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2017 में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार करते कार्डिनल  चार्ल्स बो 2017 में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार करते कार्डिनल चार्ल्स बो  

म्यानमार, धर्मसंघियों के लिये मतदान अधिकार का आह्वान

म्यानमार के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल चार्ल्स बो ने सरकार से अपील की है कि वह उस संवैधानिक प्रावधान को रद्द करे जो धर्मसंघियों को मतदान के अधिकार से वंचित करता है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

म्यानमार, शुक्रवार, 7 फरवरी 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): म्यानमार के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल चार्ल्स बो ने सरकार से अपील की है कि वह उस संवैधानिक प्रावधान को रद्द करे जो धर्मसंघियों को मतदान के अधिकार से वंचित करता है।

म्यानमार के आम चुनाव 2020 से पूर्व एक सन्देश जारी कर यांगोन के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल बो ने देश के नागरिकों को स्मरण दिलाया कि मतदान करना एक पवित्र कर्तव्य है। अपने सन्देश में उन्होंने प्रजातंत्रवाद एवं मानवाधिकारों की सुरक्षा का आह्वान किया तथा देश के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित कराया।  

कार्डिनल चार्ल्स बो ने संविधान की धारा 392 के अनुच्छेद (ए) के प्रति खेद व्यक्त किया जो बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों, काथलिक पुरोहितों, धर्मबहनों, अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के ईसाई पादरियों एवं मुस्लिम मौलवियों को मतदान के अधिकार से प्रतिबंधित करता है।

संविधान में परिवर्तन की अपील

एक लिखित अपील प्रकाशित कर कार्डिनल बो ने म्यानमार की सरकार से संविधान में परिवर्तन की अपील की। उन्होंने कहा कि मतदान करना एक पवित्र दायित्व है जिससे किसी भी नागरिक को वंचित नहीं किया जाना चाहिये। 

उन्होंने कहा कि कार्डिनल होने के नाते मैं वक्तव्य और भाषण दे सकता हूँ तथा अपने सहनागरिकों को वोट देने के लिये प्रोत्साहित कर सकता हूँ, जबकि मैं ख़ुद मतदान नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “यह एक बहुत ही असामान्य व्यवस्था है। मैं किसी अन्य लोकतंत्र के बारे में नहीं जानता जिसके संविधान में ऐसा कोई प्रावधान है।”

मतदान "एक पवित्र कर्तव्य"

मतदान को "एक पवित्र कर्तव्य" और "मानवीय सम्मान की एक पवित्र तीर्थयात्रा" निरूपित करते हुए, उन्होंने चेतावनी दी कि "जो लोग इस पवित्र ज़िम्मेदारी को नहीं निभाते,  वे स्वयं संकट को पास बुलाते हैं।"

कार्डिनल बो ने कहा कि एक धार्मिक नेता होने के नाते वे किसी भी पार्टी अथवा किसी भी अभ्यर्थी का पक्ष नहीं लेते किन्तु नागरिकों को स्मरण दिलाना अपना दायित्व मानते हैं कि वे उसी पार्टी एवं उसी अभ्यर्थी को अपना क़ीमती वोट दें जो मानव प्रतिष्ठा एवं नैतिक मूल्यों का सम्मान करता हो।

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07 February 2020, 11:41