यूक्रेनी काथलिक विश्वविद्यालय (यूसीयू) में पक्रकारिता की पढ़ाई के दौरान नादिया यूक्रेनी काथलिक विश्वविद्यालय (यूसीयू) में पक्रकारिता की पढ़ाई के दौरान नादिया  कहानी

कोमलता की क्रांति

एम्माउस समुदाय एक सफल उदाहरण है जहाँ विभिन्न विकलांग लोगों को समाज में कैसे एकीकृत किया जा सकता है। लविवि में यूक्रेनी काथलिक विश्वविद्यालय के जीवंत शैक्षणिक वातावरण में काम करने वाली दो युवा नादिया और खीस्टीना की कहानी है। (याकिव बोहदन शुमायलो ओ.एस.बी.एम)

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

नादिया कलचोवा ने चार साल तक अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। लेकिन उनका बचपन का सपना एक पत्रकार बनने का था। जब वह सपना सच हुआ, तो उसने पाया कि प्रभु ने उसे कुछ अनोखा दिया है।

"ईश्वर की खोज और अपने खुद के व्यवसाय की खोज साथ-साथ जाता है, क्योंकि जब आप ईश्वर को ढूंढते हैं, तो वे ही आपको अपने व्यवसाय की खोज करने में मदद करते हैं।"

यूक्रेनी काथलिक विश्वविद्यालय (यूसीयू) में पक्रकारिता की पढ़ाई के दौरान, नादिया ने ईश्वर के बारे अपने ज्ञान को गहरा करना शुरू कर दिया। वह कहती है, "जब मैं यूसीयू में पढने आई तो मैं अपने साथ कुछ अनसुलझे सवाल लेकर आई। मेरे माता-पिता प्रोटेस्टेंट हैं, इसलिए मुझे विश्वास का एक निश्चित अनुभव था। लेकिन इन सबके बावजूद अनेक मुद्दों पर विश्वास करने में संदेह था।” दिलचस्प कक्षाएं,  शिक्षकों के साथ बातचीत और अपने दोस्तों के विश्वास के अनुभवों को सुनकर, नादिया को पता चला कि ईश्वर रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे काम करते हैं।

एक बार जब उनकी पढ़ाई पूरी हो गई, तो नादिया को करियर के बारे में सोचना पड़ा। "मेरे पास एक पत्रकार होने की महत्वाकांक्षाएं थीं, लेकिन साथ ही मैंने प्रार्थना की और ईश्वर से पूछा कि वे मुझे कहाँ चाहते हैं। थोड़ा-थोड़ा करके, मेरे सामने मार्ग खुलने लगे और मुझे मानसिक विकलांग लोगों की दिशा में संकेत मिला"।

यह सब तब शुरू हुआ जब उसने डोरोटा टेराकॉस्का की पुस्तक "द क्रिसलिस" पढ़ी: एक परिवार ने अपनी बेटी के गंभीर रूप डाउन सिंड्रोम के साथ कैसे सामना किया, इसकी कहानी है। इसके तुरंत बाद, नादिया आनुवंशिक विकृति से प्रभावित एक युवक, रोमन मेक्सिकोमोविक से मिली। जिस तरह से उन्होंने कुरिंथियों के नाम संत पौलुस के पत्र से लिये गये "दया का भजन" का पाठ किया, उससे नादिया का दिल भर आया।

नादिया बताती हैं, '' हम विकलांग लोगों में,  ईश्वर दवारा दिए गये उपहार और गरिमा को देखने की कोशिश करते हैं। फिर हम उन्हें समाज में उनका स्थान दिलाने में मदद करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि प्रभु ने जीवन में हर एक को एक मिशन दिया है। यूसीयू में "एम्माउस" समुदाय के सदस्य, विकलांग लोगों को "मित्र" कहते हैं।

जॉन वानियर, “आर्क” समुदाय के संस्थापक
जॉन वानियर, “आर्क” समुदाय के संस्थापक

नादिया "आर्क" समुदाय के संस्थापक जॉन वानियर में अपनी प्रेरणा पाती है।"आर्क" समुदाय एक स्वैच्छिक संगठन है जो विशेष जरूरतों वाले लोगों का समर्थन और सहायता करती है। नादिया का कहना है कि "न केवल कमजोर लोगों को मजबूत लोगों की जरूरत है, बल्कि मजबूत लोगों को भी कमजोर लोगों की जरूरत है। क्योंकि उनकी कमजोरी से वे हमें कोमलता की ऊर्जा को जागृत करते हैं।" नादिया ने कई मौकों को याद किया जब विकलांग लोगों ने इस कोमलता को पुनः प्राप्त करने में उसकी मदद की। नादिया ने इसे "इनाम" के बजाय "आवश्यकता" के रूप में वर्णित किया।

व्यक्तिगत विशिष्टता की खोज

नादिया कहती हैं, "विशेष जरूरतों वाले लोगों की विशिष्टता की खोज में पहला कदम उठाने से न डरें।" लेकिन इस बात से अवगत रहें कि कुछ चीजें केवल समय के साथ सीखी जा सकती हैं। इन दिव्यांग लोगों के साथ संबंध बनाना हमेशा आसान नहीं होता है। नादिया ने खुद अनुभव किया था कि वह उनके साथ जुड़ने में विफल रही थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि आज की दुनिया में, सब कुछ तत्काल होना चाहिए। दूसरी तरफ दिव्यांग लोग हमें धीरे से करना सिखाते हैं।

नादिया बताती हैं कि दिव्यांग लोगों के रहस्य और विशिष्टता की खोज में समय और धैर्य लगता है। वे अपने उपहारों को धीरे-धीरे और गहरे रूप में प्रकट करते हैं। यही कारण है कि, सरलता और सहजता के साथ, वे हमें सिखाते हैं कि कैसे विश्वास करना है।

"एम्माउस" समुदाय के दनिलो के साथ नादिया
"एम्माउस" समुदाय के दनिलो के साथ नादिया

नादिया ने कहा कि उनके लिए, बौद्धिक रूप से चुनौती देने वाले लोगों के साथ काम करने के कुछ अधिक ही शानदार क्षण हैं। पॉल के साथ उसकी मुलाकात उनमें से एक है। नादिया कहती है, "पॉल मेरे पास आया और मुझे गले से लगा लिया", "फिर उसने अपनी भौं को अपनी उंगली से छुआ और कहा: 'आप बस परमात्मा हैं!" वह केवल बाहरी रुप से या यूँ ही मेरी प्रशंसा नहीं कर रहा था। इन शब्दों के साथ, उन्होंने मुझे याद दिलाया कि मनुष्य में 'परमात्मा' हैं क्योंकि वे ईश्वर द्वारा बनाए गए हैं। पॉल मुझसे अक्सर कहते थे: 'स्ट्रेट अप अप!' वह आसन का जिक्र नहीं कर रहा था। इसके विपरीत। हमारे इन 'मित्रों' में से कई जीवन से हताश होकर अपना सिर झुकाए चलते हैं, क्योंकि वे अक्सर दूसरों दवारा अस्वीकृत कर दिए जाते हैं। इसके बजाय, उन शब्दों के साथ पॉल मुझे अपने दिल को छिपाने के लिए नहीं कह रहा था, कि मुझे लोगों के लिए खुला होना चाहिए।”

एक कम जटिल दुनिया की खोज

ख्रीस्टीना मोरोज़ यूसीयू कैंपस में "एममाउस" समुदाय के साथ काम करती हैं। वे कहती हैं, "दिव्यांग लोग उन चीजों का निरीक्षण करने में सक्षम हैं जो दूसरों के लिए अदृश्य लगते हैं। उनके माध्यम से, हम एक कम जटिल दुनिया की खोज करते हैं।”

फिल्म निर्माण के दौरान ख्रीस्टीना मोरोज
फिल्म निर्माण के दौरान ख्रीस्टीना मोरोज

ख्रीस्टीना कहती हैं, "मुझे इस तरह के व्यक्ति के साथ संवाद करने का कोई पिछला अनुभव नहीं था", "जब मैं विश्वविद्यालय में पढ़ रही थी, तो मैंने कभी उन पर ध्यान नहीं दिया"। यह सब आंतरिक और बाहरी खोज के साथ शुरू हुआ और तब समाप्त हुआ जब ख्रीस्टीना ने यूसीयू "एम्माउस" समुदाय के साथ एक सहायक के रूप में रोजगार के लिए एक विज्ञापन देखा। उन्होंने साक्षात्कार के दौरान, उनसे उनकी ताकत और कमजोरियों के बारे में सामान्य सवाल पूछे गये। उसे नौकरी मिली, लेकिन कुछ बेहतर करने से पहले इसे एक स्टॉपगैप के रूप में सोचा। वे "एम्माउस" समुदाय के साथ चार साल से जुड़ी हैं।

"पहले कुछ महीने मुश्किल थे और ऐसा लग रहा था कि नौकरी वास्तव में मेरे लिए नहीं थी। यह मेरे प्रशिक्षण और मेरी महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप नहीं था। लेकिन एक साल के बाद मुझे एहसास हुआ कि वहां के लोग मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं और मैंने वहीं रहने का फैसला किया।”

ख्रीस्टीना एम्माउस समुदाय के जीवन और अपने दोस्तों के बारे बताती हैं कि वहाँ कोई भी उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे नहीं पूछता या टीका टिप्पणी करता है कि आप पढ़ाई कुछ किये हैं और काम कुछ और कर रहे हैं। समुदाय में मुझे बहुत प्यार मिलता है। लोग मुझे स्वीकार करते हैं। हांलांकि मैं जो करती हूँ वह मेरे प्रशिक्षण से अलग है परंतु मुझे हर दिन कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता हैऔर मुझे लगता है कि यही मेरे लिए ईश्वर की योजना है।

आर्क  त्योहार का एक पल
आर्क त्योहार का एक पल

ख्रीस्टीना ने अपनी बात जारी रखा, “दिव्यांग लोगों के बीच काम करना आपके व्यक्तित्व को विकसित में मदद करता है, जब से मैं यहां काम कर रही हूँ, संचार नेटवर्क और आंतरिक संबंध बदल गए हैं।" हम अब बहुत कुछ जानते हैं। मैं मानती हूँ कि लोग अलग-अलग हैं और परिस्थितियां भी अलग-अलग हैं, लेकिन सब कुछ आसान लगता है। यही मैंने 'एम्माउस' में सीखा है।”

नई वास्तविकताओं की खोज
नई वास्तविकताओं की खोज

ख्रीस्टीना ने उस व्यक्ति की प्रतिक्रिया को याद किया, जिसने एम्माउस समुदाय का दौरा किया था और उसे  जब पता चला कि ख्रीस्टीना के पास विश्वविद्यालय की डिग्री है और एक खुशहाल परिवार है, तो चकित हो गई। उसकी धारणा थी कि केवल टूटे हुए दिल और दुखी परिवारों से आये हुए दुखी लोग ही विकलांग लोगों के साथ काम करते हैं।

नादिया विश्वविद्यालय के छात्रों और विकलांग लोगों के बीच एक समावेशी परियोजना का निर्देशन करती हैं। उनका कहना है, "जितना अधिक हम समाज में लोगों को बौद्धिक रूप से विकलांग लोगों की विशिष्टता का अनुभव कराते हैं, उतना ही हमें लगता है कि हमें उनके बारे में और साबित करने की जरुरत नहीं होती। सब सामान्य हो जाता है।”

नादिया और ख्रीस्टीना ने कत्रुसिया के बारे में बताया, जिन्हें विशेष देखभाल और ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि वह मस्तिष्क पक्षाघात और आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकार दोनों से ग्रस्त है। कत्रुसिया में उसके आसपास हर किसी के लिए सकारात्मकता का संचार करने क्षमता हैं। यहां तक ​​कि जब वह किसी को ‘हलो’ कहती है, तो उसकी हंसमुख आवाज़ लोगों को एक अच्छे मूड में लाने के लिए पर्याप्त है। उसका मीठा और विवेकपूर्ण तरीका दूसरों को उन छोटी-छोटी चीजों की सराहना करने में मदद करता है जिन्हें  शायद उन्होंने पहले भी नहीं देखा होगा।

संत पापा फ्राँसिस अक्सर कोमलता की क्रांति की बात करते हैं। वे हमें सिखाते है कि कोमलता का अर्थ है हमारी आँखों का उपयोग दूसरे को "देखने" के लिए करना और हमारे कानों का उपयोग दूसरों को "सुनने" के लिए करना। शायद हम सभी को ईश्वर की दया, कोमलता और प्रेम के वाहक होने के लिए इस तरह की कृपा की आवश्यकता है।

नादिया और ख्रीस्टीना की कहानी उस तरह के ‘देखने’ और ‘सुनने’ का एक उदाहरण है। यह प्रेम की कहानी है: एक ऐसा प्रेम जो दूसरों के आंतरिक सौंदर्य को पहचानता है।

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11 January 2020, 14:49