उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य बाड़, फाईल तस्वीर उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य बाड़, फाईल तस्वीर 

स्वर्गोत्थान पर्व पर कोरियाई कार्डिनल ने भेजा शांति सन्देश

सियोल के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल एन्ड्रू येओम सू-जूँग ने उत्तर तथा दक्षिण कोरिया से अपील की है कि वे आपसी वार्ताओं को लिये अपने हृदयों को खोलें।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

सियोल, शुक्रवार, 14 अगस्त 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): सियोल के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल एन्ड्रू येओम सू-जूँग ने उत्तर तथा दक्षिण कोरिया से अपील की है कि वे आपसी वार्ताओं को लिये अपने हृदयों को खोलें।

वार्ताओं का आग्रह

धन्य कुँवारी मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के उपलक्ष्य में एक सन्देश भेजकर कार्डिनल सू-जूँग ने उक्त अपील की। सन्त लूकस रचित सुसमाचार में निहित वाक्य, प्रमाण मरियम! प्रभु तेरे साथ है, से अपना सन्देश शुरु कर कार्डिनल महोदय ने लिखा, "मुझे उम्मीद है कि वह दिन जल्द ही आएगा जब हम अपने उत्तर कोरियाई भाइयों और बहनों के साथ धन्य कुँवारी मरियम के स्वर्गोत्थान का महापर्व की खुशी को साझा कर सकेंगे।"

मरियम के चरणों में 

उत्तरी कोरिया की राजधानी प्योंगयाँग धर्मप्रान्त को मरियम के चरणों के सिपुर्द कर कार्डिनल सू-जूँग ने कहा, "चूंकि यह वर्ष जापानी औपनिवेशिक शासन से कोरिया की मुक्ति की 75 वीं वर्षगांठ और कोरियाई युद्ध की 70 वीं वर्षगांठ का प्रतीक है, अस्तु, मैंने, सतत् प्रार्थना और गहन मनन-चिन्तन के बाद, प्योंगयांग धर्मप्रान्त को फातिमा की रानी मरियम को समर्पित करने का फैसला किया।"

उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों कोरिया अपने हृदय के द्वारों को खोलेंगे तथा यथार्थ शांति हेतु वार्ताओं के लिये तैयार होंगे। कार्डिनल महोदय ने यह भी बताया कि उन्होंने सन्त पापा फ्राँसिस से प्योंगयाँग धर्मप्रान्त के लिये विशेष आशीष का आग्रह किया है।

दक्षिण कोरिया में 15 अगस्त

उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्रांसिस ने वादा किया है कि 15 अगस्त को माँ मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के दिन वे प्योंगयांग तथा सम्पूर्ण कोरिया के लिये विशेष प्रार्थना करेंगे। 15 अगस्त को मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के दिन ही सन् 1945 में जापानी औपनिवेशवादी शासन से कोरिया की मुक्ति का जश्न मनाया जाता है। दक्षिण कोरिया के काथलिक मुक्ति को मरियम की देन मानते हैं और इसीलिये इस दिन समस्त गिरजाघरों में ख्रीस्तयाग एवं विशिष्ट प्रार्थनाएँ अर्पित की जाती हैं और साथ ही गिरजाघरों के ओर-छोर राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं।   

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14 August 2020, 11:08