गरीब बच्चों के भोजन के लिए पैसे खर्च करने की खुशी
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
सियालकोट, पाकिस्तान, शुक्रवार 15 मई 2020 (वाटिकन न्यूज) : हम में से कई लोग इस बात पर नींद खो रहे हैं कि कोविद -19 के संक्रमण से खुद को और अपने प्रियजनों को कैसे बचाया जाए,पर विक्की यूसुफ चिंता कर रहे हैं कि गरीब बच्चों को कैसे खिलाया जाए। "मैं अपना काम जारी रखना चाहता हूँ, लेकिन रात में मैं सोच रहा था कि मेरे पास कितने पैसे बचे है, मैं अपने परिवार के लिए इसे खर्च करूंगा ...तो बच्चों को क्या खिलाऊंगा.....ईश्वर महान हैं।"
एक फेसबुक दोस्ती
कुछ लोग आभासी फेसबुक दोस्ती के साथ सहज हैं। दूसरे नहीं हैं। इसके बारे में एक निश्चित गुमनामी है जो लोगों को "दोस्त" बनाये रख सकते हैं। यहां तक कि संत पापा फ्राँसिस ने पिछले सप्ताह "आभासी" कलीसिया बनने के खतरे के बारे में चेतावनी दी थी।
सवाल यह है, "क्या हम अपने कुछ आभासी दोस्ती को ठोस रिश्तों में बदल सकते हैं?"
वाटिकन रेडियो संवादाता बेर्नादेत मेरी अपने फेसबुक दोस्त पाकिस्तानी विक्टर युसुफ के बीच अपनी आभासी दोस्ती के बारे बताती हैं, “हम 5 अप्रैल को फेसबुक मित्र बने। उन्होंने मैसेंजर के माध्यम से एक हताश संदेश भेजा: "कृपया मेरा एक संदेश आपकी सरकार और धर्माध्यक्ष को अग्रेषित करें। हम सभी को इन दिनों में आपकी और आपके मदद की जरूरत है। हमारे पास न नौकरी है, न खाना है। समझने की कोशिश करें…।"
यह एक ऐसा संदेश है जो दिल को छूता है। यह एक तरह का "शेयर द जर्नी" अभियान है जिसे वाटिकन न्यूज ने आभासी दोस्तों के लिए बनाया है।
एक सामान्य व्यक्ति
विक्टर यूसुफ की उम्र 35 साल है। वह पाकिस्तान के सियालकोट में रहता है। उनके माता सुरैया और पिता यूसुफ मसीह दोनों 60 साल के हैं। विक्टर के दो भाई हैं, कामरान और विल्सन, जिनकी आयु 30 और 33 वर्ष है। उनका एक भाई एक प्राइवेट स्कूल में संगीत सिखाता है और धार्मिक संगीत रिकॉर्ड करता है। उनके दो बच्चे हैं जारोन और शारोन।
बेर्नादेत कहती हैं, “विक्टर ने मुझे बताया कि पाकिस्तान में ईसाई ज्यादातर गरीब और अनपढ़ हैं। हालांकि, वह अपने बेटे को एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं। लेकिन खुद एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। उनकी "माँ और पिताजी ने हमेशा उसे और भाई को अच्छी तरह से रहना सिखाया और बाइबिल पढ़ना सिखाया।"
पाकिस्तान में मोबाइल डेटा और डिजिटल सेवा प्रदाता टेलीनॉर के लिए एक विक्रेता के रूप में विक्टर को हर महीने 18,000 पाकिस्तानी रुपए मिलते हैं। यह लगभग 110 डॉलर के बराबर है। उस वेतन से, वह अपने परिवार की देखभाल कर रहा है और अपने बेटे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहा है।
ईश्वर की पुकार
तीन महीने पहले, विक्टर कहता है कि उसे लगा कि ईश्वर "उसे" गरीब बच्चों को खिलाने के लिए कह रहे हैं। उसका परिवार भी उसकी मदद करने लगा। विक्टर कहते हैं, "हमें उनकी मदद करनी होगी, ये वे लोग हैं जिन्हें रोज़ भोजन भी नहीं मिलता। लेकिन मुझे नहीं पता कि हम कब तक उनकी मदद करेंगे, क्योंकि हमें अपने परिवार का भी ख्याल रखना है। भोजन बनाने और गरीब बच्चे को देने के लिए थोड़ी सी रकम खर्च करने में बहुत खुशी मिलती है। हम बहुत खुश हैं कि हम उनकी मदद करते हैं ... पर हमारे पास और पैसे नहीं हैं।"
विक्की के सपने
बेर्नादेत लिखती हैं, “मैंने खुद को केवल पत्रकारिता के सवालों कौन, क्या, क्यों, कब, कहां तक सीमित नहीं रखा। मेरा आखिरी सवाल विक्की के सपनों के बारे में था। उसकी प्रतिक्रिया? विक्टर का सपना "पीड़ित मानवता की मदद करना" और एक दिन "कलीसिया के अंदर, कलीसिया के लिए काम करना।"
क्या हो अगर?
क्या होगा अगर हम में से प्रत्येक ने अपने कुछ फेसबुक दोस्तों को जानने के लिए समय लिया हो? हजारों मील की दूरी जो हमें अलग करती है वह रहस्य के सामने समाप्त हो जाती है जो हमें एकजुट करती है। मुझे उम्मीद है कि आपके सपने सच होंगे, विक्की। मुझे उम्मीद है कि मदद जल्द ही आ जाएगी ताकि आप उस खुशी का अनुभव करते रहें जिसके बारे संत पौलुस कहते हैं, "लेने की अपेक्षा देना अधिक सुखद है।" (प्रेरित 20:35)। मैं प्रार्थना करती हूँ कि अन्य लोग भी दूसरों के साथ साझा करने के उस आनंद का अनुभव कर पायें जिसे ईश्वर ने उन्हें दिया है।”
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