापुआ न्यू गिनी के लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस पापुआ न्यू गिनी के लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

जादू-टोना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर शांति जुलूस

जादू टोना के खिलाफ प्रथम अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर पापुआ न्यू गिनी में हजारों लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

पापुआ न्यू गिनी, शनिवार, 15 अगस्त 20 (वीएन)- कुछ लोगों के लिए जादू-टोना का आरोप बहुत पुरानी कहानी लग सकती है किन्तु कुछ लोगों के लिए यह अब भी भय का कारण है।

संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार आयोग ने स्वीकार किया है कि लोगों को जादू-टोना के रूप में होने वाली बुरी चीजों से संबंधित विश्वास अभी भी विश्व के कई देशों में एक सच्चाई है। परिणामतः मानव अधिकार का हनन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार आयोग ने माना है कि जादू टोना के आरोपियों को "मारपीट, निर्वासन, शरीर के अंगों को काटने, यातना एवं हत्या आदि का सामना करना पड़ता है।" इस मामले में आरोपी अधिकतर महिला, बच्चे, बुजूर्ग और विकलांग लोग होते हैं।

स्थानीय धर्माध्यक्ष द्वारा जागरूकता

पापुआ न्यू गिनी में मेंदी के धर्माध्यक्ष डॉनाल्ड लिप्पेर्ट सोशल मीडिया द्वारा इस समस्या के बारे जागरूकता लाने की कोशिश कर रहे हैं। धर्माध्यक्ष उम्मीद है कि यदि इस तरह के अभ्यासों का बहिष्कार किया जाएगा तो इस समस्या का सामना करने और उसे दूर करने में कलीसिया को मदद देगा।

सिस्टर लोरेना जेनाल ने बतलाया कि पापुआ न्यू गिनी के दक्षिणी पहाड़ी इलाक़े में पास्का रविवार को तीन महिलाओं को प्रताड़ना दी गई एवं उन्हें जला दिया गया। उन पर एक ऐसे व्यक्ति की मौत का आरोप लगाया गया था जो अस्थमा और गुर्दे की बीमारी से पीड़ित था। उस घटना के बाद उसी क्षेत्र की छह अन्य महिलाओं के खिलाफ जादू-टोना का आरोप लगाया गया था।

धर्माध्यक्ष लिप्पेर्ट ने पिछले रविवार को कहा था कि "जो लोग अत्याचार करते एवं जादू-टोना का आरोप लगाकर महिलाओं को मार डालते हैं वे स्पष्ट रूप से अपराधी हैं। उन्होंने लोगों का आह्वान किया था कि वे 10 अगस्त को जादू-टोना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस की याद करें, "हम इसे एक साथ मनायें, इससे संबंधित हिंसा को रोकने के लिए एक साथ प्रार्थना और कार्य करें।"

शुक्रवार को पापुआ न्यू गिनी का काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन तथा सोलोमोन द्वीप ने 10 अगस्त के कार्यक्रम के बारे जानकारी साझा की थी। रिपोर्ट में बतलाया गया था कि मेंदी धर्मप्रांत के करीब 300 लोगों ने शांतिमय जुलूस में भाग लिया।

बतलाया गया है कि प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थी एवं स्टार्फ, स्थानीय समुदाय, स्वास्थ्य देखभाल, युवा संघ, महिला संघ, नागरिक अधिकारी एवं धर्मगुरूओं ने भी प्रदर्शन में भाग लिया था। बैनरों में लिखा था, "निर्दोष माताओं, पिताओं एवं जवान महिलाओं को न मार डाला जाए" तथा "व्यक्ति की प्रतिष्ठा का सम्मान किया जाए।"

 समस्या

विकर जेनेरल फादर पीयुस हाल ने मेंदी धर्मप्रांत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा, "इस तरह के आरोपों का सामना केवल कुछ महिलाएँ नहीं बल्कि क्षेत्र की कई महिलाएं करती हैं और जिनके साथ हिंसा होती है।" उन्होंने बतलाया कि कुछ लोगों को घर छोड़कर भागना भी पड़ता है। दक्षिणी पहाड़ी इलाके में कई लोग सोचते हैं कि स्वभाविक मृत्यु नहीं होती है और हर मौत का कुछ स्पष्ट कारण होता है। दुर्भाग्य से जब किसी की मौत हो जाती है जो गरीब और असहाय लोगों पर उनके मौत का आरोप लगाया जाता है।

फादर हाल ने कहा कि मौत के कारणों की घोषणा करने के लिए एक योग्य चिकित्सक के स्थान पर "झाड़ी डॉक्टरों" को लिया जाता है, जो जादू टोना करने के लिए बिना प्रमाण ही "निर्दोष और कमजोर लोगों को दोषी ठहराते हैं।

घटना की रिपोर्ट नहीं

जिम्मी सुअइप ने कहा कि जादू टोना के लिए लगाये गये आरोपों को बहुधा रिपोर्ट नहीं किया जाता है। उस प्रांत के सुदूर गाँवों में कई महिलाओं को फ्रांसी दे दी गई है, उनका अत्याचार किया गया और उन्हें मार डाला गया है किन्तु रिश्तेदार प्रतिशोध के डर से रिपोर्ट नहीं करते हैं।  

आम नैतिक कर्तव्य

सार्वजनिक सॉलिसिटर जेनी करगेन ने कहा कि हिंसा की आशंका का सामना कर रही महिलाओं के स्वागत के लिए प्रांत में आश्रय और सुरक्षित घरों की जरूरत है। उनका कहना है कि हर किसी का नैतिक कर्तव्य है कि वह महिलाओं की रक्षा करे और “जादू टोना से संबंधित मुद्दों के खिलाफ लड़ाई लड़े।

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15 August 2020, 14:36