हार बनाता एक कारीगर हार बनाता एक कारीगर 

आदिवासी विक्रेताओं के लिए ई-मार्केटप्लेस

भारत के आदिवासी कारीगर जल्द ही एक विशेष ई-मार्केटप्लेस पर अपने उत्पादों को बेच सकेंगे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, मंगलवार, 30 जून 2020 (मैटर्स इंडिया) – ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण ने कहा, "हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन वेबसाईट – ट्राईबल इंडिया ई-मार्ट चालू करेंगे। यह अपने उत्पादों को ई-कॉमर्स विशाल अमेजन या फ्लिपकार्ट पर अपने उत्पादों को बेचने के समान ही होगा। पृथकता सिर्फ इस बात में होगी कि यह केवल आदिवासियों के लिए है।" ई-मार्केटप्लेस का पूर्व परीक्षण 30 जुलाई से 14 अगस्त तक जारी रहेगा।

सरकार ने भारत के जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (TRIFED) की स्थापना सन् 1987 में इस उद्देश्य से की थी ताकि देशभर के आदिवासियों के उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके। एजेंसी केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत कार्य करती है।

कृष्णा ने कहा कि आदिवासी शिल्पकारों को प्रशिक्षित किया जाएगा तथा उन्हें अपने आप को वेबसाईट में विक्रेता के रूप में रजिस्टर करने के लिए कहा जाएगा।

उन्होंने कहा कि हमारे स्टार्फ देशभर के 15 प्रांतों और राज्य के सरकारी अधिकारी, ट्राईफेड के साथ कार्य कर रहे हैं जो आदिवासियों को प्रशिक्षित करेंगे एवं उन्हें पंजीकरण करने में मदद देंगे।  

उनका उद्देश्य है करीब 5 लाख आदिवासी कारीगरों को ऑनलाईन करना अर्थात् उन्हें बृहद राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ना।

वस्त्र, पेंटिंग, घर की सजावट के सामान, गहने और धातु शिल्प सहित 20,000 श्रेणियों में लगभग 5 लाख आदिवासी आइटम वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे।

आदिवासी विक्रेताओं के उत्पाद एक सख्त गुणवत्ता जांच से गुजरेंगे और एक समिति प्रत्येक वस्तु के लिए कीमतें तय करेगी।

स्थानीय संग्रह केंद्र स्थापित किये जायेंगे जहाँ से उत्पाद देश के विभिन्न भागों में भेजे जायेंगे।

कृष्णा ने कहा कि हर 100 रूपये पर आदिवासी विक्रेता को 70 रूपया मिलेगा। वे करीब 5,000 आदिवासी कारीगरों के साथ 30 जुलाई को शुरू करेंगे और उनका लक्ष्य है 5 लाख आदिवासी कारीगरों के लिए प्लैटफॉर्म बनाना तथा उन्हें बृहद बाजार उपलब्ध कराना।  

उन्होंने कहा कि "यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन आत्म निर्भर भारत के तहत जारी किया जा रहा है। इसका आदर्शवाक्य है, "स्थानीय लोगों के लिए आवाज, आदिवासी बढ़ें।"  

कृष्णा ने कहा कि एक कमीज की कीमत वे स्थानीय बाजारों में 200 रुपये में बेचते हैं, जिसकी कीमत दिल्ली में 1,000 रुपये है। उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले जैविक उत्पाद खरीदारों को वितरित किए जाएंगे, जिनके पास 15 दिनों के भीतर वस्तु वापस करने का विकल्प होगा यदि वे इससे संतुष्ट नहीं होंगे।

27 जून को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर आदिवासी उत्पादों को लॉन्च किया।

कृष्णा ने बताया कि यह सरकारी विभागों और अधिकारियों को वेबसाइट से सीधे जनजातीय उत्पाद खरीदने में मदद करेगा।

मुण्डा ने कहा कि यह अधिक से अधिक लोगों को अपनी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु ऑनलाइन होने के साथ - व्यापार के संचालन, खरीदारी और संचार के लिए, एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़ावा देने हेतु अपने गांव-आधारित आदिवासी उत्पादकों को लिंक करने के लिए एक सर्वव्यापी डिजिटलीकरण ड्राइव को अपनाना है।

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30 June 2020, 15:34