येरुसालेम में पांचवें विश्व होलोकॉस्ट मंच  समारोह येरुसालेम में पांचवें विश्व होलोकॉस्ट मंच समारोह 

यहूदी-विरोध पर अंकुश लगाने के लिए खुद को खोलें, कार्डिनल कोच

येरूसालेम में यद वाशेम होलोकॉस्ट मेमोरियल में गुरुवार को पांचवें विश्व होलोकॉस्ट मंच का आयोजन किया गया। पोलैंड में नाज़ी ऑशविट्ज़ प्रताड़ना शिविर से मुक्ति की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित इस समारोह में यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के 40 से अधिक राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और शाही परिवारों ने भाग लिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

येरुसालेम,शनिवार 25 जनवरी 2020 (वाटिकन न्यूज) : पोलैंड में नाज़ी ऑशविट्ज़ प्रताड़ना शिविर से मुक्ति की 75 वीं वर्षगांठ पर वर्ल्ड होलोकॉस्ट फोरम फाउंडेशन द्वारा यद वाशेम के सहयोग से “होलोकॉस्ट (बलिदान) की याद करते हुए:यहूदी-विरोध की लड़ाई” विषय पर पांचवें विश्व होलोकॉस्ट मंच का आयोजन किया गया था। इस समारोह में यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के 40 से अधिक राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और शाही परिवारों ने भाग लिया। वाटिकन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल कुर्ट कोच ने किया।

कार्डिनल कोच ने वाटिकन न्यूज के साथ हुए साक्षात्कार में 23 जनवरी को येरुसालेम में हुए समारोह के महत्व को समझाते हुए कहा,“मेरा मानना है कि अनेक देशों के इतने सारे प्रतिनिधियों का एक साथ आना और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी, यहूदी-विरोध के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजना था।”

उन्होंने कहा, "कई भाषणों में स्पष्ट कहा गया कि हमें इतिहास से सीखना चाहिए कि ऐसा फिर कभी नहीं होना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि यहूदी-विरोध एक ऐसा अध्याय नहीं है जिसे इतिहास की किताबों में संजोया गया है बल्कि आज भी फिर से उभर रहा है, जिसे हमें गंभीरता से लेना होगा।

कार्डिनल कोच ने यहूदी-विरोधी कारणों के बारे में कहा कि वे कई हैं और संक्षेप में नहीं बताए जा सकते हैं। कई कारण हैं कि लोग विदेशियों से या दूसरों से डरते हैं, क्योंकि वे कई चुनौतियों का सामना करते हैं और इसलिए यह यहूदियों को हस्तांतरित किया जाता है। उदाहरण के लिए राष्ट्रवाद, जो खुद को एक राष्ट्रवादी के रुप में व्यक्त करता है। राष्ट्रीयता का नया स्वरूप, यहूदी विरोधी तरीका है। उन्होंने कहा कि भले ही इसके कारण एक देश से दूसरे देश में अलग-अलग हों, लेकिन राष्ट्रवाद और लोकलुभावनवाद इसके प्रमुख कारण हैं।

कार्डिनल ने कहा कि इन प्रवृत्तियों से लड़ने के लिए, लोगों की आशंकाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और उन्हें दूर करने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने संत योहन के सुसमाचार का हवाला दिया, जहां येसु अपने शिष्यों से कहते हैं कि दुनिया की कठिनाइयों का सामना करने के लिए उनके पास साहस होना चाहिए क्योंकि उन्होंने खुद दुनिया पर जीत पाई है।  कार्डिनल ने कहा कि "हम खुद को दूसरे के लिए खोलकर, विश्वास में दूसरे लोगों के प्रति भय की आशंकाओं को दूर कर सकते हैं।"

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25 January 2020, 15:21