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जयराज के पार्थिव शरीर के साथ जाते लोग जयराज के पार्थिव शरीर के साथ जाते लोग 

पुलिस हिरासत में बाप-बेटे की मौत पर ख्रीस्तियों द्वारा निष्पक्ष जाँच की मांग

भारत के ख्रीस्तियों ने तमिलनाडु में एक पुलिस हिरासत में एक पिता और उसके बेटे की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, बृहस्पतिवार, 2 जुलाई 20 (वीएन)- भारत के विभिन्न ख्रीस्तीय संगठनों ने तमिलनाडु के एक पुलिस हिरासत में, एक पिता एवं बेटे की क्रूर हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कारर्वाई की मांग की है। 

जयराज और उनके बेटे बेनिक्स की 19 जून को लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में पिटाई और यौन यातना से मौत की घटना को लेकर पूरे राज्य में आक्रोश है।

जयराज और बेनिक्स को पूरी रात पुलिस के हिरासत में रखा गया था। दो दिन बाद दोनों की मौत हो गई थी। दोनों की मौत के बीच केवल कुछ घंटों का अंतर था। उनके रिश्तेदारों का आरोप है कि उन्हें बुरी तरह पीटा गया है।

ख्रीस्तियों ने सफाई एवं न्याय की मांग की

बाप-बेटे की मौत के मामले में विभिन्न ख्रीस्तीय दलों ने जाँच की मांग की है उनमें से प्रमुख दल हैं- ऑल इंडिया काथलिक यूनियन (AICU), जिसने उच्च न्यायालय द्वारा जांच की मांग की है, भारतीय ईसाई महिला आंदोलन ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं एवं जांच कराने के लिए वकील का आह्वान किया है तथा भारत की एंजेल फैलोशिप ने "सक्षम अधिकारियों" से अपील की है कि वे मामले में न्याय सुनिश्चित करें।

ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक प्रमुख आवाज अब्राहम मथाई का कहना है कि हिरासत में हुई मौतें क्षेत्र में ईसाइयों पर चल रहे उत्पीड़न का हिस्सा है।

उन्होंने दावा किया है कि पुलिस अधिकारी हत्या के दोषी हैं माना जाता है कि वे इस साल की शुरुआत में धार्मिक उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन में भी शामिल थे।

ऑल इंडिया काथलिक यूनियन जो देश में काथलिक लोकधर्मियों का एक बड़ा संगठन है उन्होंने उनके आरोपों का समर्थन किया है। इसपर आरोप लगाया गया है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों पर हाल के महीनों में जातिगत झड़पों के अलावा हिरासत में अन्य मौतों की शिकायतें है।

यह देखते हुए कि दोनों पीड़ितों को "पीटा गया था, बेरहमी से प्रताड़ित किया गया और उन्हें छड़ से मारा गया था," 29 जून को ऑल इंडिया काथलिक यूनियन ने एक बयान में कहा था कि पुलिस की बर्बरता "ने राष्ट्र को झकझोर दिया है" जो अभी भी अन्य राज्यों में पुलिस अत्याचार के रूप में सामने आ रहा है जो कोविड-19 कर्फ्यू की आड़ में अनियंत्रित हो गए हैं।

संविधान में निहित अधिकार के प्रति सम्मान की मांग

ख्रीस्तियों की मांग है कि मौतों को "केवल लापरवाही पूर्ण कार्य" के रूप में खारिज न किया जाए और इस तथ्य को उजागर किया जाए कि दोषी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है और उनपर हत्या का आरोप नहीं लगाया गया है।

मांग में, मामले को संभालने वाले स्थानीय मजिस्ट्रेट और सरकारी डॉक्टरों के आचरण की भी जांच का अनुरोध किया गया है।

काथलिक धर्मबहन सिंथिया मैथ्यू, जो संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं, दलितों और आदिवासियों की वकालत करती हैं, बताती हैं कि 2019 में भारत में पुलिस हिरासत में 1,700 से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं।

 

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02 July 2020, 16:06