प्रधान मंत्री पद पर हसन दियाब के नामांकन के बाद लेबनान में विरोध प्रदर्शन -19.12.2019 प्रधान मंत्री पद पर हसन दियाब के नामांकन के बाद लेबनान में विरोध प्रदर्शन -19.12.2019 

न्याय एवं पारदर्शिता की मांग करनेवालों के साथ लेबनान की कलीसिया

लेबनान में मारोनी रीति के काथलिक धर्माधिपति, कार्डिनल बेखारा बोतरोस-राय तथा पवित्रभूमि के पूर्व धर्माध्यक्ष एवं अन्तरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख, अन्तियोखिया के महाधर्माध्यक्ष पौल साह्या ने देश के राजनैतिक नेताओं से व्यापक भ्रष्टाचार और शासन की विफलता के लिए ज़िम्मेदारी लेने तथा वर्तमान संकट से निपटने के लिए एक तकनीकी प्रशासन की स्थापना का आग्रह किया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

लेबनान, शुक्रवार, 20 दिसम्बर 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): लेबनान में मारोनी रीति के काथलिक धर्माधिपति, कार्डिनल बेखारा बोतरोस-राय तथा पवित्रभूमि के पूर्व धर्माध्यक्ष एवं अन्तरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख, अन्तियोखिया के महाधर्माध्यक्ष पौल साह्या ने देश के राजनैतिक नेताओं से व्यापक भ्रष्टाचार और शासन की विफलता के लिए ज़िम्मेदारी लेने तथा वर्तमान संकट से निपटने के लिए एक तकनीकी प्रशासन की स्थापना का आग्रह किया है।

लेबनान में सुरक्षा बलों और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच लड़ाई में अनेकानेक घायल हो गये हैं तथा दर्जनों को हिरासत में ले लिया गया है। देश में जारी आर्थिक संकट के चलते सरकार विरोधी प्रदर्शन दो माह पूर्व आरम्भ हुए थे। इस पृष्ठभूमि में लेबनान की काथलिक कलीसिया ने सरकार से पारदर्शिता की मांग की है तथा ज़रूरतमन्दों की मदद का बीड़ा उठाया है।

सरकार सुनने को तैयार नहीं

महाधर्माध्यक्ष पौल साह्या ने सरकार का आह्वान किया है कि वह लोगों की बात सुनें तथा न्याय के आधार पर समस्याओं का समाधान ढूँढ़े। उन्होंने वाटिकन न्यूज़ को बताया कि काथलिक कलीसिया जनता की पैरवी कर रही है तथा उनकी न्यायसंगत मांगों को सरकार के समक्ष रख रही है। उन्होंने शिकायत की कि सरकार न तो लोगों की और न ही धार्मिक नेताओं की बात सुनने को तैयार हैं। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि बहुत समय से अनवरत जारी विरोध प्रदर्शनों को अनदेखा करना सरकार और देश के लिये विनाशक सिद्ध हो सकता है।  

लेबनान में शरणार्थी

महाधर्माध्यक्ष पौल साहया ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि लेबनान में गरीबी आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती है और साथ ही, राष्ट्र में शरणार्थियों की भारी संख्या एक विस्फोटक मुद्दा है। उन्होंने कहा, "चालीस लाख लोगों के देश में बीस लाख शरणार्थी लोग हैं, इसी से पता चलता है कि देश पर किस प्रकार का आर्थिक भार है।" उन्होंने कहा, "लेबनान में बेरोज़गारी की दर तीस प्रतिशत है, इसलिये जब सरकार ने कर-वृद्धि की बात की तब जनता में विरोध भड़क उठा और उन्होंने पारदर्शिता की मांग की जो न्यायसंगत है।"

कलीसिया की पहलें

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "प्रदर्शनों के आरम्भिक क्षण से ही कलीसिया लोगों के साथ रही है और समस्याओं पर विचार-विमर्श हेतु लेबनान के प्राधिधर्माध्यक्ष ने काथलिक, ऑरथोडोक्स तथा प्रॉटेस्टेन्ट नेताओं की एक बैठक भी बुलाई थी। इस बैठक के बाद एक वकतव्य जारी कर कलीसिया ने लोगों के साथ रहने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। तथापि, उन्होंने कहा, प्रदर्शनकारियों से भी आग्रह किया था कि किसी भी हालत में हिंसा न भड़काई जाये तथा शांतिपूर्वक अपनी मांगें सरकार के समक्ष रखीं जायें।"  

सांप्रदायिक सीमाओं से परे

महाधर्माध्यक्ष ने कहा "बहुत समय के बाद पहली बार,  जनता का आन्दोलन सांप्रदायिक सीमाओं से परे है, जिसने राजनैतिक संबद्धता को दरकिनार कर दिया है, एक साथ मिलकर लोग देश की अर्थव्यवस्था को चलाने के तरीके के लिए न्याय और पारदर्शिता का अनुरोध कर रहे हैं।"

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20 December 2019, 09:28