चक्रवात अम्पन: भारत व बंगलादेश में 19 मिलियन बच्चे खतरे में
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
यूनिसेफ, बृहस्पतिवार, 21 मई 2020 (रेई)- यूनिसेफ की चिंता है कि कोविड-19 के कारण दोनों देशों में मानवीय सहायता के कार्यों में दिक्कतें बढ़ेंगी। आंतरिक रूप से विस्थापित लोग जो शेल्टर होम में भीड़ में रह रहे हैं वे कोविड-19 के संक्रमण फैलने के अधिक खतरे में होंगे।
दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के निदेशक जीन गौफ ने कहा, "हम परिस्थिति का नजदीक से अवलोकन कर रहे हैं। प्रभावित क्षेत्र में बच्चों एवं उनके परिवारों की सुरक्षा प्राथमिक है और यह देखना है कि अधिकारियों ने कोविड-19 महामारी का सामना करने के लिए किस तरह की योजनाएँ बनायी हैं।
चक्रवात के वर्तमान प्रक्षेपवक्र के आधार पर, बांग्लादेश में कॉक्स बाजार जो इस समय करीब 8,50,000 रोहिंग्या शरणार्थियों का शरणस्थान है उसे तेज आंधी-तूफान एवं वर्षा का सामना करना पड़ेगा, जो बंगलादेश में उनके घरों, शरणार्थी शिविरों में उनके आश्रय और समुदाय को क्षतिग्रस्त कर सकता है। यह आबादी पहले से ही लाचार है, कोविड-19 के मामलों की पुष्टि भी हाल में शिविरों एवं समुदायों में की गयी है।
यूनिसेफ बांग्लादेशी बच्चों और परिवारों एवं रोहिंग्या के संरक्षण को सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए, कॉक्स बाजार में उपायुक्त कार्यालय, शरणार्थी राहत, प्रत्यावर्तन आयुक्त कार्यालय और मानवीय सहयोगियों के साथ काम कर रहा है। उनका प्रयास है कि रोहिग्या और बंगलादेश के लोगों के बीच तूफान से बचने की तैयारी के प्रति जागरूकता लाना और पानी, स्वच्छता, और चिकित्सा आदि जैसी तात्कालिक मानवीय जरूरतों को तैयार करना ताकि आपातकाल का सामना किया जा सके। यूनिसेफ ने कोविड-19 के लिए पहली पंक्ति पर कार्य करनेवालों के लिए सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध करायी है।
पूरे क्षेत्र में यूनिसेफ बंगलादेश और भारत की सरकार से साथ नजदीकी से कार्य कर रही है और तूफान अम्पन से प्रभावित बच्चों एवं उनके परिवारों के बीच मानवीय कार्यों द्वारा सहायता देना चाहती है।
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