अजडेन अमीमौर (बायें) जोर्ज सालिनास (दायें) अजडेन अमीमौर (बायें) जोर्ज सालिनास (दायें)  कहानी

संवाद द्वारा कुछ भी संभव है

जॉर्जे सलिनास और एज़डीन अमिमौर दो परिवारों के पिता हैं। 13 नवंबर 2015 की शाम, पेरिस के बाटाक्लान आतंकवादी हमले में उनके बच्चे भयावह परिस्थितियों में मारे गये थे।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

जोर्ज सलिनास एक डॉक्टर हैं और एजडीन अमिमौर एक दुकानदार। इन दोनों ने जोखिम भरा जीवन जीया है। जोर्ज अपने परिवार के साथ पेरिस में बसने से पहले कई देशों में काम किया। एज़डीन जोखिमों से खेलने वाले साहसी व्यक्ति हैं। पूरी दुनिया की यात्रा करने के बाद वे अपने परिवार के साथ पेरिस में बस गए। जोर्ज एक ख्रीस्तीय परिवार में पले बढ़े, पर वे खुद को नास्तिक कहते हैं। एज़डीन मुस्लिम है, पर धार्मिक रिवाजों का ठीक से अभ्यास न करते हुए भी इस्लाम के मूल्यों से गहराई से जुड़े हुए हैं। इस आधार पर, ये दोनों व्यक्ति कभी भी एक दूसरे से नहीं मिले होते, यदि 13 नवंबर 2015 की घटना न हुई होती।

जोर्ज की बेटी, लोला, उस दिन अमेरिकी रॉक बैंड "ईगल्स ऑफ़ डेथ मेटल" द्वारा प्रसिद्ध पेरिसियन कॉन्सर्ट हॉल में एक संगीत कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बाटाक्लान में थी। 28 वर्षीय लोला बच्चों के पुस्तक प्रकाशन में काम करती थी। उसने अपनी खुद की कंपनी भी शुरू की थी। वह खुश थी, अपना ज्यादातर समय काम में बिताती थी लेकिन जब भी अवसर मिलता, तो यात्रा पर निकल जाती थी। यात्रा उसके परिवार के डीएनए का हिस्सा था। यात्रा ने ज्ञान, पलायन और प्रकृति के लिए उसकी प्यास को संतुष्ट किया था। 13 नवंबर की रात लोला को दो गोली लगी। वह जमीन पर गिर पड़ी और फिर कभी नहीं उठी।

बाटाक्लान का प्रवेश द्वार
बाटाक्लान का प्रवेश द्वार

एज़डीन का अपने बेटे के साथ उठना-बैठना नहीं होता था। हाल के वर्षों में, उनका रिश्ता तनावपूर्ण हो गया था और 13 नवंबर 2015 की शाम को उन्हें पता नहीं था कि सम्मी कहां हो सकता है। एज़डीन और उनकी पत्नी मौना को बाद में सूचित किया गया कि सम्मी बाटाक्लान के तीन हमलावरों में से एक था।

पेरिस में आतंकवादियों का हमला

पेरिस ने 13 नवंबर 2015 की शाम को 33 मिनट के लिए नरक का अनुभव किया। इस्लामिक स्टेट के सदस्य होने का दावा करने वाले सात आतंकवादियों ने राजधानी में तीन अलग-अलग स्थानों पर हमले किए। एक आत्मघाती हमलावर ने ʺस्टेड डे फ्रांसʺ के सामने रात्रि के 9 बजकर 20 मिनट पर विस्फोट किया। विस्फोट को फुटबॉल के मैदान पर सुना जा सकता था, जहां फ्रांस और जर्मनी के बीच खेल चल रहा था। विस्फोट के शोर ने कुछ खिलाड़ियों को आश्चर्यचकित किया। एक पल रुकने के बाद उन्होंने खेल जारी रखा। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने विस्फोट के कुछ क्षणों बाद स्टेडियम छोड़ दिया। उन्हें घटनाओं से अवगत कराया गया।

इसके तुरंत बाद, 9 बजकर 25 मिनट पर तीन अन्य आतंकवादियों ने पेरिस के कलाश्निकोव जिले में रू डे ला फॉनटेन-औ-रॉय पर आउटडोर कैफे में बैठे लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। वे 9 बजकर 36 मिनट पर रुए दे चारोन्ने पहुंचे और कारनामा जारी रखा। राहगीर फंस गए।

बाटाक्लान में हमला

कुछ ही समय बाद, हमलावरों के तीसरे समूह ने बाटाक्लान में प्रवेश किया, जहां 1,500 लोग कॉन्सर्ट देख रहे थे। तीन हथियारबंद लोगों ने स्टेडियम में प्रवेश करते ही गोलीबारी शुरू कर दी। रक्त से सने जमीन पर पड़े पीड़ा से कराहते- चिल्लाते लोग और अपनी जान बचाने के लिए उन्हें रौदते हुए दरवाजे की ओर भागते लोगों का दृश्य अवर्णनीय था।

इन तीनों हमलों में 130 लोग मारे गए और 350 घायल हुए। उन्होंने देश को सन्नाटे में डाल दिया और जोर्ज एवं एज़डीन के जीवन को बदल दिया। उस रात पुलिस ने एडजीन के बेटे सम्मी को छह अन्य आतंकवादियों के साथ मार दिया।

सम्मी दाएश में शामिल हो गया था। वह सीरिया जाकर "प्रशिक्षण" पाया था। कट्टरपंथ की कड़ी निंदा करने वाले एज़डीन ने अपने बेटे को सही मार्ग में लाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आज भी वह दोषी महसूस करता है। अपने बेटे की परवरिश में क्या कमी रह गई जो वह जिहादी बन गया। अपने दुख से उबरने के लिए उसने जिहादी परिवारों के ‘चर्चा समूह’ में भाग लिया, जिनके बच्चे सीरिया में जिहादी बन गये हैं। ‘चर्चा समूह’ में सहभागिता ने अपने दुःख से उबरने में सहायता की, पर उन्हें संसाधित करने के लिए कुछ कमी रह गई।

बमकांड के कुछ ही दिनों बाद बाटाक्लान के सामने एकत्रित लोग
बमकांड के कुछ ही दिनों बाद बाटाक्लान के सामने एकत्रित लोग

हमलों के बाद जॉर्ज ने पीड़ितों और बचे लोगों के परिवारों का "बिरादरी और सच्चाई" नामक एक संघ बनाया। कुछ समय के लिए उन्होंने संघ की अध्यक्षता की। वे अनेक पत्रकारों द्वारा जाने जाते थे और विभिन्न साक्षात्कारों में उनका नाम मीडिया में प्रसारित होता था, जिन्हें देखा और सुना जा सकता था। जॉर्ज भी दुखित थे। उन्होंने हमलों के तुरंत बाद "द अनस्पीकेबल ए टू जेड" किताब लिखा। संघ और किताब ने उसे अपने दुःख से पार पाने में मदद करने के लिए चिकित्सा के रूप में काम किया। उसने प्रार्थना में शरण नहीं ली क्योंकि वह आस्तिक नहीं है। घृणा, क्रोध या बदला लेने की भावना उसपर हावी नहीं हो पायी परंतु वे अपने अंदर चल रहे "बेतुके" विचारों को समझ नहीं पा रहे थे।

 एजडीन को "अपने" दुःख से उबरने के लिए कुछ और करने की आवश्यकता थी। जिन ‘चर्चा समूहों’ में उन्होंने भाग लिया, उसमें उन्हें वह नहीं मिला जो वे चाह रहे थे। उसने हमले के शिकार लोगों के परिजनों से मिलने का निर्णय लिया। बमकांड के करीब एक साल बाद उसने जोर्ज को फोन कर उनसे मिलने का अनुरोध किया।

एज़डीन का फोन जॉर्ज को आश्चर्य में डाल दिया। उसने इसके बारे में सोचने के लिए समय लिया और खुद से कई सवाल किए: एक बाटाक्लान आतंकवादी का पिता मुझसे क्यों मिलना चाहता है? क्या वह उस लड़के के पिता से मिलने को तैयार था जो उसकी बेटी का हत्यारा हो सकता है?

जोर्ज ने निणय लिया कि वह एजडीन से मिलेगा। उसने सोचा कि आखिर यह व्यक्ति भी जो उससे मिलना चाहता है, एक पीड़ित है, एक पिता जिसने एक बेटा खो चुका है। उसने निष्कर्ष निकाला कि आतंकवादी सम्मी भी पीड़ित था;  पागल विचारों का शिकार, जिसे वह और अन्य कट्टरपंथी प्रचारित करते थे। बेशक, जॉर्ज को बताया गया था कि एज़डीन उन लोगों के किसी भी कट्टरपंथी विचारों को साझा नहीं करता है जो उनके धर्म में हेरफेर करते हैं। इसलिए उसने मिलना स्वीकार किया और एक दोस्त के साथ, पेरिस के केंद्र में बैस्टिल के एक कैफे में मिलने गया।

पीड़ितों के नाम के साथ स्मारक पट्टिका। बाईं ओर सबसे नीचे से उपर, लैला, जॉर्ज की बेटी का नाम
पीड़ितों के नाम के साथ स्मारक पट्टिका। बाईं ओर सबसे नीचे से उपर, लैला, जॉर्ज की बेटी का नाम

अजडेन पहुंचा। जार्ज खड़ा हो गया। अजडेन ने सोचा कि जोर्ज ने उसके मिलने के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अपने साहस का परिचय दिया। क्योंकि एजडेन तो कट्टरवादी का पिता होने के कारण पहले से ही सब कुछ खो चुका था पर जॉर्ज के पास खोने के लिए बहुत कुछ है। वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो मीडिया में, रेडियो और टेलीविज़न पर दिखाई देते हैं। वे पीड़ितों के एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। एसोसिएशन के लोगों को जब पता चलेगा कि उसने एक आतंकवादी के पिता से मुलाकात की, तो लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे?  जॉर्ज ने खुद से वही सवाल पूछा। बेशक, उन्होंने इस बात को स्वीकार करने से पहले एसोसिएशन के सदस्यों के साथ इस बारे में बात की थी। जोर्ज के विचार को कुछ लोगों ने स्वीकार किया और कुछ ने नहीं। जार्ज ने इन परिस्थितियों में बहुत अधिक जोर नहीं दिया, उन्होंने महसूस किया कि घाव अभी भी खुले और दर्दनाक थे और हर किसी को अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने के लिए अपने स्वयं के मार्ग को ढूँढ़ने की आवश्यकता थी।

एज़डीन और जॉर्ज ने हाथ मिलाया। उन्होंने अपना परिचय दिया। इसके बाद कुछ देर के लिए दोनों चुपचाप बैठे रहे। फिर शांत भाव से उन्होंने अपने जीवन, अपने परिवारों के बारे में बात की और निश्चित रूप से उन्होंने लोला और सम्मी के बारे में बातें की, जो उन दोनों के लिए दर्दनाक था। एज़डीन कहते हैं, "यह मेरी चिकित्सा थी। बमबारी के बाद मुझे एक मनोवैज्ञानिक के पास जाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन मैं अपनी त्रासदी को खुद दूर करना चाहता था।" जॉर्ज के साथ मिलकर उन्हें एक तरह की शांति मिली। जॉर्ज कहते हैं, "एज़डीन दिल को छूने वाला "आकर्षक" व्यक्ति है।

पेरिस में मुलाकातें
पेरिस में मुलाकातें

एज़डीन और जॉर्ज कई बार मिले। वे एक दूसरे से काफी घुल-मिल गये थे। हर बार किसी कैफे या रेस्तरां में मिलते थे, पर कभी भी किसी ने घर पर नहीं बुलाया। वे एक निश्चित दूरी बनाए रखना पसंद करते थे।

जितना अधिक वे मिले, उतना ही वे यह सोचने लगे कि उनका असामान्य मार्ग अपने आप में एक संदेश बन सकता है। जितना अधिक समय उन्होंने एक साथ साझा किया, जितना अधिक उन्होंने एक-दूसरे से बातें की, उतना ही उन्हें इस संवाद के पीछे की महान ताकत का एहसास हुआ। इसने उन्हें घृणा की भावनाओं को दूर करने में मदद की। संवाद ने बदला लेने के संभावित प्यास और उन सभी गलतफहमी को दूर किया, जो समाज को विभाजित करने के लिए प्रेरित करता है। अंततः उन्होंने एक संदेश भेजने का फैसला किया जो आतंकवादियों के बिल्कुल विपरीत है।

संवाद द्वारा कुछ भी संभव 

अपने कई मुलाकातों के दौरान प्राप्त संदेश को सुविधाजनक बनाने के लिए, जॉर्ज और एज़डीन ने एक किताब लिखने का फैसला किया। उनका जीवन, उनकी बातचीत, साथ ही उनमें मतभेद भी हैं। बेशक, मतभेद हैं, लेकिन वे अब विभाजन के स्रोत नहीं हैं। इन मतभेदों को दूर नहीं किया गया है और शायद कभी नहीं होगा, लेकिन उन्हें समझा और स्वीकार किया गया है।

उन्होंने अपनी पुस्तक के लिए शीर्षक चुना: "वी स्टिल हैव वर्ड्स - ए लेसन इन टॉलरेंस एंड रेसिलिएंस"। (ʺहमारे पास अभी भी लफ्ज है - सहिष्णुता और लचीलापन में एक सबकʺ)

एज़डीन अमीमौर और जॉर्ज सलीनस द्वारा लिखित पुस्तक का कवर
एज़डीन अमीमौर और जॉर्ज सलीनस द्वारा लिखित पुस्तक का कवर

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21 April 2020, 15:45